पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२६

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४८४२ 6 ७ संक्रमए मक्षय सक्रमए-सज्ञा पुं० [स० सड क्रमरण] १ गमन । चलना। २ अति या छूत ग्रादि के कारण एक मे पीरो मे फैलता हो । जैसे,- क्रमण। ३ सूर्य का एक राशि से निकलकर दूसरी राशि मे चेचक, प्लेग, महामारी, क्षयी ग्रादि रोग महामक हाते है। प्रवेश करना। घूमना फिरना। पर्यटन । ५ मिलन । सकामयितव्य-वि० [स० सद कामयितव्य] समामित कराने के सयाग (को०)। ६ एक अवस्था से दूसरी अवस्था मे प्रवेश । योग्य को०] । ७ सूर्य के उत्तरायण होने का दिन (को०)। ८ परलोक यावा । सक्रामित -वि० [स० सड कामित] १ हस्तातरित । दिया हुआ। मृत्यु (को०)। ६ सगमन । सहमति (को॰) । १० माग २ वतलाया हुआ (को॰] । (को०)। ११ हस्तातरण (को॰) । सक्रामो-मशा पु० [स० मटकामिन् १ वह जो लोगो मे रोगो का सक्रमएका-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [न० सट क्रमणका दीर्घिका । गैलरी (को०] । सनमण कराता हो। रोग फैलानेवाला। २ वह जो सक्रमण सक्रमित-वि० [म० सङ्क्रमित] १ परिवर्तित । २ प्रविष्ट (को०] । करे या फैले । अन्य के पाम जानेवाला (को०)। सक्रमिता--वि० [स० सड नमिता] १ सक्रमण करनेवाला। २ गमन सक्रोड -सधा पुं० [स० सदनोट] १ परिहास । हमी ठट्ठा। नोडा । करनेवाला । ३ प्रवेश करनेवाला [को०] | विनोद । २ एक माम का नाम । सक्रात'-सञ्ज्ञा पु० [स० सटकात १ दायभाग के अनुसार वह धन सक्रीडन-शा पु० [२० सकोडन] १ पेल कोडा। विनोद । २ जो कई पीढियो से चला आया हो । २ सूय का एक राशि से बहुतो का एक साथ नोडा, हास परिहास प्रादि करना किो०] । दूसरी राशि मे जाना। विशष द० 'सक्राति' । ३ वह सपत्ति सक्रीड़ित'-सहा पु० [स० मड क्रीडित] रय चलने के समय होनेवाली जो पति द्वारा स्त्री को प्राप्त हो। पति से प्राप्त स्त्री की आवाज (को०)। सपत्ति (को०)। सक्रीडित-वि० नोडित । पेला हुअा [को०] । सक्रात'-वि०१ मिला हुआ। प्राप्त । २ बीता हुआ । गत । ३ सक्रुद्ध-वि० [म० सड क्रुद्र] बहुत अधिक युद्ध (को०] । प्रविष्ट (को०)। ४ स्थानातरित । न्यस्त (को०)। ५ ग्रस्त । सक्रोन-सज्ञ सी० [स० सडकमण) सनमण। सक्राति । विशेप गृहीत (को०)। ६ प्रतिफलित। प्रतिदिविन (को०)। दे० 'सक्राति'। उ०-तिय तिथि तरनि मिसोर वय, पुन्य चित्रित (को०) 1 ८ सक्रातियुक्त (को॰) । काल सम दोन । काहू पुन्यनि पाइयत, बस सधि सकोन ।- सक्राति-सज्ञा स्त्री० [स० सड क्रान्ति] १ एक राशि से दूसरी राशि मे विहारी (शब्द०)। गमन । २ सूर्य का एक राशि से दूसरी मे प्रवेश करने सक्रोश-सझा पु० [स० सट जोश] १ जोर से शब्द करना । एक का समय। साथ चिल्लाना।२ एक साम का नाम । ३ नोध यादि के विशेष-प्राय सूर्य एक राशि मे ३० दिन तक रहता है। और आवेश मे बोलना (को०)। जब वह एक राशि से निकलकर दूसरी राशि मे जाता है, तब उसे सक्राति कहते है। वास्तव मे सक्राति काल वही होता हे सक्लिष्ट-वि० [स० मा क्लिप्ट] १ मदित। कुचला हुना। २ सक्लिन्न-वि० [स० सडि क्लय] गीला । तरवर । पार्द्र । फो०] । जब सूर्य दो राशियो की ठीक सीमा पर या वीच मे होता है। वब्बेदार (जैसे-पाईना)। ३ कठिनाइयो से नरा हुआ। यह सक्राति काल बहुत थोडा होता है। पुराणा- जो क्लिष्ट हो किो०] नुसार यह काल बहुत पुनीत माना जाता है और इस समय लोग स्नान, दान, पूजन इत्यादि करते हैं। इस समय का यो०-सक्लिप्टकर्मा = वह जो किसी काम को नदो कठिनाई से करता हो। किया हुआ शुभ काय बहुत पुण्यजनक माना जाता है। ३ वह दिन जिसमे सूर्य एक राशि से दूसरी रागि मे जाता है । ३, सक्लेद-सक्षा पुं० [स० सड क्लेद] १ नमी। गीलापन । २ गर्भाशय सगमन । मेल (को०)। ४ एक विंदु से दूसरे विंदु तक से स्रवित होनेवाला वह द्रव पदार्य जो गर्भाधान के बाद का मार्ग (को०) । ५ हस्तातरण (को०) । ६ प्रतिविव । उत्पन्न होता हे और जिससे भ्रूण को पोपण प्राप्त होता है ७ अकन । चित्रण (को०)।८ विद्या दान को शक्ति (को॰) । [को०] । सक्रातिचक्र - सज्ञा पु० [स० सङक्रान्तिचक्र] फलित ज्योतिष के सक्लेश-सज्ञा पु० [म० सड क्लेश] कप्ट । पीटा (को०] । अनुसार मनुष्यो के शुभ अशुभ जानने के हेतु बनाया यौ०-सक्लेशनिर्वाण = कष्ट से मुक्ति । पीडा से छुटकारा । हुप्रा मनुष्य के प्राकार का नक्षत्रो से अकित एक प्रकार का सक्लेशन-सज्ञा पुं० [स० सडक्लेशन] क्लेश देना [को०] । चक्र जिससे यह जाना जाता है कि मनुष्य के लिये किस सक्राति का फल शुभ और किसका अशुभ होगा। सक्षय-सज्ञा पुं० [स० सङ क्षय] १ सम्यक् प्रकार से नाश । पूरी तरह बरबादी। २ विनाश। ध्वस । वरवादी। ३ प्रलय । सक्राम-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० सडझाम कष्ट या कठिनाई से युक्त प्रगति । ४ अाश्रय । गृह । ५ हानि । क्षति (को०)। ६ समाप्ति। सप्रवेश । दे० 'सक्रम'। अत। ७ मृत्यु। मौत। ८ एक मर- सक्रामक-वि० [स० सड कामक] जो (रोग या दोष आदि) ससर्ग त्वान् (को०)। लोप (को०)।