पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३६६

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सुनसान ६०८६ सुनियंत उजारू।--श्रीवर पाठक (शब्द॰) । स्वामी हुए विना सुनार'---सा पु० [स० स्वर्णकार] [ग्नी० मुनारिन, सुनारी] मोने सेवक के नगर मनुष्यो बिन सुनसान ।--श्रीधर पाठक चांदी के गहने आदि बनानेवाली जाति । म्वर्णकार । (शब्द०)। (ग) सुनसान कहुँ गभोर बन कहूँ सोर वन पशु सुनार' - सज्ञा पुं० [म०] १ कुतिया का दूध। २ साँप का अडा । करत है। -उत्तररामचरित्न (शब्द०) । २ उजाड । वीरान । ३ चटक पक्षी। गोरा । गौरैया। सुन मान-सज्ञा पुं० सन्नाटा। उ०- निशा काल अतिशय अँधियारा सुनारा-सा स्री० [हिं० सु + नार ( = नारी)] मु दर स्त्री। छाय रहा मुनसान । -श्रीधर पाठक (शब्द०)। सुनारी'--मज्ञा स्री० [हिं० सुनार + ई (प्रत्य॰)] १ सुनार का सुनह--मज्ञा पुं० [म०] जन्हु का एक पुन । काम। २ मुनार की स्त्री। उ०-धाइ जनी नायन नटी सुनहरा--वि० [हिं० सोना] [वि॰ स्त्री० सुनहरो] दे० 'सुनहला' । प्रकट परोसिन नारि । मालिन बरइन शिल्पिनी चुरहेरनी सुनहला-वि० [हिं० सोना + हला(प्रत्य॰)] [स्त्री० सुनहली] सोने के सुनारि ।--केशव (शब्द०)। रग का । सोने का सा । जैसे,—मुनहला काम । सुनहला रग । सुनारी-सशा स्त्री॰ [स० मु+ नारी] सु दर स्त्री। सुनाल'-मज्ञा पुं० सं०] रक्त कमल। लाल कमल । लामज्जक । सुनाई -सज्ञा सी० [हिं० सुनना + आई (प्रत्य॰)] दे० 'सुनवाई' । सुनाल'--वि० जिसकी नाल सुदर हो [को०] । सुनाकुत, सुनाकृत-मञ्ज्ञा पुं० [स०] काली हलदी। कचूर । कर्पूरक । सुनानक-संज्ञा पुं० [१०] अगस्त । वपुष्प का वृक्ष । सुनाद'--मज्ञा पुं० [सं०] १ शख । २ सुदर नाद या ध्वनि । सुनावनी-मरा सी० [हिं० सुनना प्रावनी (प्रत्य०)] १. कही सुनाद' -वि० सु दर नाद या शब्दवाला। विदेश से किसी सवधी आदि की मृत्यु का समाचार आना। सुनादक-सञ्ज्ञा पुं० वि० [स०] दे॰ 'सुनाद' । क्रि० प्र० -प्राना। सुनाना-क्रि० स० [हिं० सुनना का प्रेर० रूप] १ दूसरे को सुनने मे प्रवृत्त करना । कर्णगोचर कराना। श्रवण कराना। २ खरी- २ वह स्नान आदि कृत्य जो परदेश से किसी सवधी की मृत्यु खोटो कहना । जैसे,--तुमने भी उसे खूब सुनाया। का समाचार पाने पर होता है। क्रि० प्र०-मे जाना। सयो० क्रि०-डालना --देना। सुनाशीर सशा पुं० [सं०] दे॰ 'सुनासीर' । सुनानी--सज्ञा स्त्री० [हिं० सुनना + पानी (प्रत्य॰)] दे० 'सुनावनी' । सुनास-वि० [सं०] वि० 'सुनस' । सुनाम-सज्ञा पुं० [स०] १ सुदर्शन चक्र। २ मैनाक पर्वत । ३ धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम । ४ वरुण का एक मनी । सुना-पज्ञा स्त्री० [सं०] १ सु दर एव सुडौल नासिका । २ कोप्रा- । गांड का एक पुत्र । ६ पर्वत । महीधर (को०) । ७ एक सुनासिक-वि० [सं०] जिसकी नाक सुदर हो। सुदर नाकवाला । ठोठी । काकनासा। प्रकार का मन जिसका प्रयोग अस्त्रो पर किया जाता था। सुनास। सुनाभ-वि० १ सुदर नाभि या मध्य भागवाला । सुनासिका-सा सी० [सं०] १ कोग्राठोठी । काकनासा। २ सुदर सुनाभक --सञ्ज्ञा पुं० [सं०] दे० 'सुनाभ' । सुनाभा--मज्ञा स्त्री॰ [स०] कटभो । करही। हरिमल । सुनासीर-सा पुं० [स०] १ इद्र । उ०-सुनासोर सत सरिस सो सुनाभि-वि० [स०] सु दर नाभिवाला। सतत करै विलास ।- मानस, ६।१०।२ देवता । अमर । सुनाम-सज्ञा पुं० [सं०] यश। कीर्ति । ख्याति । सुनाहक-क्रि० वि० [हिं० सु+ फा० ना+अहक] दे० सुनाम द्वादशी--सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] एत व्रत जो वर्ष की वारहो शुक्ला 'नाहक' । द्वादशियो को किया जाता है । सुनिगूढ-वि० [स०] जो अत्यत निगूढ हो। सुनिभृत [को०] । विशेष -अगहन महीने की शुक्ला द्वादशो को इस व्रत का प्रारभ सुनिग्रह -वि० [सं०] जो भली प्रकार नियनित हो। २ जो सरलता होता है। अग्निपुराण मे इसका वडा माहात्म्य लिखा है। से नियत्रण के योग्य हो। दुनिग्रह का उलटा । सुनामा'-मज्ञा पु० [स० सुनामन्। १ कस के आठ भाइयो मे से सुनिद्र-वि० [सं०] जिसे अच्छी नोद आई हो। अच्छी तरह सोया एक । २ सुकेतु के एक पुत्र का नाम । ३ स्कद का एक पार्पद । हुप्रा । सुनिद्रित। ४ वैनतेय का एक पुन । सुनिद्रित--वि० [सं०] दे० 'सुनिद्र' । सुनामा ---वि० १ यशस्वी । कीर्तिशाली । २ सुदर नामवाला (को०)। सुनिनद, सुनिनाद-वि० [स०] १ सु दर नाद या शब्द करनेवाला। सुनामिका--सवा स्त्री॰ [स०] नायमाणा लता । नायमान । २ जिसका स्वर सु दर हो। सुनामी-संज्ञा स्त्री॰ [४०] देवक की पुत्री और वसुदेव की पत्नी। सुनिभृत-वि० [स०] अत्यत निभृत या एकात । अत्यत गूढ । सुनायक-सज्ञा पु० [स०] १ कार्तिकेय के एक अनुचर का नाम । सुनिमय-वि० [सं०] जो सरलता से विनिमय के योग्य हो । २ एक दैत्य का नाम । ३ वैनतेय के एक पुत्र का नाम । सुनियत-वि० [स०] १ सुव्यवस्थित । सुनिर्धारित। सुनिश्चित । ४ वह व्यक्ति जो अच्छा या योग्य नायक हो। २ जिसके रखने में सावधानी बरती गई हो। नासिका।