पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१४२

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समच्छेद, समच्छेदन समदन' समच्छेद, समच्छेदन -व० [स०] वह मिन्न जिनके हर या हल समझौता--सज्ञा पुं० [हिं० ममझाना] प्रापस का वह निपटारा जिसमे समान हो को०] । दोनो पक्षो को कुछ न कुछ दवना या म्वार्थत्याग करना पडे । राजीनामा। समज-सचा पु० [स०] १ वन । जगल । २ पशुप्रो का भुड । ३ मूों का झुड । मूर्खमडल (को०) । ४ इद्र (को०) । क्रि० प्र०—करना ।-कराना ।—होना । समजाति, समजातोय - वि० [स०J जो समान जाति का हो । समान समतट--सज्ञा पुं० [स०] १ ममुद्र के एक ही किनारे पर के देश । २ एक प्राचीन प्रदेश का नाम जो आधुनिक वगाल के पूर्व वर्ग का [को० । मे था। समज्ञा-सज्ञा स्त्री॰ [स०] कीत्ति । यश । समतल-वि० [स०] जिसका तल सम हो, उबड़ खाबड न हो । समज्या सज्ञा स्त्री० [स०] १ सभा। गोष्ठी। वह स्थान जहाँ लोग जिसकी मतह बरावर हो। हमवार। जैसे,—इम पहाड के मिले जुले । २ ख्याति । प्रसिद्धि । मशहूरियत 'को०] । ऊपर बहुत दूर तक समतल भूमि चली गई है। समझ-सज्ञा स्त्री० [स० सज्ञान] १ समझने की शक्ति । वुद्धि । समता-सज्ञा स्त्री॰ [म.] १ सम या समान होने का भाव । वरावरी । अक्ल । जैसे, तुम्हारी समझ की बलिहारी । तुल्यता । जैसे,—इम तरह के कामो मे कोई आपकी ममता मुहा०-समझ पर पत्थर पडना = बुद्धि नष्ट होना । अक्ल का नहीं कर सकता । २ तटस्थता । निष्पक्षता । औदासीन्य (को०)। मारा जाना । जैसे,—उसकी समझ पर तो पत्थर पड़ गए है, ३ उदारता। औदार्य (को०)। ४ अभिन्नता । एकता। एक्य वह हिताहितज्ञानशन्य हो गया है। (को०) । ५ धोरता । धर्यशलिता । धीरत्व (को०)। ६ पूर्णत्व । २ खयाल । जैसे,—(क) मेरी समझ मे उसने ऐमा कोई काम पूर्णता (को०)। ७ साधारण होने का भाव । माघारण्य (को०)। नही किया कि जिसके लिये उसकी निंदा की जाय । समताई पु-मचा स्त्री० [स० ममता+ हिं० ई (प्रत्य॰)] दे० 'ममता' । मेरी समझ मे उन्होने तुमको जो उत्तर दिया, वह बहुत समतिक्रम-सचा पुं० [स०] अतिक्रमण । उपेक्षण । उल्लघन किो०] । ठीक था। समतिकात'-वि० [स० समतिनान्त] १ उल्लपित । उपेक्षित । २ समझदार-वि० [हिं० समझ + फा० दार बुद्धिमान । अक्लमद । जो बीत गया हो । व्यतीत । बीता या गुजरा हुग्रा । ३ जिमने ममझना-क्रि० अ० [स० सम्यक् ज्ञान] १ किसी बात को अच्छी तरह अपना वचन या वादा पूरा किया हो । जिमने प्रतिज्ञा के अनुसार जान लेना । अच्छी तरह मन मे बैठाना। भली भाँति हृदयगम चलकर उसे पूर्ण किया हो [को०] । करना । अच्छी तरह ध्यान मे लाना । ज्ञान प्राप्त करना । वोध समतिकात'-मञ्ज्ञा पु० १ लघन । अतिक्रमण । २ त्रुटि । दोष [को०) । होना। वूझना । जैसे,—मैने जो कुछ कहा, वह तुम समझ गए समतीत-वि० [स०] वीता हुमा । अतीत । गत । व्यतीत [को०)। होगे। २ स्याल मे आना । ध्यान में ग्राना । विचार मे आना। समतूल-वि० [स० सम + तुल्य] समान । सदृश । तुन्य । उ०- जैसे,—(क) मैं समझता हूँ कि अब तुम्हारी समझ में यह बात एहि विधि उपजै लच्छि जब सुदरता सुखमूल । तदपि समीत आ गई होगी। (ख) तुम समझे न हो तो फिर समझ लो । सकोच कवि कहहिं सीय समतूल।-मानस, ११२४७ । सयो० कि०-जाना ।-पडना ।-रखना । लेना। समत्रय-सञ्ज्ञा पुं० [स०] हरे, नागरमोथा और गुड इन नीनो के मुहा०-समझ बूझकर = अच्छी तरह जानकर। ज्ञानपूर्वक । समान भागो का समूह । जैसे,-तुमने बहुत समझ बूझकर यह काम किया है। समझ ममत्रिभुज- समा पु० [स०] वह त्रिभुज जिसके तीनो भुज समान हो । रखना = अच्छी तरह जान रखना। भली भाँति हृदयगम समत्था-वि० [स० समर्थ, प्रा० समथ्थ ] 7° 'समर्थ' । उ-दूत करना । जैसे,—तुम समझ रखो कि अपने किए का फल तुम्हे रामराय को मपूत पूत वाय को, समत्य हाथ पाय को सहाय अवश्य भोगना पडेगा। समझ लेना = (१) बदला लेना। पसहाय को ।-तुलसी ग्र०, पृ० २४४ । प्रतिशोध लेना। जैसे,—कल तुम चौक मे आना, तुमसे समझ समत्व-सञ्चा पु० [स०] सम या समान होने का भाव । समता । लेंगे। (२) समझौता करना। निपटारा । जैसे,—पाप रुपए दे दीजिए, हम दोनो आपस मे समझ लेगे। तुल्यता। बराबरी। समत्विट -वि० [स० समत्विप्] चारो ओर जिसका प्रकाश एक सा समझाना-क्रि० स० [हि समझना का सक०] कोई बात अच्छी हो । समान रूप से दीप्तिमान् (को०] । तरह किसी के मन मे बैठाना। हृदय गम कराना। ज्ञान प्राप्त समथ, समथ्थ - [स० समर्थ, प्रा० समय ] उ०-जहँ जहँ राजन कराना । ध्यान मे जमाना । वोध कराना । काज हुअ तहँ तहँ होइ समथ्थ ।--पृ० रा०, ५२१०२ । यौ०-समझाना बुझाना। समदत-वि० [सं० समदन्त] जिसके दाँत समान या एक से हो को०] । समझाव, समझावा-सञ्ज्ञा [हिं० /समझ + याव (प्रत्य॰)] राजी समद--वि० [स०] १ गर्व से उगत । २ नशे मे मत्त या मतवाला। नामा। समझौता। ३ प्रसन्न । हर्पित । ४ प्रेमोन्मत्त । प्रेम के नशे में चूर (को० । यो०-समझाव वुझाव - समझाना बुझाना। समदन'-सचा पु० [स०] युद्ध । लडाई ।