पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१३९

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४६५७ समगिनी सभागृह लागा। सोइ मलयगिरि भएउ सभागा।-जायसी (शब्द०)। सभासाह-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] वह जिसने वादविवाद या शास्त्रार्थ मे २ सु दर । स्पवान् । उ०-पाए गुपुत होइ देखन लागी। विजय प्राप्त की हो [को०] । वह मूरति कस सती सभागी।---जायसी (शब्द०)। सभास्तार-सहा पु० स०] सभासद् । सदस्य। सभागृह-मना पृ० [स०] वह स्थान जहाँ किसी सभा या समिति का सभिक, सभीक ~मन्ना पृ॰ [स०] वह जो लोगो को जूमा खेलाता हो । अधिवेशन होता हो। बहुत से लोगो के एक साथ बैठने का जूएखाने का मालिक । स्थान । मजलिम की जगह । सभीत-वि० [सं० सभीति] दे० 'सभीति' । उ०-मचिव सभीत सभाचार-सक्षा पु० [स०] १ सभा, गोष्ठी या समाज का रीति- सकै नहि पूछी।-मानस, १३२ । रिबाज । ममाज का प्राचार । २ धर्मसभा की पद्धति या नियम सभोति--वि० [म०] भयग्रस्त । डरवाला । भययुक्त । कायदा (को०] । मभेय-सञ्ज्ञा पुं० [स०] सभा का सदस्य । सभासद । सभ्य । सभाजन -सज्ञा पुं० [म०] अपने मित्रो, सबधियो आदि के आने पर मभोचित-सञ्ज्ञा पु० [स०] पडित । विद्वान् । उनसे गले मिलना, उनका कुशल मगल पूछना और स्वागत सभ्य-सञ्ज्ञा पु० [स०१ जो किसी सभा मे समिलित हो और उसके या शिष्टाचार करना । २ सेवा (को०) । ३ विनम्रता । विचारणीय विपयो पर अपनी समति दे सकता हो । मभासद । शिष्टता (को०। सदस्य। वह जिसका व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन श्रेष्ठ हो। वह जिसका आचार व्यवहार और रहन सहन उत्तम हो । सभाजित-वि० [स०] १ आदृत । समानित । प्रसन्न । तुष्ट | २. कुलीन व्यक्ति । वह जिसमे तहजीव हो। भला आदमी। प्रशसि जिसकी प्रशस्ति को गई हो 'को०] । ३. न्यायाधीश को सलाह देनेवाला जनप्रतिनिधि । दे० सभाज्य-वि० [सं०] अादरणीय । ममान करने योग्य (को०। 'असेसर'। ४ द्यूतगृह का सचालक । ५. द्यूतगृह के सचालक सभानर-सक्षा पु० [स०] १ हरिवश के अनुसार कक्ष के एक पुत्र का सेवक (को०)। ६ पाँच पवित्र अग्नियो मे से एक (को॰) । का नाम । २ भागवत के अनुसार अणु के एक पुत्र सभ्य-वि० १ सभा से सबध रखनेवाला । २ सभा समाज के योग्य । का नाम। ३ सस्कृत । परिष्कृत । शिष्ट । ४ सुशील । विनम्र। सभापति-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १. वह जो मभा का प्रधान या नेता बनकर ५ विश्वस्त । ईमानदार को०] । उसका कार्य चलाता हो । सभा का मुखिया। मीर मजलिस । सभ्यता-सज्ञा स्त्री॰ [स०] १ सम्म होने का भाव । सदस्यता । २ २. वह जो जुए का अड्डा चलाता हो। द्यूतगृह का व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन की वह अवस्था जिसमे लोगो सचालक (के. प्राचार व्यवहार वहुत सुधरकर अच्छा हो चुका हो । सुशिक्षित और सज्जन होने की अवस्था। ३ भलमनसाहत । सभापरिषद-सना श्री० [म०] १ बहुत से लोगो का एकत्र होकर शराफत । जैसे,-जरा सभ्यता का व्यवहार करना सीखो। साहित्य या राजनीति प्रादि से संबंध रखनेवाले किसी विषय ५ किसी भी काल या य्ग का सामाजिक जीवन या व्यवहार । पर विचार करना। २ वह स्थान जहाँ इस प्रकार के कार्य सस्कृति । (अ० कल्चर) । जैसे--मोहनजोदडो सभ्यता, के लिये लोग एकत्र होते हैं । सभागृह । मभाभवन । द्रविड सभ्यता। सभापर्व-मुञ्चा पुं० [सं०] महाभारत के एक पर्व का नाम । सभ्येतर--वि० [स०] सभ्य से इतर या भिन्न। जो सभ्य न हो। सभापाल-सञ्ज्ञा पु० [स०] वह जो सार्वजनिक भवन अथवा सभामवन असभ्य । गवार । जगली (को०] । का रक्षक हो (को०। सभ्यत्व-सचा पु० [स०] दे० 'सभ्यता' [को०) । सभारता-सज्ञा १ भारयुक्तता। २ अधिकता। समक'-वि० [स० समक। एक समान प्रतीक या चिह्नो को धारण आधिक्य । पूर्णता । १ अभ्युदय | वृद्धि के - 1 करनेवाला । समान चिह्नवाना (को०] । सभार्य, सभार्यक-वि० [स०] भार्या के साथ | भार्यानुगत । सपत्नीक । समक-सज्ञा पुं० १ हुक या अकुश । २ पीडा । कचट। दर्द । (लाक्ष०) । ३ खेती को नष्ट करनेवाला पशु [को०] । सभावन-सञ्ज्ञा पुं० स० शिव का एक नाम [को०। समग--वि० [स० समडग] जिमके सभी अग या अवयव पूर्ण हो। सभावी-मज्ञा पु० मि० सभाविन्] वह जो चूतगृह का प्रधान हो । सर्वागयुक्त। जूएखाने का मालिका समग-सबा पुं० एक प्रकार की क्रीडा (को०] । सभासद-सज्ञा पुं० [स० सभामद्] १ वह जो किसी सभा मे ममि- समंगल-वि० स० समदगल] मगलयुक्त । शुभ । मगलमय [को०] । लित हो और उसमे उपस्थित होनेवाले विपयो पर समति समगा--सच्चा स्त्री०स० समडगा १ मजीठ। २ लाजवती। लजा- देने का अधिकार रखता हो। सदस्य। सामाजिक । पार्पद । धुर । ३ वाराहक्राता । गेंठी । ४ वाला। २ वह जो किसी सभा या जलसे का सहायक हो (को०)। ३ समगिनी-सक्षा स्त्री० [स० समडिगनी] बौद्धो की, वोधिवृक्ष की दे० 'असेसर' (०)। हिं० श०१०-१६ का स्त्री० [स] एक देवी।