पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२८५

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सिंहकर्ण ६००५ सिहमाया है। ६ रक्त शिग्रु। लाल सहिजन। ७ एक राग का नाम । सिहनाद-सञ्ज्ञा पु० [म०] १ सिंह की गरज। २ युद्ध मे वीरो की ८ वर्तमान अवसर्पिणी के २४ वे अर्हत् का चिह्न जो जैन लोग ललकार । युद्धघोप। रणनाद । ३. मत्यता के निश्चय के रथयाना आदि के समय भाडो पर बनाते है । ६ एक आभूपण कारण किसी बात का नि शक कथन। जोर देकर कहना। जो रय के वैलो के माथे पर पहनाते है । १० एक कल्पित ललकार के कहना। ४ एक प्रकार का पक्षी। ५ एक पक्षी । ११ वेकट गिरि का एक नाम । १२ कृष्ण के एक पुत्र वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण मे मगण, जगण, सगरण, सगण का नाम (को०) । १३ विद्याधरो का एक राजा (को॰) । और एक गुरु होता है। कनहस । नदिनी। उ०-सजि सी सिहकर्ण-मशा पु० [स.] वास्तु की एक विशेष सज्जा। भवन के सिंगार कलहम गती सी। चलि पाइ राम छवि मडप दीसी। तोरण आदि पर बना वह ताखा या मुख जो सिह को प्राकृति ६ सगीत मे एक ताल । ७ शिव का एक नाम। ८ वीद्ध- का हो [को०)। सिद्धातपरक ग्रथो का पाठ को०)। ६ एक असुर (को०)। सिहकपी -सज्ञा स्त्री० [स०] बाण चलाने मे दाहिने हाथ की १० रावण के एक पुत्र का नाम । एक मुद्रा। सिहनादक-संज्ञा पु० [स०] १ सिंघा नामक वाजा। २ सिंह की सिंहकर्मा - सज्ञा पु० [स० सिंहकर्मन्] सिंह के समान वीरता से काम गरज । सिंहनाद (को०)। ३ युद्धघोप (को॰) । करनेवाला । वीर पुरुप। सिहनाद गुग्गुल-सज्ञा स्त्री॰ [स०] एक यौगिक औपध जिममे प्रधान सिहकेतु-शा पु० [स०] एक बोधिसत्व का नाम । योग गुग्गुल का रहता है। सिहकेलि-सञ्चा पु० [स०] प्रसिद्ध बोधिसत्व मजुश्री का एक नाम । मिहनादिका-संज्ञा स्त्री॰ [में०] जवासा । धमासा । दुरालभा । हिगुणा । सिहकेशर, सिहकेसर--मचा पु० [स०] १ सिंह की गरदन के वाल। सिंहनादी-वि० [स० सिहनादिन्] [स्त्रो० सिंहनादिनी] सिंह के समान गरजनेवाला। २ मौलसिरी । वकुल वृक्ष । ३ एक प्रकार की मिठाई । सूत- फेनी। काता। मिहनादो-तज्ञा पुं० एक बोधिसत्व का नाम । सिहग - सज्ञा पु० [स०] शिव का एक नाम । सिहन -सज्ञा झा० [स०] १ सिंह की मादा । शेरनी। २ एक छद का सिहगर्जन-सज्ञा पु० [स०] दे० 'सिंहनाद' । नाम। विशेष-इसके चारो पदो मे क्रम से १२, १८, २० और २२ सिहनीव-वि० [स०] सिंह के समान गर्दनवाला (को०] । मात्राएँ होती हैं। अत मे एक गुरु और २०, २० मानायो पर सिहघोष-सज्ञा पु० [स०] एक बुद्ध का नाम । १ जगण होता है । इसके उलटे को गाहिनी कहते है। सिंहचित्रा--नशा खी० [स०] मपवन । मापपर्णी । सिहपत्रा 1-स्शा सो० [स०] मापपर्णी। सिहच्छदा-सज्ञा स्त्री॰ [स०] सफेद दूव । सिहपर्णी-मशा सी० [सं०] अडूसा। वासक। सिहतल-सज्ञा पु० [स०] अजलि । अँजुरी किो०] । सिहपिप्पलो-~मज्ञा सी० [१०] सैहलो। सिहताल, सिहतालाख्य--सशा पु० [स०] दे॰ 'सिंहतल' [को०)। सिहपुच्छ-सज्ञा पु० [म० पिठवन] पृश्निपर्णी । सिहतुड-सशा पु० [मे० सिंहतुण्ड] १ सेहुँड । स्नु हो । थूहर । २ एक प्रकार की मछली। सिहपुच्छिका-सञ्ज्ञा सी० [सं०] द० 'सिंहपुष्पी' । सिहतुडक--मज्ञा पु० [स० सिहतुण्डक] एक मत्स्य । सिहतु ड [को०] । सिहपुच्छो-मज्ञा स्त्री० [स०] १ चित्रपर्णी। २ जगली उरद। माप- पर्णी । ३ पृश्निपर्णी । पिठवन (को॰) । सिहदष्ट्र-सज्ञा पु० [म०] १ एक प्रकार का वाण। २ शिव का एक नाम । ३ एक असुर (को०)। सिहपुरुष-सज्ञा पु० [सं०] जैनियो के नौ वासुदेवो मे से एक वासुदेव । सिहद-वि० [स०] सिह के समान गर्ववाला [को०] । सिंहपुप्पी-मज्ञा स्त्री॰ [स०] पिठवन । पृश्निपो । सिहद्वार - सज्ञा पु० [स०] प्रामाद का मुख्य द्वार या सदर फाटक जहाँ सिहपौर-मञ्ज्ञा पु० [स० सिंह + हिं० पौर] सिंहद्वार। प्रासाद का सिंह की मूर्ति बनी हो । उ०-सिंहद्वार प्रारती उतारत यशुमति सदर फाटक (जिसपर सिंह की मूत्ति वनी हो)। उ०--भीर आनंदकद ।--सूर (शब्द०)। जानि सिंहपौर नियन की यशुमति भवन दुराई।--सूर सिहद्वीप-सज्ञा पुं० [सं०] एक द्वीप का नाम [को०) । (शब्द०)। सिहध्वज--सशा पु० [स०] एक बुद्ध का नाम । सिहप्रगर्जन--वि० [स०] सिंह की तरह गरजनेवाला [को०] । सिहध्वनि-सज्ञा स्त्री० [स०] १ सिंह की गर्जना । २ युद्धघोष । सिहप्रगजित-संज्ञा पु० [स०] सिंह की गरज । सिंहनाद [को०] । रणनाद (को०)। सिंहप्रपाद--सज्ञा पु० [स०] युद्धघोप । रणनाद । ललकार [को०] । सिंहनदन-सशा पु० [म० सिंहनन्दन] सगीत मे ताल के साठ मुख्य सिहमल-तज्ञा पुं० [स०] एक प्रकार की धातु या पीतल । पचलौह । भेदो मे से एक। सिहमाया-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] सिंह की माया । सिंह को प्राकृति का भ्रम सिंहनर्दी-वि० [स० सिंहनदिन] सिंह के समान नाद करनेवाला [को०] । या वहम।