पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/७९

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बदरख्वाह २३७२ बदनामी माषा बदरवाह-वि० [फा० 1 बुरा चाहनेवाला । अनिष्ट चाहनेवाला ।! बदननिकाल-संशा पुं० [फा० बदन+हिं० निकालना ] मलखंभ की खरख्वाह का उलटा । एक कसरत जिसमें मलखंभ के पास खड़े होकर दोनों बदगुमान-वि० [फा० ] बुरा संदेह करनेवाला । संदेह की दृष्टि हाथों को कैंची बांधते हैं। इसमें खेलाड़ी का मुँह नीचे, मे देखनेवाला । कमर मलखंभ से सटी हुई और पैर ऊपर को होते हैं। बदगुमानी-संज्ञा स्त्री० [ फा . ] किसी के ऊपर मिथ्या संदेह । बदना*-क्रि० स० [सं० वद कहना ] (१) कहना । वर्णन __झठा शुबहा । करना । उ०-विष्णु शिवलोक सोपान सम सर्वदा दास बदगोई-संशा स्त्री० [फा०] (1) किसी के संबंध में बुरी बात सुलसी बदत विमल बानी। तुलसी । (२) मान लेना। कहना । निंदा । (२) धुगली । स्वीकार करना । सकारना । जैसे, किसीको साखी बदचलन-वि० [फा० ] कुमार्गी। बदराह। बुरे चालचलन बदना, गवाह बदना । उ-हाथ छुड़ाए जात ही निबल __ का । लपट । जानि के मोहि। हिरदय में से जाइयो मर्द बदौगी तोहि । बदचलनी-संज्ञा स्त्री॰ [फा०] (1) बदचलन होने की क्रिया | (३) नियत करना । ठहराना। पहले से स्थिर करना । या भाव। दुश्चरित्रता । (२) व्यभिचार । ठीक करना । निश्चित करना । कहकर पक्का कर लेना । बदज़बान-वि० | फा०] बुरा बोलनेवाला। गाली गलौज करने । जैसे, कुश्ती का मुक्काम बदना । दाँव बदना । उ०—(क) वाला । कटुभाषी । श्याम गए यदि अवधि सखी री। सूर । (ख) दृती सों बदज़ात-वि० [फा० बद +40 सात ] खुरी असलियत या ख़ासि संकेत बदि लेन पठाई आप। केशव ।। यत का । खोटा । ओठा। नीच। मुहा०-बदा होना भाग्य में अदा होना । भाग्य में लिया बदतमीज़-वि० [ फा 1 जिये अच्छी बुरी चाल की पहचान न होना । प्रारब्ध में होना । जैसे, अब तो चलते हैं जो बदा हो। अशिष्ट । जो शिष्टाचार न जानता हो। गँवार । : होगा सो होगा । बद कर ( कोई काम करना)-(१) बेहदा। जान बूझ कर । पूरी दृढ़ता के साथ । पूरे हठ के साथ । टेक बदतर-वि० [ फा Jऔर भी बुरा । किसी की अपेक्षा बुरा। पकड़कर । जैसे,—जिम्प काम को मना करते हैं वह बद जैसे, यह तो उससे भी बदतर है। कर करता है। (२) बेधड़क । ललकार कर । छेड कर। बददियानती-संज्ञा स्त्री० [फा०+अ0 ] बेईमानी । दगाबाज़ी। आप अग्रसर होकर । जैसे,—न जाने क्यों वह मुझसे बद धोकेबाजी : विश्वासघात । कर झगरूर करता है। बदकर कहना-दृढ़ता के साथ बददुआ-संशा स्त्री० [ फा+अ0 ] शाप । अहितकामना जो । कहना । पूरे निश्चय के साथ कहना । जैसे, हम बदकर कहते शब्दों द्वारा प्रकट की जाय । हैं कि तुम्हारा यह काम हो जायगा। क्रि० प्र०—देना। (४) सफलता पर जीत और असफलता पर हार मानने बदन-संज्ञा पुं० [फा० ] शरीर । देह । की शर्त पर कोई बात ठहराना । बाज़ी लगाना । होड़ यौ०--तन बदन । लगाना । शर्त लगाना । जैसे,—(क) आज उस मैदान में महा--तन बदन की सुध न रहना-(१) अनेत राना। उन दोनों पहलवानों की कुश्ती बदी है। (ख) हम उसम्मे बेहोश रहना (२) किसी ध्यान में इतना लीन होना कि किसी। कुश्ती बदेंगे। (५) गिनती में लाना । लेखे में लाना । बात की खबर न रहे। बदन टूटना-शरीर की हड्डियों में , कुछ समझना । कुछ ख्याल करना । बड़ा या महत्व का पाड़ा होना । जादी में दर्द होना जिससे अंगों को तानने और मानना । जैसे,वह लड़का इतना धृष्ट हो गया है कि खांचन का इच्छा हो। बदन तोड़ना-पीड़ा के कारण अंगों ! किसीको कुछ भी नहीं बदता । उ०—(क) बदत काहू को तानना और खा बना। नहीं निधरक निदरि मोहिँ न गनत । यार बार बुझाय हारी संशा पुं० दे० "वदन"। भौंह मो पै तनत -सूर । (ख) जोबनदान लेउँगो बदनसीब-वि० [फा०+अ० ] अभागा । जिसका भाग्य तुमसों। जाके बल तुम बदति न काहुहि कहा दुरावति मो बुरा हो। सों। सूर । (ग) बड़े कहावत आप हू गरुवं गोपीनाथ। बदनसीबी-संशा स्त्री० [फा० ] दुर्भाग्य । सौ बदिहीं जो राखिहौ हाथनि लखि मन हाथ।-बिहारी। घदनतौल-संशा सी० [ फा . बदन+हि० तोल | मलखंभ की एक बदनाम-वि० [फा०] जिसका बुरा नाम फैला हो। जिसकी कसरत जिसमें हत्या करते समय मलखंभ को एक हाथ से कुख्याति फैली हो। जिसकी निंदा हो रही हो । कलंकित । लपेटकर उसी के सहारे सारा बदन ठहराते या तौलते हैं। जैसे,—बद अच्छा, बदनाम बुरा। इसमें सिर नीचे और पैर सीधे ऊपर की ओर रहते हैं। बदनामी-संज्ञा स्त्री० [फा०] अपकीर्ति । लोकनिंदा। कलंक ।