पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/७७

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बतरस २३७० वत्ती यतरस-संपुं० [हिं० बात+रम ] बातचीत का आनंद। हो, अब क्या कर सकते हो । जैसे, वहाँ तो बहुत बढ़ बन कर बातों का मज़ा। बोलते थे, अब बताओ। बतराना-संशा स्त्री० [हि • बनराना ] बातचीत । संज्ञा पुं० [सं० वर्तक-एक धातु ] हाथ का कहा। कोका तगना-कि० अ० [हिं० बात+आना (प्रत्य॰)] बातचीत ढाँचा। करना । उ.--छिनक छबीले लाल वह जौ लगि नहि संज्ञा पुं० [हिं० बरतना ] फटी पुरानी पगड़ी जो नीचे रहती बतराय । ऊम्ब महख पिथग्य की तौ लगि भूख न | है और जिसके ऊपर अच्छी पगड़ी बाँधी जाती है। जाय।-विहारी। यताशा-संशा पुं० दे. "बतासा"। यतरौहाँ-वि० [हिं० बात ] [स्त्री० बतरोही ] बातचीत की | बतास-संज्ञा स्त्री० [सं० वातासह ] (1) वात का रोग । गठिया। ओर प्रवृत्त । वार्तालाप का इच्छुक । क्रि० प्र०-धरना ।-पकड़ना । बतलाना-क्रि० स० दे. "बताना"। (२) वायु । हवा। +कि० अ० बातचीत करना। बतासंफनी-संशा स्त्री० [हिं० बतासा+फेनी ] टिकिया के आकार यतवम्हा-संशा पु० [ देश | एक प्रकार की नाव । इस नाव में की एक मिठाई। लोहे के काँटे नहीं लगाए जाते । यह केवल बेत से बाँधी | बतासा-संज्ञा पुं० [हिं० बतास इवा ] (1) एक प्रकार की मिठाई जाती है। यह नाव चटगाँव की ओर चलाई जाती है। जो चीनी की चाशनी को टकाकर बनाई जाती है। टपकने बताना-कि० स० [हिं० बात+ना (प्रत्य॰) या सं० वदन-कहना ] पर पानी के बुलबुले से बनते जाते हैं जो जमने पर (1) कहना । कहकर जानकार करना । जानकारी कराना। खोखले और हलके होते हैं और पानी में बहुत जल्दी अभिज्ञ करना । जताना । कयन द्वारा सूचित करना ।। खुलते हैं। जैसे,—(क) रखी हुई वस्नु बताना, रास्ता बताना, भेद मुहा०-बतासे सा घुलना=(१) शीघ्र नष्ट होना । (शाप)। (२) बताना, युक्ति बताना, कोई बात बताना । (ख) बताओ क्षीण और दुबला होना। तो मेरे हाथ में क्या है। (२) एक प्रकार की आतशबाज़ी जो अनार की तरह संयो० कि०-देना। छटती है और जिसमें बड़े बड़े फूल से गिरते हैं।(३) (२) किसी को बुद्धि में लाना । समझाना । बुझाना।। बुलबुला । बुबुद् । हृदयंगम कराना । जैसे, अर्थ बताना, हिसाब बताना, | बतिया-संशा पुं० [ सं० वर्तिका, प्रा० बत्तिा बत्ती ] थोड़े दिनों का अक्षर बताना। लगा हुआ का छोटा फल । छोटा, कोमल और कच्चा संयांकि०-देना। फल । उ०-इहाँ कुहड़ बतिया कोउ नाहीं। जो तर्जनि (३) किसी प्रकार सूचित कराना । जताना । निर्देश देखत मरि जाहीं।-तुलसी। करना। दिखाना। प्रदर्शित करना । जैसे, (क) उँगली संज्ञा स्त्री० दे० "बात"। से बताना, हाथ उठाकर राम्ता बताना । (ख) सूखा | बतियाना-क्रि० अ० [हिं० बात ] बातचीत करना । नाला यह बता रहा है कि पानी इधर नहीं बरसा है। बतियार-संज्ञा स्त्री० [हिं० बात] बातचीत । उ.--सतसंगन की संयोग क्रि०—देना। बतियारा । सो करत फिरत हुसियारा। विश्राम । (४) कोई काम करने के लिये कहना । किसी कार्य में बतू-संशा पुं० दे० "कलावस्"। उ०-चोली चुनावट चिह्न भै नियुक्त करना । कोई कार्य निर्दिष्ट करना । कोई काम धंधा | अपि होत उजागर चिह्न बतू के।-धनानंद । निकालना । जैसे, मुझे भी कोई काम बताओ आजकल | बतौतकुंती-संज्ञा स्त्री० [हिं० बात ] कान में बातचीत करने की स्वाली बैठा हूँ। (५) नाचने गाने में हाथ उठाकर भाव | नकल जो बंदर करते हैं। (कलंदर) प्रकट करना । भाव बताना । उ.-कभी नाचना और | बतौर-क्रि० वि० [अ०] (1) तरह पर रीति से । तरीके पर। गाना कभी । रिझाना कभी औ बताना कभी ।-मीर: जैसे,-बतौर सलाह के यह बात मैंने कही थी। हसन । (६) दंड देकर ठीक रास्ते पर लाना । ठीक करना। (२) सदृश । समान । मानिंद। मार पीटकर दुरुस्त करना । जैसे,—पड़ी नटखटी कर रहे बत्तक-संज्ञा पुं० दे० "बसख"। हो, आता हूँ तब बताता हूँ। बत्तिसा-वि० दे० "बत्तीस" । मुहा०-अब बताओ=(१) अब कहो क्या करोगे । अब क्या बत्ती-संज्ञा स्त्री० [सं० वत्ति, प्रा० बत्ति ] (1) सूत, ई, कपड़े उपाय है ? जैसे, पानी तो आ गया, अब बताओ । (२) अब आदि की पतली छछ । सलाई या चौड़े फीते के आकार का तो मेरे वश में हो, अब क्या कर सकते हो । अब तो फँस गए टुकवा जोबट या बुनकर बनाया जाता है और जिसे तेल