पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२५

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1 संकृष्ट सकृष्ट-वि० [स०] १. खीचकर पास लाया हुअा। खीचा हुआ। २ सूखना। उ०--जलमकोच विकल मइ मोना ।-मानम,४। एक साथ किया हुअा (को०] । २० । १२ वधन । बब (को०) । झुकना । नम्र होना (को०)। सकेत-सक्षा पु० [म०] १ अपना भाव प्रकट करने के लिये किया हुया यौ०-सकोचकारी = (१) नम्र हानेवाला। (२) लज्जालु । कायिक परिचालन या चेष्टा । इशारा। इगित । २ प्रेमी शरमीला । सकोत्रपत्रल। सकोचपिशुन । सकोचरेसा प्रेमिका के मिलने का पूर्वनिर्दिष्ट स्थान । वह स्थान जहाँ सिकुडन की रेखा । झुरीं। प्रेमी और प्रेमिका मिलना निश्चित करे । सहेट । ३ कामशास्त्र सकोचक-वि० [म० सङ्कोचक] जो सकुचित करे। सकोचन करने- सबधी इगित । शृगार चेष्टा । ४ प्रेमी और प्रेमिका द्वारा वाला (को०] | किया गया निश्चय (को०) । ५ परपरा । करार । ठहराव सकोचन'-महा पु० [स० सङ्कोचन] १ सिकुडने की क्रिया । २ एक (को०)। ६ व्यवस्था। विधान । शर्त (को०)। पर्वत का नाम (को०)। निशान । ८ पते को गते । उ०-सरुप जानको जानि कपि संकोचन - वि० १ लज्जा करनेवाला २ सिकुडनेवाला थिो०] । कहे सकल सकेत । दीन्हि मुदिका लोन्हि सिय प्रीति प्रतीति सकोचनी-पहा स्त्री० [स० सङ्कोचनी लजालू नाम को लता। समेत ।-तुलसी (शब्द०)। ६ न्याय, व्याकरण आदि मे एक सकोचपत्रक-पधा पु० म० सङ्कोचानक वृक्षों का एक प्रकार का वृत्ति । यह शब्द या पद इस प्रकार का अर्थबोवन करे यह रोग जिसमे उनके पत्तो के ऊपर कुछ दाने से निकल आते है सकेत या इच्छा (को०)। और पत्ते सिकुड जाते हैं। यौ०-सकेतकेतन, सकेतगृह, सकेतनिकेत, सकेननिकेतन, सकेत- भूमि, सकेतरथल, सकेतस्थान = प्रेमी प्रेमिका का मिल्न सकोचपिशुन -मचा पु० [म० सङ्कोचपिशुन] कुकुम । केसर। स्थान । सहेट। सकोचित'-वि० [स० सडकोचित] १ सकोचयुक्त। जिसमे सकाच हो। २ जो विकसित या प्रफुल्लित न हो। अप्रफुल्लित। सकेतक-सज्ञा पु० [स०] १ निर्धारण। सहमति । निश्चय । २ ३ लज्जित । शरमिंदा। सकेतस्थल । ३ मिलन का निश्चय करनेवाली नायिका या सकोचित-स्शा पृ० तलवार के बत्तीस हाथो मे से एक हाथ । नायक (को०)। सकेतग्रह, सकेतग्रहण-सञ्चा पुं० [स० सङ्केतग्रह, सङ्केतग्रहण तलवार चलाने क. एक ढग या प्रकार । शब्दार्थ ग्रहण करने की क्रिया । शब्द की अर्थ बोध कराने की सकोची-सशा पु० [स० सड कोचिन्] १ सकोच करनेवाला । २. शक्ति का आधारभूत धर्म। सकेत या अभिप्राय का ग्रहण । सिकुडनेवाला । ३. जिसे सकोच या लज्जा हो । शर्म करने- उ०-शब्द की अर्थवोधन शक्ति, शब्द और अर्थ का सवध वाला। अयवा सकेतग्रहण भापाज्ञान के लिये आवश्यक है।-भाषा सकोपना@-क्रि० अ० [स० सम् + कोप+हिं० ना० (प्रत्य॰)] शि०, पृ० १८। क्रोध करना । क्रुद्ध होना । गुस्सा करना। विशेप--वक्ता द्वारा कहे गए शब्द सुनने पर श्रोता जिस क्रिया से सक्रद-सज्ञा पु० [स० सड क्रन्द] १ युद्ध। लडाई । २ कालाहल । वक्ता के शब्द का ठीक ठीक अभिप्राय आत्मगत करता हे उसे शोरगुल । ३. रोना । आक्रदन । बिलपना। ४ सोमरस को सकेतग्रह या सकेतग्रहण कहते है। निकालने या निचोडने का साधन । अभिपवरण को०] । सकेतन-सञ्ज्ञा पु० [स० सङ्केतन] १ आपसी निश्चय । २ सहेट । सक्रदन-सज्ञा पुं॰ [स० सड क्रन्दन] १ शक्र । इद्र । सुरपति । उ०- मिलने का स्थान को० । सक्रदन कृपाल सुरत्नाता । वज्री मुक्ति मुक्ति के दाता ।-गिरिधर सकेतवाक्य-सचा पु० [स०] स्वपक्ष के व्यक्ति का परिचायक विशिष्ट (शब्द०)। २ पुराणानुसार भौत्य मनु के पुत्र का नाम । शब्द [को०] । ३ लदाई । युद्ध । सग्राम (को०)। ४. दे० 'क्रदन'। सकेतित-वि० [स० सङ्केतित] १ निश्चित किया हुआ। ठहराया यौ०-सक्रदननदन, सदनपुन % (१) वालि नामक वानर । हुआ। २ आहूत । निमनित। ३ इशारा किया हुआ। (२) अर्जुन । पार्थ। इगित (को०)। सक्रम-सज्ञा पु० [स० सङ्क्रम] १ कष्ट या कठिनतापूर्वक बढने की यौ-सकेतितार्थ = वह अर्थ जो सकेतित या इगित हो । क्रिया । सप्रवेश । २ पुल ग्रादि बनाकर किमी स्थान मे प्रवेश सकोच-सञ्ज्ञा पु० [स० सङ्कोच] १ सिकुडने की क्रिया। खिचाव । करना । ३ पुल । सेतु। ४ प्राप्ति । ५ सक्रमण । सत्राति । तनाव। जैसे, अगसकोच, गानसकोच । २ लज्जा। शर्म। ६ साथ गमन करना। साथ जाना (को०)। ७ गमन। ३ भय । ४ अागा पीछा । पसोपेश । हिचकिचाहट । ५ कमी। गति (को०)। ८ भ्रमण । सचलन (को०)। ६ दुर्गम ६ एक प्रकार की मछली। ७ केसर। कुमकुम । ८ एक रास्ता । तग राह (को०)। उल्कापात। अलकार जिसमे 'विकास अलकार' से विरुद्ध वर्णन होता है टूटना (को०)। ११ विभिन्न राशियो मे अाकाशीय पिंट वा या किसी वस्तु का प्रतिराय सकोच वर्णन किया जाता है। ग्रहो के सचरण की कक्षा या मार्ग (फो०) । १२ सोपान। बहुत सी बातो को थोडे मे कहना। १० बद होना। मुंदना । सीढी (को०)। १३ किसी लक्ष्य को प्राप्त करने का साधन जैसे, कमलसकोच, नेत्रसकोच (को०)। ११ शुष्क होना। १० तारा या मार्ग (को०)।