पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१८४

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सगुन ५००४ सपे सर्गुन-वि० [स० सगुण ] दे० 'सगुण' । सर्जूर र-सचा पु० [सं०] दिन । सर्चलाइट-सज्ञा स्त्री० [अ०] एक प्रकार की बहुत तेज विजली की सर्जेट-पना पुं० [अ०] दे० 'सारजट' । रोशनी जिसका प्रकाश रिफलेक्टर या प्रकाश-परावर्तक सज्य-सज्ञा पुं० [अ० १ राल । धूना को०] । द्वाग लवाई मे बहुत दूर तक जाता है। अन्वेषक प्रकाश । सर्टिफिकेट - रचा १० [अ० मटिफिकेट] १ परीक्षा में उत्तीर्ण होने प्रकाश प्रक्षेपक। का प्रमाणपत्र । सनद । २ चाल चलन, स्वास्थ, योग्यता विशेप-इसका प्रकाश इतना तेज होता है कि अाँखे सामने नही आदि का प्रमाणपन्न । ठहरती और दूर तक को चीजे साफ दिखाई देती हैं। दुर्घटना सर्ण सि, सीक--मचा पुं० [सं०] जल । पानी [को०) । के बचाव के लिये पहले प्राय जहाजो पर इसका उपयोग होता सर्त--पञ्चा स्त्री० [फा० शर्त] दे० 'शर्त' । था, पर ग्राजकल मेल, एक्सप्रेस अादि ट्रेनो के इजिनो के सर्ता-पन्ना पुं० [स० सर्तृ] घोडा। आगे भी यह लगी रहती है। सद-वि० [फा०] १ ठढा । शीतल । मुस्त। काहिल | ढोला । सर्ज-मज्ञा पु० [स०] १ वटी जाति का शाल वृक्ष । अजकण वृक्ष ! ३ मद । धीमा। २ राल। धूना। करायल। ३ शल्लको वृक्ष । सलई का पेड । ४ विजयसाल का पेड । असन वृक्ष । यो-सर्द गर्म = (१) ऊँच नीच । (२) काल या दशा का परिवर्तन । सर्दबाई । सर्दबाजारी = बाजार मे वस्तुग्रो की मांग यौ.-सर्जनिर्यास, सर्जनिर्यासक = दे० 'सर्जमणि' । सर्जरस । का अभाव । सर्द मिजाज । सर्जर-मन्ना स्रो० [अ०] एक प्रकार का वढिया मोटा ऊनी कपडा जो मुहा०-सर्द होना = (१) ठडा पडना । शीतन होना । (२) मरकर प्रायः कोट आदि बनाने के काम मे पाता तमाम हो जाना। (३) मद हो जाना। धीमा हो जाना। सर्जक-सञ्ज्ञा पु० [म०] १ वडा शाल वृक्ष। २ विजयसाल । ३ (२) उत्साह रहित होना । चुप हो जाना । दब जाना । सलई का पेड । ४ मट्ठा छोडने पर गरम दूध का फटाव । ४ नपु मक । नामर्द । ५ वेस्वाद । वेमजा। सर्जन'-मज्ञा पुं० [सं०] [वि० सजनीय, सजित] १ छोडना । त्याग सर्दई-वि० [प० सर्दा + ई (प्रत्य॰)] सर्दा के रग का। हरिताभा करना । फेकना । २ निकालना। ३ सृष्टि का उत्पन्न होना । युक्त पीले रगवाला। सृष्टि । ४ निर्माण। ५ सेना का पिछला भाग । ६ढीला सर्दवाई-मना स्त्री॰ [फा० सर्द + हिं० बाई] हाथी की एक बीमारी करना (को०) । ७ मलत्याग (को०)। ८ माल का गोद । जिसमे उसके पैर जकड जाते है। सर्जन'-मशा पु० [अ०] अस्त्र चिकित्सा करनेवाला। चीर फाड सर्दमिजाज-वि० [फा० सद + मिजाज] १ मुर्दा दिल । जिसमे करनेवाला डाक्टर । जर्गह। शील न हो । वेमुरोवत । Fखा । सर्जना-मज्ञा स्त्री० [स०] रचना । निर्माण । सृष्टि [को०] । -पना पुं० [१०] वदिया जाति का लबोतरा खरबूजा जो सर्जनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [म०] गुदा की बलियो मे से बीचवाली वली जो काबुल से आता है। मल, पवनादि निकालती है। सर्दावा-पशा पुं० [फा० सर्दावढ्) १ तहखाना। तलगृह (को०) । सर्जमणि-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] १ मोचरस । सेमल का गोद। २ राल । २ कव । समाधि। धूना । करायल । सर्दार - ससा पुं० [फा० सरदार] दे० सरदार' । सर्जरस-सज्ञा पु० [स०] दे० 'सर्जमणि' (को०] । सर्दी-सञ्ज्ञा स्त्री० [फा०] १ सर्द होने का भाव । ठडापन । शीतलता । सर्जरी-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ०] चीर फाड करके चिकित्सा करने की क्रिया २ जाडा । शीत । या विद्या । शल्य चिकित्सा । सजि-सञ्चा सी० [स०] सज्जी। मुहा०-सर्दी पडना = जाटा होना। सर्दी खाना = ठढ सहना । शीत सहना । मर्दी लगना = सर्दी खाना। सजिका-मज्ञा स्त्री० [स०] मज्जी खार । सजिकाक्षार, सजिक्षार-सञ्चा पु० [स०] सज्जी । क्षार । ३ जुकाम। क्रि० प्र०-होना। सर्जी-मझा रा० [स०] दे० 'सर्जि'। सर्प--सचा पु० [सं०] [स्त्री० सर्पिणी] २ रेंगना। २ साँप । सर्जु-सज्ञा पुं० [म ] १ वणिक । व्यापारी । २ दे० 'स'। यो-सर्पक कालिका = दे० 'सपककाली'। सर्प कोटर = साँप का सर्जु २- सच्चा खो विद्युत् । विजली । विल । सर्पदश = मॉप का काटना। सर्पदप्ट = (१) वह जिसे सर्जू' -सञ्ज्ञा पुं० [म०] वणिक् । व्यापारी। २ गले का हार । साँप ने काटा हो । सर्प द्वारा दप्ट । (२) माँप का काटना । कठहार । ३ गमन । अनुसरण (को०)। सर्पधारक = सँपेरा। सर्पनामा = दे० 'सर्पककाली' । सर्पनिर्मोचन सजू-सञ्ज्ञा स्त्री० दे० 'सर्जु"

केचुल। सर्पफ्ण, सपफरणा = साँप का फन । सर्पवलि

स— @ 1- सज्जा ली [स० सग्यू] दे० 'सरयू' । साँपो को दी जानेवाली बलि या उपहार । सर्पभृता = पृथ्वी । सर्दा