पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१५९

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समान समाहूत ४६७७ समीकार समाहूत-वि० [स०] [खी० समाहूता] १ जिसे बुलाया या निमत्रित (ो । ६ मतुलित करना। मर्यादित करना (को० । १०. किया गया हो । २ लडने या खेलने के लिये चुनौती दिया या प्राचारपद्धति । आचारसहिता (जैन) । पाया हुया । जिसे ललकारा गया हो [को०] । यौ०--ममितिमर्दन = युद्ध मे परेशान करनेवाला। समिति- समाह्व-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ वह जो समान नाम का हो । शाली = वीर । योद्धा । समितिशोभन = युद्ध मे प्रमुख या श्रेष्ठ । समित्कलाप--पचा पु० [स] लकडियो, ईधन का गट्ठर (को०] । नामवाला । २ ललकार । ग्राह्वान । चुनौती। ३ आमन्त्रण । बुलाना (को०)। समित्काष्ठ--पना पु० [म० ईवन । चैला । लकडी (को०) । समित्पाथ--मञ्चा पु० [म० समित्पान्थ। अनल । अाग। पावक (को०)। समाह्वय-सज्ञा पु० [स०] १ पशु पक्षियो (तीतर, बटेर, हाथी, शेर, भैसे आदि) को लडाने और उनकी हार जीत पर वाजी लगाने समित्पूल-संशा पु० [स० दे० 'समित्कलाप' । का खेल। समिथ--सज्ञा पुं० [स०] १ अग्नि । २ पाहुति । ३ युद्ध । ममर । विशेष-इसके सवध मे अर्थशास्त्र तथा स्मृतियो मे अनेक लडाई। ४ जुटाव । सभा । समिति (गोर।। नियम हैं। समिदाधान--तज्ञा पु० [स०] १ अग्नि मे ई धन डालना। २ अग्नि मे समिधा डालना जो ब्रम्हचारी का दनिक कृत्य है (को०] । २ चुनौतो। चैलेज । ललकार (को०) । ३ सग्राम । युद्ध (को०) । ४ द्वद्व युद्ध । मल्ल युद्ध (को०)। ५ नाम । अभिधान (को०)। समिद्ध--वि० [स० | १ जलता हुआ। प्रज्वलित । प्रदीप्त । २ उत्तेजनायात । उत्तजित (को०)। ३ अग्नि मे डाला हुआ । समाह्वा - सज्ञा स्त्री॰ [स०1१ गोजिया या बनगोभी नाम की घाम । अग्नि में न्यस्त (को०)। ४ आढ्य । पूण (को०)। गोजिह्वा । २ आख्या । नाम । अभिधान (को॰) । यौ०--समिद्धकाति = जिसकी काति दीप्त हो। समिद्धदर्प - समाह्वाता-पि०, मज्ञा पु० [स० सामाह्वान] १ पुकारनेवाला । बुलाने- अभिमान के कारण उत्तेजित । गर्व से स्फोत । समिद्धहोम = वाला । २ चैलेज करनेवाला। चुनौती देनेवाला [को०] । हवन । आहुति । समाह्वान--सञ्ज्ञा ५० [स०] १ अाह्वान । बुलाना । २ जूया खेतने के समिद्धन मा पु० [स०] १ जलाने की लकडी । ई धन । २ जलाने लिये किसी को बुलाना या ललकारना । ३ दे० 'समाह्वय'-१। की क्रिया । सुलगाना । ३ उत्तेजना देना । उद्दीपन । ४ चुनौतो । ललकार (को०) । समि--सज्ञा स्त्री० [म०] १ आग जलाने की लकडो। ईधन । २. समिधन-पच्चा पु० [स० समिन्धन] (प्राग, दीया प्रादि) प्रज्वलित यज्ञकुड मे जलाने की लकडी । समिधा । करना । सुलगाना। २ ईधन । ३ शोथ, सूजन या उभाड समिध--मक्षा पुं० [स०] १ अग्नि । २ दे० 'समि' (को॰) । आदि का कारण (को०] । समिधा-या स्त्री॰ [स० समिध् | दे० 'समिध्', 'समिधि' । समिक--सञ्चा पु० [म.] लवा, और धारदार कोई भी हथियार । सा गु, समिधि यु-मज्ञा स्त्री॰ [स० समिध] लकडी विशेपत यज्ञकुड मे जलाने कुत, वरछा आदि (को०] । की लकडी। उ०--(क) प्रेम वारि तरपन भलो घृत सहज समित्-सज्ञा पुं॰ [स०] १ मेल । साथ। मिलाप (को०)। २ अग्नि सनेह । ससय समिवि अगिनि छमा समता बलि देह । -तुलसी (को०) । ३ युद्ध । समर । लडाई । (शब्द॰) । (ख) समिचि सेन चतुरग विहाई । महा महीप समित-वि० [स०] १ साथ आया या मिला हुआ। २ एकत्रित । भए पसु पाई |---मानस, १२८३ । पुजीभूत । ३ सवधित । सयुक्त । सलग्न । ४ सन्निहित । समी समिर--मझा पु० [म० दे० 'समीर' । पवर्ती । समीपस्थ । ५ समानातर । तुल्य । सदृश । ६ प्रति समिश्र-वि० [स० मिला हुआ । मिश्रित होनेवाला (को०] । श्रुत । अगीकृत । ७ खत्म किया हुआ। पूर्ण या समाप्त ममिप्-सचा पु० [स०] इद्र । किया हुआ । ८ मापा हुआ को० । समीक- सझा पु० [स०] युद्ध । समर । लडाई। समिता-मशास्त्री० [स०] बहुत महोन पीसा हुआ पाटा । मैदा । समीकरए-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ समान करने की क्रिया । तुल्य या वरावर समितिजय--मज्ञा पुं० [स० समितिञ्जय] वह जिसने युद्ध मे विजय करना। २ आत्मसात् करना (को०)। ३ गरिणत मे एक प्राप्त की हो। युद्धजयी। २ वह जिमने किसी सभा आदि मे विशेष प्रकार को किया जिससे किसी व्यक्त या ज्ञात राशि की विजय प्राप्त को हो । ३ यम । ४ विष्णु । सहायता से किसी अव्यक्त या अज्ञात राशि का पता लगाया समिति---सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] १ सभा। समाज । २ प्राचीन वैदिक जाता है। ४ गणित मे (भिन्न या किसी सवाल को) हल काल की एक प्रकार की सस्था जिसमे राजनीतिक विषयो पर करना या सरल करना। ५ भूमि समतल करने का साधन । विचार हुआ करता था। ३ किसी विशिष्ट कार्य के लिये पाटा या हेंगा जिससे क्षेत्र समतल किया जाता ह (को०)। नियुक्त की हुई कुछ आदमियो की सभा । ४ युद्ध । समर । समीकार-पवा पु० [स०] वह जो छोटो वडो, ऊँचो नोवो या अच्छी लडाई । ५ समानता । साम्य । ६ सन्निपात नामक रोग । ७. बुरी चीजो को समान करता हो। वरावर करनेवाला। २. इकट्ठा होना। जुटना। मिलना (को०)। ८. झड। रेवड़ समान करने की क्रिया (को०) । ३. गणित मे समीकरण ।