पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३५१

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सुजन सुजानता सुजन-वि०१ भला । अच्छा । - दयानु । परोपगरी [को०)। से उत्पन्न । ३ अन्छे युग में उत्पन। ४ मुदर । " प्रत्यन सुजन'--सशा पुं० [सं० स्वजन, प्रा० मुजन] परिवार के लोग। ग्घर (६ अच्छी तरह यधिन या बढा हुया । लवा प्रात्मीय जन । उ०-(क) माँगत मोरा फिरत घर घर ही (को०) । ७ ग्रन्छे ढग मे निर्मित किया हुगा (को॰) । सुजन कुटु ब वियोगी।-मूर (शब्द०) । (ख) हरपित सृजन सुजात'--ना पुं० [मं०] १ धतराष्ट्र के एय पुत्र या नाम । २ भरत सखा त्रिय वालक कृष्ण मिलन जिय भाए।-मूर (शब्द०)। के पुत्र का नाम । ३ मांड (बौद्ध)। (ग) रामराज नहिं कोऊ गेगी। नहिं दुरमिक्ष न सुजन सुजातक---सा पुं० [मं०] मीदर्य । सुदरता। वियोगी। पद्माकर (गव्द०)। सुजातका--मस. पी. म०] शालि धान्य । युयुमशालि सुजनता-सज्ञा स्त्री॰ [स०] १ मजन का भाव । सोजन्य । भद्रता । भलमनमाहत । नेकी (को०) । २ भले लोगो का समूह । ३ मुजातरिपु-- मशा ० [सं०] युधिष्ठिर । धेर्य । पराक्रम । साहस (को०)। सुजाता'---सज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ गोपीचदन तुबरी गोरठ की मिट्टी। सौराष्ट्र मत्तिया। २ उद्दालक नापि की पुत्री का नाम। सुजनी--सना सी० [फा० सोजनी] एक प्रकार की बडी चादर जो कई ३ बद्ध भगवान के समय की एक ग्रामीगा कन्या जिसने उन्हें परत की होती और बिछाने के काम आती है। ऊपर साफ वृद्धत्व प्राप्त करने के उपरात भोजन कराया था। कपडे देकर इसकी महीन सिलाई की जाती है। यह बीच बीच मे बहुत जगहो मे सी सिली) हुई रहती है। २ पलग पर सुजाता--वि० सी० १ सदर । सीदयंशला। • सकुलीना (स्त्री)। विछाने की चादर किो०)। सुजाति'--सज्ञा स्त्री॰ [सं०] उत्तम जाति । उत्तम कुन । सुजन्मा-वि० [स० सुजन्मन] १ जिसका उत्तम रूप से जन्म हुआ सुजाति:- मशा पु० वीतिहोत्र का एक पुत्र । हो। उत्तम रूप से जन्मा हुअा। मुजातक । २ विवाहित स्त्री सुजात'- वि० उत्तम जाति का । अच्छे कुन का। पृरुप का औरस पुन । ३ अच्छे कुल मे उत्पन्न । उ०-सूतक सुजातिया'-वि० [स० म + जाति + हिं० इया (प्रत्य०)] अच्छे कुल घर के आस पास फैले हुए उस सुजन्मा के स्वाभाविक तेज से का। उत्तम जाति का। आधी रात के दीपक सहज ही मदज्योति हो गए।-- लक्ष्मणसिंह (शब्द०)। सुजातिया'--सज्ञा पुं० [म० स्व + जानि +इया (प्रत्य॰)] अपनी जाति या वर्ग का। स्वजाति का। उ०-लखि बउवार सुजा- सुजय-सज्ञा पुं॰ [मं०] १ भारी जीत । महान् विजय । २ वह देश, तिया अनव धरै मन नाहि । बडे नैन लति अपुन पं नैना सही स्थान प्रादि जो सरलता से जीतने योग्य हो [को०] । मिहाहिं ।-रतनहजारा (शब्द०)। सुजल'--वि० सुदर जल से युक्त । सुजातीय--वि० [सं०] उत्तम जाति का। सुजल'--सशा पुं० [सं०] १ कमल । पद्म । २ सुदर और अच्छा सुजान -वि० [स० सज्ञान] १ समभदार । चतुर । मयाना। उ०- जल । उ०--कीन्ह सूजल हित कूप विसेखा।--मानस, २ । (क) करत करत अभ्याम के जडमति होत गुजान |---रहीम सुजला--वि. स्त्री० [म.] सुदर जल से युक्त । जनप्राय । अनूप । (शब्द०)। (ग) दोबल कहा देति माहिं सजनी तू तो बढी सुजलाम् सुफलाम् सस्य श्यामलाम् मातरम् । वदे मातरम् । सुजान । अपनी सी मैं बहुत कीन्ही रहति न तेरी ग्रान ।--मूर -राष्ट्रगीत । (शब्द०)। (ग) व्याही सो मुजान सील प बगुदेव जू को, सुजल्प-सा पु० [सं०] १ उज्वलनीलमणि के अनुसार वह मापण विदित जहान जाकी अतिहि बनाई है ।--गिरधर (शब्द॰) । या कथन जो सहृदयता उत्साह, उत्कठा, ऋजता, गाभीर्य, २ निपुग । कुशल । प्रवीण । ३ विज । पडित । ४ सजन । नम्रता, चापल्य तथा भावपूर्ण हो। २ उत्तम कथन । श्रेष्ठ सुजान--सज्ञा पुं० १ पति या प्रेमी । उ०--ग्ररी नीद पाव चहै भापरण। गिहि दृग बसत मुजान । नेसी मुनी धरी य? दो अनि एक सुजस-सशा पुं० [सं० सुयश] दे० 'सुयश' । उ०-सुजस वखानत मयान ।-- रतनहजारा (जन्द०)। २. परमात्मा। ईश्वर । याट चलहि बहु भाट गुनी गन । अमर राट सम सुरय राजभट उ०-चार गर मेवक मगह्ना करत राम, तुनमी सग, रीति ठाट प्रबल तन -गिरधर (शब्द०)। साहिर सुजान की। तुलमी (गन्त)। सुजाक-संशा पुं० [फा० सूजाक] दे० 'मजाक' । सुजानता--संशा सी० [हिं० सुजान + ता (प्रत्य॰)] मुजान होने का सुजागर--वि० [मं० सु (= भली भांति)+जागर (= जागर = प्रका भाव या धर्म । मुजानपन । उ०-(क) केशोदाम मान मुनाम शित होना)] जो देखने में बहुत सदर जान पडे । प्रकाशमान । को नी मेज रिधी नकल गुजानता की नयी मुरादानी है। मुशोभित । उ०-मुरली मृदगन अगाउनी भरत स्वर माउती किधी मृगपाज में पक्ति नो नो गेवं द्विज मविता की छवि सुजागर भरी है गुन ग्रागरे। -देव (शब्द०)। तारी कविता निघानी है।-गर (2011 (ग) विधों सुजात'-वि० [सं०] [वि० सी० सुजाता] १ उत्तम रप ने जन्मा हुआ। केशोदान कानगानता नुजानता किमानो वचन निचिन्नता जिसका जन्म उत्तम रूप से हुप्रा हो । २ विवाहित स्त्री पुरुष किशोरी की ।--केशव (गन्द०)।