पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१६६

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समुद्रलवए ४९८४ समुन्मीलन समुद्रलवए-सञ्ज्ञा पु० [स०] करकच नाम का लवण जो समुद्र के समुद्रीय-वि० [स०] समुद्र सवधी । समुद्र का । समुद्रिय । जल से तैयार किया जाता है । वैद्यक के अनुसार यह लघु, हृद्य, समुद्रोन्मादन-सज्ञा पुं० [म०] कात्तिकेय के एक अनुचर का नाम । पित्तवर्धक, विदाही, दीपन, रुचिकारक और कफ तथा वात का समुद्रध-वि० [स०] दे० 'समुद्रीय' [को०) । नाशक माना जाता है। समुद्रवल्लभा-पना स्त्री० [स०] समुद्र की पत्नी, नदी (को०] । समुद्वह-वि० [स०] १ श्रेष्ठ । उत्तम । बढिया । २ वहन करनेवाला। ३ नीचे ऊपर जानेवाला (को॰) । समुद्रवसना-मज्ञा स्त्री॰ [स०] पृथ्वी । समुद्रवह्नि-सञ्ज्ञा पु० [स०] वडवानल । समुद्वाह-मज्ञा पुं० [सं०] १ विवाह । शादी। पाणिग्रहण । २ धारण करना । ऊपर उठाना (को०) । समुद्रवास--नचा पु० स० समुद्रवामस्| अग्नि । समुद्रवासी-पञ्चा पुं० [स० समुद्रवासिन] १ वह जो समुद्र मे रहता समुद्वाहित-वि० [स०] ऊपर उठाया हुआ या धारण किया हया । हो । २ वह जो समुद्र के तट पर रहता हो । ममद्वेग-सज्ञा पु० [स०] १ घबडाहट की स्थिति । वैचैनी । २ डर। समुद्रवेला--मक्षा स्त्री॰ [स०] १ सागर की तरग। समुद्र की लहर । भय । नास (को०)। २ समुद्रतट । सागरतट । ३ ज्वार भाटा (को०) । समुन्न-वि० [स०] १ आर्द्र । गीला । २ गदा । मलिन [को० । ममुद्र-यवहारो--पञ्चा पु० [स० समुद्रव्यवहारिन्] वह जो समुद्रयाना समुन्नत'-वि० [सं०] १ जिसकी यथेष्ट उन्नति हुई हो । खूब वढा करके व्यापार करता है । समुद्री व्यापारी (को० । हुआ। २ बहुत ऊँचा । ३ ऊपर उठाया हया (को०)। ८ समुद्रशुक्ति - -सप्ला स्त्री॰ [स० । समुद्र की सोपी । समुद्रोत्पन्न सोणे। गौरवान्वित (को०)। ५ अभिमानी। घमडी। गर्वयुक्त समुद्रसार-सञ्चा पु० [सं०] मोती। (को०)। ६ खरा । सच्चा । ७ जो आगे की ओर बढा या समुद्रसुभगा - सज्ञा स्त्री० [स०] गगा। निकला हो। समुद्रशोष-सञ्ज्ञा पुं० [स०] दे० 'समुद्रपात' । समुन्नत-सच्चा पुं० वास्तु विद्या के अनुसार एक प्रकार का स्तभ समुद्रस्थली-सज्ञा स्त्री॰ [स०] एक प्राचीन तीर्थ का नाम जो समुद्र के या खभा। समुन्नति-सज्ञा स्त्री॰ [स०] १ यथेष्ट उन्नति । काफी तरक्की । २ समुद्रात'-सज्ञा पुं० [सं० समुद्रान्त] १ समुद्र का किनारा । २ महत्व । बडाई । ३ उच्चता। ४. श्रेष्ठ पद या अोहदा । जातीफल । जायफल । उच्च पद (को०) । ५ ऊपर की ओर करना या उठाना (को०)। समुद्रात'-वि० जो समुद्र तक विस्तृत हो । ६ घमड । अभिमान (को०)। समुद्राता-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स० समुद्रान्ता] १ दुरालभा । २ कपास। समुन्नद-सञ्ज्ञा पु० [स०] रामायण के अनुसार एक राक्षस का नाम । कर्पासी। ३ पृक्का । ४ जवासा। ५ पृथ्वी, जो समुद्र तक समुन्नद्ध-वि० [स०] १ जो अपने आपको वडा पडित समझता हो । विस्तृत है (को०)। २ अभिमानी। घमडो। ३ उत्पन्न । उद्भूत । जात। समुद्रावरा-सज्ञा स्त्री० [स० समुद्राम्बरा] पृथ्वी । उन्नत । उच्छ्रित (को०)। ५ सूजा हुआ । फूला हुआ समुद्रा मा स्त्री० [स०] १ शमी । २ कचूर (को०)। (को०)। ६ पूर्ण। पूरा (को०)। ६ विकृत । बुरे चेहरे समुद्राभिसारिणी-सञ्ज्ञा खी० [स०] वह कल्पित देववाला जो समद्र मोहरे का (को०)। ८ वधनमुक्त । ६ सर्वोत्कृष्ट । सर्वश्रेष्ठ। देव की सहचरी मानी जाती है । सर्वप्रधान (को०)। समुद्रायएा-सज्ञा स्त्री॰ [म.] नदी। समुन्नद्ध'-सञ्ज्ञा पुं० प्रभु । स्वामी । मालिक । समुद्रारु-सक्षा पु० [सं०] १ कुभीर नामक जलजतु । २ सेतबध । समुन्नमन-सञ्ज्ञा पु० [सं०] उठाना। चढाना। जैसे, भौह का [को०)। ३ एक प्रकार की मछली जिसे तिमिगिल कहते है। समुन्नय-समा पु० [सं०] १ प्राप्ति । सगद्रार्था-सज्ञा स्त्री॰ [स०] नदी। लाभ । २ वृत्तात । घटना । ३ नतीजा । निष्कर्ष । ४ अनुमान (को०] । समुद्रावरणा-सहा स्त्री० [स०। पृथ्वी । समुद्रावरोहए।-सज्ञा पुं० [स०] एक प्रकार की समाधि । समाधि का समुन्नयन-सज्ञा पुं० [स०] १ ऊपर की ओर उठाने या ले जाने की क्रिया । २ प्राप्ति । लाभ । एक ढग को०। समुद्रिय-वि० [स०] १ समुद्र सवधी। समुद्र का। २ समुद्र से समुन्नाद-सञ्ज्ञा पु० [स०] एक साथ होनेवाली चिल्लाहट [को॰] । उत्पन्न । समुद्र जात । ३ एक प्रकार का वृत्त (को॰) । समुन्नीत-वि० [स०] उन्नत किया हुमा। ऊपर किया हुअा [को॰] । समुद्रो-वि० [स० समृद्रिय] १ दे० 'समुद्रिय' । २ जो समुद्र की ओर समुन्मीलन-सज्ञा स० [स०] १ खोलना या खुलना । जैसे,-फल की से पाता हो । जैसे,—वाय । ३ जो समुद्रान द्वारा की जाय । पंखुडियो या नेत्न की पलको का । २ फैलाना। ३ दिखाना । जैसे,-याना। ३.जलसेना सवधी। तट पर था। प्रदर्शन।