पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२३८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

साडना ५०५० सातफेरी साडना --क्रि० स० [हि० सालना] दे० 'सालना' । उ०- मुहा०--सात की नाक कटना = परिवार भर की बदनामी होना। अल्लह कारणि आपको साडै अदरि माहि ।-दादू०, पृ०६४ । सात पाँच = चालाकी । मक्कारी । धूर्तता । जैम,--यह चाग साडा - मज्ञा पु० [दश०] १ घोडो का एक प्राणघातक रोग। २ सात पांच नहीं जानता, मीधा प्रादमी है। मात वार होकर वॉस का वह टुकडा, जो नाव मे मल्लाहो के बैठने के स्थान के निकलना = भोजन का बिना पचे पतली दस्त होकर निकलना। नीचे लगा रहता है। सात पाँच करना = (१) बहाना करना । (२) झगडा साडी'--मज्ञा स्त्री॰ [स० शाटिका, प्रा०] स्त्रियो के पहनने की धोती करना। उपद्रव करना। (३) चालबाजी करना। धूर्तता जिसमे चौडा किनारा या वेल आदि बनी होती है । सारी। करना । सात परदे मे रखना = (१) अच्छी तरह छिपा कर रखना। (२) वहुत संभालकर रखना। सातवें त्रासमान साड़ोर--सज्ञा स्त्री॰ [म० सार] दे॰ 'साढी-२' । पर चढना = बहुत घमडी बनना । अत्यधिक अभिमान साढ-वि० [म० साध] दे० साढे'। दिखाना। उ०-मिसेज रालिसन तो जैमे मातवे आसमान साढसानी-मज्ञा स्त्री० [हिं० साढ+ साती] दे० 'साढेसाती'। उ०- पर चढ गई।-जिप्मी, पृ० १६६ । सात समुद्र पार %D अवध साढसाती जनु बोलो। तुलसो (शब्द॰) । बहुत दूर । उ०-सात समुद्र पार, सहवो कोस की दूरी पर साढ़ासतीg-मज्ञा स्त्री॰ [स० सार्धक, प्रा० सड्ढअ, साढन + हिं० बैठे।-प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ० ३७२ । सात मलाम = साढा साती] दे० 'साढेसाती' । उ०- राम ही केतु अर राहु अनेकानेक प्रणाम। अत्यत विनीतता। उ०-पथी एक साढासती। राम ही राम सो सप्तवारा ।-राम० धर्म०, संदेसडउ कहिज्यउ सात सलाम ।-होना०, दू० १३६ । पृ० २१६। सातो भूल जाना = होश हवाश चला जान । इद्रियो का काम साढी-सञ्ज्ञा स्त्री० [भ० पापाढ, हि० असाढ] वह फसल जो असाढ न करना (पाँच इद्रियाँ, मन और बुद्धि ये सब मिलकर सात मे वोई जाती है । असाढी । हुए)। सात राजाप्रो की माक्षी देना = बहुत दृटतापूर्वक साढ़ी--संज्ञा स्त्री॰ [देश॰ अथवा स० सज्ज + दधि] दूध के ऊपर कोई बात कहना । किसी बात को मत्यता पर बहुत जोर देना। जमनेवाली बालाई । मलाई । उ०--सव हेरि धरीहै साढी । लै उ०-मनसि वचन अरु कमना कछु कहति नाहिन राखि । सूर उपर उपरते काटी।--सूर (शब्द०)। प्रभु यह बोल हिरदय सात राजा माखि ।-मूर (गव्द०)। साढो-मज्ञा स्त्री० [सं० शाल] शाल वृक्ष का गोद । सात सोकें बनाना = शिशु के जन्म के ठे दिन की एक साढी-सज्ञा स्त्री० [स० शाटिका] दे० 'साडी'। रीति जिममे मात सीके रखी जाती है। उ०-साथिये साढ़--सज्ञा पु० [स० श्यालिवोढ़ी] साली का पति । पत्नी की बहन वनाइके देहि द्वारे सात सीक बनाय । नव किसोरी मुदित का पति। ह ह गहति यशुदाजी के पायें । -सूर (शब्द०)। साढे-वि० [स० सार्द्ध] और आवे से युक्त । प्राधा और के साथ । सात-मज्ञा पुं० [स० शान्त] साहित्य शास्त्र में वरिणत रमो मे से जैसे,—साढे सात । ६ वां रस। विशेप-दे० 'शात'। उ०--बीभछ अरिन साढ़ेचौहारा-सज्ञा पु० [हिं० साढे + चौ( = चार) + हारा (प्रत्य॰)] समूह, सात उप्पनी मरन भय ।--पृ० रा०, २५५०१ । एक प्रकार की वाँट जिसमे फसल का ५।१६ अश जमीदार को सात"--वि० [म०] १ प्रदत्त । दिया हुअा। २ नष्ट । ध्वस्त [को०] । मिलता है और शेप ११।१६ अश काश्तकार को सात'--सज्ञा पु० [स०] ग्रानद । प्रसन्नता [को॰] । सातकर-वि० [स० सात्विक] दे० 'सात्विक' । उ०--राजस साढ़ेसाती-सज्ञा स्त्री० [हि० साढे + सात + ई (प्रत्य॰)] शनि ग्रह तामस सातक माया।-प्रारण, पृ० ५६ । की साढे सात वप, साढे सात दिन आदि की दशा। सातक'-वि० [स० सप्त, हिं० सात + क (प्रत्य०) या एक] लगभग विशेष--फलित ज्योतिप के अनुसार शनि ग्रह की साढेसाती का सात । जो सात की सख्या के ग्राम पास हो। उ०---साथ फल बहुत बुरा होता है। किरात छ सातक दीन्हे । मुनिवर तुरत विदा चर कीन्हे । मुहा०-साढेसाती आना या चढना = दुर्दशा या विपत्ति के -मानस, २।२७१ । दिन पाना। यौ०-छ सातक = दे० 'सातक"। साण@+-सज्ञा पु० [फा० शान या सं० शाण] शान । गुमान । सातगी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हि० सादगी] सात्विकता। सादगी । उ०- उ०-भोरे भोरे तन कर पडै करि कुरवारण । मिट्टा कौडा ना दादू माया का गुण बल कर पापा उपजै पार राजस् लग, दादू तो हू सारण ।--दादू०, पृ० ६५ । तामस सातगी, मन चचल है जाइ।--दादू०, पृ० ४१६ । साण@+२-सज्ञा स्त्री॰ [स० शाण] दे॰ 'सान" । उ०-जन रज्जव सातत्य--सशा पु० [स०] सततता । नैरतय । स्थायी रूप से चलते गुरु साण परि झूठी मनतर वारि।-रज्जव०, पृ० ११ । रहने की स्थिति [को०)। सात--वि॰ [स० सप्त, प्रा० सत्त] पाँच और दो। छह से एक सातपूती-सशा स्त्री० [हिं० सात + पूती] दे० 'सतपुतिया' । अधिक। सातफेरी-सज्ञा स्त्री॰ [हि. सात + फेरी] विवाह की भॉवर नामक सात-सञ्ज्ञा पुं० पाँच और दो के योग की सख्या जो इस प्रकार लिखी रीति जिसमे वर और वधू अग्नि की सात बार परिक्रमा करते जाती है- हैं । सप्तपदी। !