पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२१५

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सहिवाला ५०३५ सहेत केहरि कोकिल वाणी अरु शशि मुग प्रभा खरी। मृग मूमी सहुं--प्रव्य० [सं० सम्मुग] १ समुन । सामने । २ पोर । नाफ। नैनन यी शोभा जाहि न गुप्त करी।-मूर (शब्द॰) । उ०-जा सह हेर जाड मो मारा। गिरिवर ठरहिं भौंह जो (ग) जारि वारि कै बिधूम वारिधि बुताई लूम नाइ मायो टारा ।—जायसी (शन्द०)। पगनि मो ठाढो कर जोरि के। 'मातु कृपा कीज महिदानी सहुरि'-मझा पुं० [२०] मूर्य । दीज' सुनि मिय दीन्ही है असीम चारु चूडामनि छोरि के । सहुरि -सा सी० पृथ्वी । धरित्री। –तुलमी (शब्द०)। सहूर-मग पुं० [अ० शुऊर, शऊर] ३० 'शऊर' । राहिवाला --नज्ञा पु० [फा० शहवाला] दे० 'शहबाला'। सहूलत--सरा ० [फा०] दे॰ 'महलियत' । सहिम-वि० [म०] वर्फ युक्त । बर्फ के समान ठढा (को॰] । सहूलियत--ज्ञा रसी० [फा०] १ आमानी । मुगमना । जैने,--अगर सहिर-शा पु० [म.] पर्वत । पहाड [को॰] । आप आ जायेंगे, तो मुझे अपने काम में और सहूलियत हो सहिरिया --सता की० [देश॰] बसत की वह फसल जो बिना सीचे जायगी। २ अदब । कायदा। गऊर। जैगे,--प्रत्र नुम बडे होती है, सीची नहीं जाती। हुए कुछ सहूलियत सीखो। सहिष्ठ~-वि• [सं०] बलवान् । ताकतवर । सहृदय-वि० [स०] १ जो दूसरे के दुस सुत्र प्रादि समझने की सहिष्णु-40 [म०] जो कष्ट या पीडा आदि सहन कर सके । योग्यता रखता हो। समवेदनायुक्त पुरुप । २ दयानु । दया सहनशीन । वरदाश्त करनेवाला। वान् । ३ रमिक । ८ सज्जन । भला यादमी। ५ सुग्त्र भाव । सहिष्णु:--मज्ञा पु० १ विष्णु। उपेद्र । २ हरिवश मे उल्लिखित अच्छे मिजाजवाला । प्रसन्नचित्त । मुग दिल । एक ऋपि । ३ पुलह के एक पुत्र का नाम । ४ छठे मन्वतर सहृदय'--नशा पुं० १ विद्वान् व्यक्ति । २ गुणो की समझ रखने के सप्तपियो में एक का नाम [को॰] । और सराहना करनेवाला व्यक्ति [को०] । सहिप्णुता-तशा स्त्री० [म०] महिष्णु होने का भाव । सहनशीलता । सहृदयता--सा झी० [म०] १ सहृदय होने का भाव । २ सौजन्य । २क्षमा । ३ रसिकता। ४ दयालता। सहिप्णुत्व-रज्ञा पुं० [म०] दे॰ 'सहिष्णता'। सहल्लेख'-वि० [म०] सदेहास्पद । आपत्तिजनक । सदिग्ध [को॰] । सही@'-सज्ञा स्त्री० [स० सखी, प्रा० सही] सखी । सहेली। सहृल्लेख'-मज्ञा पुं० मदिग्ध खाद्य [को०] सही--वि० [फा०] सीधा । ऋजु । सरल । जैसे,—सहीकद = सीधा । सहेज-सज्ञा पु० [देश॰] वह दही जा दूध को जमाने के लिये उसमे मीधे प्राकार का [को०)। छोडा जाता है। जामन । सही--वि० [फा० सहीह] १ सत्य। सच । २ प्रामाणिक । ठीक । यथार्थ । ३ जो गलत न हो । शुद्ध । ठीक । सहेजना-कि० स० [अ० सही ?] १ भनी भांति जाँचना । अच्छी तरह से देखना कि ठीक या पूरा है या नही । सँभालना । ४ स्वस्थ । तदुरस्त । चगा (को०)। ५ पूर्ण । पूरा। समृचा। जैमे,-रुपए महेजना। कपडे सहेजना । सावित (को०)। संयो० क्रि०-देना।-लेना। मुहा०-सही पढना = ठीक उतरना । सच होना। प्रमाणित होना। मही भरना = तसलीम करना। मान लेना। उ० २ अच्छी तरह कह मुनकर सिपुर्द करना। बानी विधि गौरि हर सेमहूँ गनेस कही सही भरी लोमस क्रि० प्र०--देना। मुमुडिबहु वारिपो।-तुलसी (शब्द॰) । सहेजवाना-फ्रि० म० [हिं० महेजना का प्रेर० प] महेजने का सही-संग सी० [सं० साक्ष्य या माक्षी, प्रा० मक्खी '] (स्वीकृति काम दूसरे मे करवाना। नूचक) हस्ताक्षर । दस्तखत । उ०—मुदित माथ नावत बनी सहेट@--नश पुं० [हिं० महेन, महेट] गिनने की जगह। दे० "पहेत' । तुलसी अनाथ की, परी रघुनाथ सही है। तुलसी ग्र०, उ०-भान ते निकमि चुपभानु यो कुमारी देतो ता म नोट पृ०५६५। को निकुज गिग्यो तीर को !--मतिराम (गन्द०)। कि० प्र०--करना ।-लेना। सहेटी-दि० सी० [हिं० महेट] १ मकेत स्थल पी अोर जाती न्रने- सहीसबूत-सा पु० [फा० सहीमाविन] साक्षी । प्रमाण । मबूत । वाली। घुमकर ड । मनेवाली। उ०-ग्राड न माननि चाट सहीसलामत-वि० [फा०] १ स्वस्थ । आरोग्य । भला चगा। भरी उपरी ही रहे अनि नाग नपेटी। ढोठिमई मिलि ईटि तदुरस्त । २ जिसमे कोई दोप या न्यूनता न पाई हो । सुजान न देहि क्यी पौडि जु दीठि महेटी।-घनानद, पृ० १३ । सहीह--वि० [फा०] २० 'सही' [को०] । २ सकेनन्थल पर जानेवानी। अभिमार पलेवानी। सहीसालिम-वि० [फा०] १ दे० 'सहीसलामत'। २ जैसे का तैना । सहेत-श पु० [सं० मत] यह निष्टि स्थान जहाँ प्रेमी ज्यो का त्यो। जैना या वैमा हो । उ०-वीं टूटी हुई थी प्रेमिका मिलते हैं । अभिसार का पूर्वनिर्दिष्ट या निश्चित स्वान । लेकिन राइफल राहीसालिम थी।-रजिया०, पृ० ३७८ । मिलने की जगह ।