पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३०४

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सिपावा भाथी ६०२४ सिफारश अरदली। सिपावा भाथी-सज्ञा स्त्री० [फा० सेहपाव+ हि० भाथी] लोहारो की ४ रग। प्रभाव । धाक। हाथ से चलाई जानेवाली धौंकनी। क्रि० प्र०-जमना। जमाना। सिपास--सज्ञा स्त्री॰ [फा०] १ धन्यवाद । शुक्रिया । कृतज्ञताप्रकाशन । सिप्पी -सज्ञा स्त्री॰ [हि• सीपी] दे० 'सीपी' । २ प्रशमा । वडाई । स्तुति । सिप्र-संज्ञा पुं॰ [स०] १ सुधाशु । चद्र । २ एक मरोवर का नाम । यौ० - मिपासगुजार, सिपामगो = स्तुतिपाठक । प्रशसक । सिपास ३ पसीना । प्रस्वेद [को०] । नामा। सिप्रा-मज्ञा पु० [स०] १ महिपी। भैस । २ एक झील । ३ सिपापनामा सञ्चा पुं० [फा० सिपासनामह,] १ विदाई के समय का स्त्रियो का कटिवध । ४ मालवा की एक नदी जिसके किनार अभिनदनपत्र । २ प्रतिष्ठापन | मानपन्न । उज्जन (प्राचीन उज्जयिनी) वमा है । शिप्रा । सिपाह--सज्ञा स्त्री॰ [फा०] फौज । सेना । कटक । लश्कर । उ० सिफत-सज्ञा स्त्री० [अ० सिफत] १ विशेषता । गुण | उ०--जवान अरि जय चाह चले सगर उछाह रेल विविध सिपाह हमराह विना क्या सिफत आवै ।--पलटू०, पृ० ६३ । २ लक्षण । जदुनाह के ।- गोपाल (शब्द०)। उ०-भला मखलूक खालिक की सिफत समझे कहाँ कुदरत । सिपाहगरी, सिपाहगिरी-सशा सी० [फा०] १ सिपाही का काम या इसी से नेति नेति से पार वेदो ने पुकारा है।--भारतेंदु पेशा । अस्त्र व्यवसाय । २ शूरता । वहादुरी (को॰) । ग्र०, भा॰ २, पृ० ८५१ । ३ स्वभाव । ४ प्रशमा। स्तुति सिपाहियाना-वि० [फा० सिपाहियानह.] १ सिपाहियो का सा । (को०)। ५ मूरत । शक्ल । सैनिको का सा । जैसे,—सिपाहियाना ढग, सिपाहियाना ठाट । सिफति-सज्ञा स्त्री० [अ० मिफन] गुणगान । स्तुति । प्रशस्ति । २ वीरतापूर्ण । शौर्ययुक्त । वहादुराना (को॰) । उ०--मिफति करी दिन राति टारे ना टरांगा ।--पलटू०, पृ० ८६ । सिपाही-सञ्ज्ञा पु० [फा०] १ सैनिक । लडनेवाला। शूर । योद्धा। फौजी आदमी। २ कास्टेविल । पुलिस । तिलगा । ३ चपरासी। सिफर-सशा पु० [अ० सिफर, अ० साइफर, सिफर] १ शून्य । सुन्ना। विदी। २ रिक्त, माधारण या तुच्छ व्यक्ति (को०) । सिपुर्द-वि० [फा० सिपुर्द] सौंपा हुआ । हवाले किया हुआ। दे० सिफलगी-सज्ञा स्त्री० [अ०सिफलह, + फा० गी] योछापन। कमीनापन । 'सुपुर्द' । सिपुर्दगी--सज्ञा स्त्री॰ [फा०] १ सिपुर्द करना । सौंपना । २ हवालात । सिफला-वि० [अ० मिफलह, सिफ्लह] १ नीच । कमीना । २ हिरासत (को०] । छिछोरा । अोछा। यौ०--मिफतागर = निम्न कोटि के काम करनेवाला । सिफ- सिपुर्दा--वि० [फा० सिपुर्दह,] सौपा हुआ । हस्तातरित [को०)। लाखू = 'दे० सिफलामिजाज'। सिफलानवाज = नीचो, छिछोरो सिपेद--वि० [फा०] श्वेत । सफेद [को०] । को उत्साहित करनेवाला। मिफलापन। हिफलापरवर = सिपेद-सशा पु० [फा० सिपेदह,] सफेदी । धवलिमा [को०] । सिफलानवाज । सिफ्लामिजाज = क्षुद्र प्रकृतिवाला । निम्न सिप्पर-सज्ञा स्त्री० [फा० सिपर] दे० 'सिपर' । उ०-झम भमत स्वभाव का। सिप्पर सेल सांगरु जिरह जग्गो दीसिय । मनु सहित उडगन सिफलापन-मज्ञा पु० [अ० सिफलह+हिं० पन (प्रत्य॰)] १. नव ग्रहनु मिल जुद्ध रक्कि वरीसिय ।--सुजान (शब्द०)। छिछोरापन । अोछापन । २ पाजीपन । सिप्पा-सशा पु० [देश॰] १ निशाने पर किया हुआ वार । लक्ष्य सिफा-सज्ञा स्त्री॰ [अ० शिफ] दे० 'शिफा'। वेध । २ कार्य साधन का उपाय । डौल । युक्ति । तदबीर। सिफात'-सज्ञा स्रो० [अ० मिफात] सिफ्त बहुवचन। उ०- टिप्पस । अलख सबै नाप कही लखौ कौन विधि जाइ। पाक जात की क्रि० प्र०-लगना।-लगाता। रसिकनिधि जगत सिफात दिखाइ।--स० सप्तक, पृ० १७६ । मुहा०—सिप्पा लडना या भिडना = (१) युक्ति या तदबीर सिफ ती-वि० [अ० सिफाती] १ जो महज या स्वाभाविक न हो । होना। अभिसधि होना । (२) युक्ति सफल होना । इधर उधर जो अभ्याम अादि मे प्राप्त हो। २ सिफ्त से सवद्ध। गुण की कोशिश कामयाव होना। सिप्पा भिडाना या लडाना- ग्रादि से संबद्ध । उ०-सिफाती सिजदा कर जाती देपरवाह । युक्ति या तदबीर करना । लोगो से मिलकर उन्हें कार्यसाधन दादू०, पृ० ३५०1 मे सहायक बनाना । इधर उधरकर कहसुनकर कोशिश करना। सिफारत-सश मी० [फा० सिफारत] १ दौत्य । दूत कार्य । २ किसी जैसे-जगह के लिये उसने बहुत सिप्पा लडाया पर न मिली। राज्य का प्रतिनिधिमडल [को०] । ३ डौल । मूत्रपात । प्रारभिक कार्रवाई। सिफारतखाना - सज्ञा पुं० [फा० सिफारतखानह] दूतावास । दूत के महा० -सिप्पा जमाना = डौल खडा करना। किसी काम की रहने तथा कार्य करने का स्थान [को०] । नोव देना । किसी कार्य के अनुकूल परिस्थिति उत्पन्न करना । सिफारश-सञ्ज्ञा पुं० [फा० सिफाशि] दे० "सिफारिश'। उ०- भूमिका वाँधना। इस्का लेन देन टेढ पौने दो वरस से एक दोस्त की सिफारश