पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१३५

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सफेदधावी सफरी सफरी--सज्ञा स्त्री० [स० शफरी] एक प्रकार की मछली । सौरी निर्णय । ६ खात्मा । समाप्ति (को०) । १० ऊबडखावड मछली। न रहना । खुरदुरापन का अभाव (को॰) । ११ बरबादी। सफरोन-सज्ञा पुं० [अ० कैम्फर पायल] कपूर के लाल तेल से तैयार विनाश । तबाही । १२ चिकनापन । स्निग्धता (को०)। होनेवाली एक दवा या मसाला। महा.-सफाई कर देना = (१) माफ, बेबाक या स्वच्छ कर देना। सफन--वि० [स०] [स्त्री० सफला] १ जिसमे फल लगा हो । फल से (२) समाप्त ग खत्म कर देना। (३) बरबाद कर देना। जिसका कुछ परिणाम हो । जो व्यर्थ न जाय । सार्थक । युक्त । २. सफाई देना = निर्दोषिता प्रमाणित करना। कसूरवार न होने जैसे,—तुम्हारा परिश्रम सफल हो गया। ३ पूरा होना । का सबूत देना। जैसे,-मनोरय सफल होना । ४ कृतकार्य। कामयाब। सफाचट-वि० [हिं० सफा+चट) १ एकदम स्वच्छ। बिलकुल साफ । जिसका प्रयोजन मिद्ध हुआ हो । २ जिसपर कुछ जमा या लगा न रह गया हो। जो विल्कुल क्रि० प्र०—करना ।--होना । चिकना हो। जैसे,—मैदान सफाचट होना । ३ जो जमा या ५ अडकोश युक्त । जो बधिया न हो । लगा न रहने दिया जाय। जो निकाल, उखाड या दूर कर सफलक वि० [म.] जिसके पास फलक या ढाल हो। दिया जाय । जैसे,-बाल सफाचट होना। ४ जरा सा भी शेष न रहने देना (भोजन आदि)। सफलता--सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] १ सफल होने का भाव । कामयाबी। सिद्धि । २ पूर्णता । ३ सार्थक होना । सार्थकता । सफाया-सञ्ज्ञा पु० [हि०] १ खत्म होने की स्थिति । समाप्ति । २ विनाश । सफला सज्ञा स्त्री॰ [म.] पौष माम के कृष्ण पक्ष की एकादशी जो विशेष रूप से व्रत का दिन है। क्रि० प्र०—करना । होना । सफलित--वि० [स० सफल] सार्थक। सफलीभूत । सफाहत-उच्चा नी[अ० सफाहत] कमीनापन । नीचता 'को०] । सफो-वि० [अ० सफो] १ साफ । स्वच्छ । धवल । २ पवित्रात्मा। सफलोकरण--सञ्ज्ञा पु० [स०] १ सफल करना । २ सिद्ध करना । पूर्ण शुद्ध भावना से युक्त । ३ मिन्न । सखा । दोस्त (को०] । सफलीभूत--वि० [स०] जो सफल हुआ हो। जो सिद्ध या पूरा सफोना सज्ञा पु० [अ० सफोनह, अ० सब पेना] १. वही । किताव । नोटबुक । २ अदालती परवाना । इत्तलानाम।। समन। हुअा हो। १. छोटो कश्ती । नाव । नौका (को०) । सफलोदय--सञ्ज्ञा पुं० [स०] शिव का एक नाम [को०] । सफोर'-सझा मी० [अ० सफीर| १ विडियो की आवाज । २ वह सफलोदर्क-वि० [स०] जिसमे सफलता की झलक दिखाई दे [को०] । सीटी जो पक्षियो को बुलाने के लिये दी जाती है । ३ सीटी । सफहा-सचा पु० [अ० सफह] १ रुख । तल । सतह । २ वरक । सफीर-सबा पुं० एलची । राजदूत । पृष्ठ । पन्ना। सफोल'-का सी० [अ० फसील] पक्फी चहारदीवारी। शहर- सफा--वि० [अ० सफा] १ साफ । स्वच्छ। निर्मल | २. पाक । पवित्र । उ०-कोई सफा न देखा दिल का :-काष्ठजिह्वा सफोल' -सचा स्त्री० [अ० सफील] दे॰ 'सफोर' । पनाह । परकोटा। (शब्द॰) । ३ जो खुरदुरा न हो । चिकना । वरावर । क्रि० प्र०--करना । —होना । सफूक-मा पु० [अ० सफूफ] चूर्ण । वकनी । फकी। सफा-सा खी० १ स्वच्छता । निर्मलता । २ चमक दमक (को०] । सफेद-वि० [फा० सुफेद, मि० स० श्वेत १ जो चूने के रग का हो । सफाइन-सना पुं० [अ० सफाइन, सफीना (= नौका) का बहुवचन] जिसपर कोई रग न हो। धौला । श्वेत । चिट्टा। जैसे,- सफेद घोडा। नौकाएँ (को०] । २ जिसपर कुछ लिखा या चिह्न न हो। कोरा । सादा । जैसे,-सफेद कागज । सफाई-सज्ञा स्त्री० [अ० सफा + ई(प्रत्य॰)] १. सफा होने का भाव । यौ०-सफेद दाग = श्वेतकुण्ठ । सफेदरेश = बूढा, जिसकी दाढी स्वच्छता । निर्मलता। २ मैल, कूडा, करकट आदि हटाने की क्रिया । जैसे,-मकान की सफाई। ३ अर्थ या अभिप्राय पक गई हो। प्रकट होने का गुण। ४ स्पष्टता। चित्त से दुर्भाव आदि का मुहा०—किसी का रग सफेद पड जाना = विवर्णता होना । निकलना । मन मे मैल न रहना। जैसे,—सामने बातचीत कर भय आदि से चेहरे का फीका पड जाना। स्याह सफेद = भला लो, दिलो की सफाई हो जाय । ५ कपट या कुटिनता का वुरा । इष्ट अनिष्ट । जैसे,---स्याह सफेद सब उसी के हाथ है। अभाव । दुराव का न होना। जैसे,—आज उन्होने वडी सफेदधावी-सञ्ज्ञा मी० [हिं० सफेद + धावी] एक प्रकार का बड़ा सफाई से बात की। ६ दोपारोप का हटना। इलजाम का पेड । चकडी। दूर होना । निर्दोपिता । जैसे,—उसने अपनी सफाई के विगेष-यह वृक्ष हिमालय पर पाया जाता है। इसकी लकडी लिये बहुत कुछ कहा । ७ ऋण का परिशोध। कर्ज या की कधियां बनाई जाती हैं। इसके फूलो मे सुगध होती है। हिसाब का चुकता होना। वेवाको । ८ मामले का निबटारा। इसके पत्ते खाद के काम मे आते है।