पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१०२

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सजाव' ४९२० सज्जैनती चिकनी होती है। प्राय 'दही' शब्द के साथ ही इस शब्द सजीह-मचा पु० [फा०] स्वभाव । का प्रयोग मिलता है और विशेष अर्थ देता है। जैसे,-- सजु-वि० [स० सजुप् | १ जो प्रिय हो। प्यारा । २ परस्पर मबद्ध । भावभरी कोऊ लिए रुचिर मजाव दही कोऊ मही मजु दावि एक साथ रहनेवाला (को०] । दलकति पाँसुरी।-रत्नाकर, भा० १ पृ० १५१ । मजु २-मना पु० मित्र । दोस्त । साथी को। सजाव--पचा सी० दे० 'सजावट'। सजुग पु-वि० [हिं० सजग] सजग। सचेन । होशियार । उ०-- सजावट--सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० मजाना+प्रावट (प्रत्य॰)] १ सज्जित लोभी चोर दूत ठग छोरा रहहिं यह पाँव । जो यह हाट मजुग होने का भाव या धर्म । जैसे,--उनके मकान को सजावट भी भा गढ ताकर 4 वाँच ।--जायसी (शब्द॰) । देखने ही योग्य है । २ शोभा । ३ तैयारी। सजुता--मचा 'त्री० [म० मयुता] एक प्रकार का छद जिसके प्रत्येक सजावन-सज्ञा पुं० [हिं० सजाना| १ सजाने की क्रिया। अल चरण मे एक सगण, दो जगण और एक गुरु होता है। कृतकरण । मडन । २ तैयार करने को त्रिया। सुसज्जित (म ज ज ग) विशेप दे० 'सयुत' । करना । उ०--अब तो नाथ विलव न कोजै। सैन सजावन सजूरी--सहा त्री० [स० मजुप् ( = प्रिय) '] एक प्रकार की मिठाई । शासन दीजै ।-रघुराज (शब्द०)। उ०--(क) कमल नैन हरि करो बियारी। लुचुई लपसी सजावल--सञ्ज्ञा पु० [तु० सजावुल १ सरकारी कर उगाहनेवाला मद्य जलेवो सोइ जेवहु जो लगै पियारी। घेवर मालपुवा कर्मचारी। तहसीलदार । २ राजकर्मचारी । ३ सिपाही । मोतिलाडू मधर सज्ररी मरस मवारी। -मूर०, १ ।२२७ । जमादार। (ख) माधुरि अति सरम सजूरी। सद परसि धरो घृत पूरी। सजावली-सज्ञा स्त्री० [तु० सजावुल+ई (प्रत्य॰)] १ सजावल का --सूर (शब्द०)। काम । २ सजावल का पद या अोहदा । सजोना-क्रि० स० [हिं० सजाना] १ सज्जित करना। शृगार करना। २ सामान करना। मरजाम करना। सजावार-वि० [फा० सजावार] १ जो दड का भागी हो । जो सजा पाने के योग्य हो । २ योग्य । सत्पात्र (को०) । सजोयल ।-वि० [हिं० सजोना] > 'संजोइल' । सजिना-सञ्ज्ञा पु० [हिं० सहिजन] दे० 'सहिजन'। सजोप--वि० [सं०] (वे) जिनमे समान प्रीति हो। मेल से कोई काम सजीउ -वि० [स० सजीव] दे० 'सजीव' । करनेवाले। सजोदा--वि० [फा० सजीदह,] लायक । पान । योग्य (को॰] । सजोषए-मज्ञा ० [सं०] १ बहुत दिनो से चलो पाई हुई ममान प्रीति । २ साथ साथ प्रानद लेना। समिलित रूपेण ग्रानद सजोया--सब्जा पु० [अ०] आदत । स्वभाव । प्रकृति [को०] । मनाना या लेना (को०)। सजीला--वि० [हिं० सजना + ईला (प्रत्य॰)] [वि० सी० सजीलो] १ सज्जर--सबा पु० [हिं० साज] दे० 'साज' । सजधज के साथ रहनेवाला । छला। छवीला । जैसे, वह सज-वि० [मं०] १ सज्जित । सजा हुआ। तैयार किया हुआ । बहुत अच्छा और सजीला जवान है। २ सुदर। सुडौल । २ परिधानयुक्त। कपडे धारण किए हुए। ३ संवारा हुआ। मनोहर। सजीव--वि० [सं०] १ जीवयुक्त । जिसमे प्रार, हो। उ०--हस्ति भूपित । अलकृत । ४ शस्त्र आदि से सुसज्जि। सुरक्षित, सिंघली वांधे वारा। जनु सजीव सव ठाढ पहारा ।—जायसी दृढ या परिखा आदि से घेरा हुमा । ६ प्रत्यचायुक्त 'को०] । (शब्द०)। २ फुरतीला । तेज। ३ ज्यायुक्त । प्रत्यचायुक्त सज्जक--पक्षा पु० [स०] सज्जा । सजावट । (को०) । ४ ओजयुक्त । प्रोजस्वी । जैसे,--उनकी कविता वडी सज्जकर्म-सञ्ज्ञा पु० [म० सज्जकर्मन्] १ सज्जित करना या होना। २ सजीव है। धनुष पर प्रत्यचा चढाना [को०] । सजीव--सशा पुं० प्राणी । जीवधारी। सज्जए-मचा पु० [म० सज्ज] फौज की तैयारी। (डि०) । सजीवता-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] सजीव होने का भाव । सजोवपन । सज्जए-मज्ञा पु० [स० सज्जन] प्रिय । प्रियतम । दे० 'सज्जन' । सजीवन-सञ्ज्ञा पु० [स० सजीवन सजावनी नामक वूटी। विशेष उ०-चाल सखी तिण मदिरई सज्जण रहियउ जेंग । कोइक दे० 'सजीवनी'। मीठउ बोलडइ लागो होसी तेरण। ढोला०, दू० ३५६ सजोवनवूटी--सज्ञा स्त्री० [स० सञ्जीवनी+हि० वूटी] रुदती । सज्जता-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] सज्जा का भाव । सजावट । रुद्रवती । विशेप दे० 'सजीवनी' । सज्जन-सञ्ज्ञा पुं० [स० सत्+जन] १ भला आदमी । सत्पुरुष । सजीवनमूर सजीवनमूल-सञ्ज्ञा पुं० [स० सञ्जीवनी] सजोवनी शरीफ । २ अच्छे कुल का मनुष्य । ३ प्रिय मनुष्य । प्रियतम । बूटी । विशेप दे० 'सजीवनी'। ४ चौकीदार । सतरी। ५ घाट। ६ बांधना या लटकाना सजीवनी मत्र-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० सजीवन + मन्त्र] १ पुराणादि मे उक्त (को०)। ७ तैयारी करना (को०)। ८. शस्त्रादि से सज्जित वह मन जिसके संबंध मे लोगो का विश्वास है कि मरे हुए होना (को०)। ६ सजाने की क्रिया या भाव । सज्जा। मनष्य या प्राणी को जिलाने की शक्ति रखता है। २ वह मन्त्र सज्जनता-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] सज्जन होने का भाव । सत्पुरुपता । भल- जिससे किसी कार्य मे सुभीता हो । उपकारी मन्त्रणा। मनसाहत । भलमनसी । सौजन्य । साधुता।