पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३८०

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सुमन ७००० सुमाली सुमन--वि० १ उत्तम मनवाला। सहृदय । दयालु । २ मनोहर । मु दर। सुमरन-सा स्त्री० दे० 'सुमरनी। सुमन वाप-सञ्ज्ञा पु० [स० सुमन + चाप] कामदेव जिसका धनुप फूलो सुमरना@--क्रि० म० [सं० स्मरण] १ स्मरण करना। नितन का माना गया है। करना । ध्यान करना । 0 वारपार नाम लेना । जपना। सुमनमाल-सज्ञा पु० [सं० सुमन + हिं० माल] पुष्प की माला! सुमरनी--सा नी० [हिं० सुमरना + ई (प्रत्य॰)] नाम जपने की फूलो का हार । उ०-मुरतरु सुमनमाल बहु वरपहिं । मनहुँ छोटी माला जो मत्ताइम दानो की होती है। बलाक प्रवलि मनु करपहिं ।-मानस, ११३४७ । सुमरा--सज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार की मछली। सुम नगज-सज्ञा पुं० [स० सुमन + राज] सुमन अर्थात् देवतायो विशेष यह मछली भारत की नदियों और विशेषकर गरम का राजा देवराज इंद्र । झरनो में पाई जाती है। यह पांच इच तक लवी होती है । सुमनस'---सज्ञा पु० [स० सुमनस्] १ देवता । २ पुष्प । फूल । इसे महुवा भी कहते हैं। सुमनस-वि० प्रमन्नचित्त । उ०-अधकार तव मिटयो निशानन । सुमरीचिका--सज्ञा स्त्री॰ [स०] सारय के अनुसार पाँच प्रकार की भए प्रसन्न देव मनि आनन । वरपहिं सुमनस सुमनम मुमनस । वाधतुष्टियों में से एक । जय जय करहिं भरे अानंद रस । --रघुराज (शब्द॰) । सुममंग-वि० [सं०] मर्मस्थल तक वेधनेवाला (वाण) । सुमनसधुज-सज्ञा पुं० [स० सुमनस् + ध्वज] कामदेव । (डिं०) । सुमल्लिक--सज्ञा पु० [म०] एक प्राचीन जनपद का नाम । सुमनस्क-वि० [सं०] प्रसन्न । सुखी। सुमसायक-संज्ञा पुं० [० मुमन + सायक] कामदेव । (टि०)। सुमना'-सज्ञा पुं०, वि० [स० मुमनस्] दे० 'सुमन'। सुमसुखडा-० [फा० मुम + हिं० सूखना] (घोडा) जिसके गुर सुमना'- सज्ञा स्त्री० [सं०] १ चमेली। जातीपुष्प । २ सेवती। सूसकर मिकुड गए हो। शतपत्री । ३ कवरी गाय। ४ कैकेयी का वास्तविक नाम । सुमसुखडा'--सज्ञा पु० एक प्रकार का रोग जिममे घोडे के खुर ५ दम की पत्नी का नाम । ६ मधू की पत्नी और वीरव्रत की मूखकर सिकुड जाते हैं। माता का नाम। सुमह--सजा पु० [२०] जह.नु के एक पुत्र का नाम । सुमनामुख-वि० [स०] सु दर मुखवाला। सुमहाकपि-सज्ञा पु० [३०] एक दानव का नाम । सुमनायन-सज्ञा पुं० [स०] एक गोत्रप्रवर्तक ऋपि का नाम । मुमहात्यय--वि० [स०] अत्यधिक विनाश करनेवाला [फो०] 1 सुमनास्य-संज्ञा पुं० [स०] एक यक्ष का नाम । सुमात्रा--सज्ञा पु० मलय द्वीपपुज का एक बडा द्वीप जो वोनियो के सुमनित-वि० [सं० सुमरिण + त (प्रत्य॰)] सु दर मणि से युक्त । पश्चिम और जावा के उत्तरपश्चिम में है। उत्तम मणियो से जडा हुअा। उ०-केशव कमल मूल अलि- सुमाद्रेय-सज्ञा पुं० [३० माद्रेय] महदेव (डि०) ' कुल कुनितकि कंधौं प्रतिधुनित सुमनित निचयके । -केशव (शब्द०)। सुमानस-वि० [सं०] अच्छे मन का । सहृदय । सुमनोज्ञघोष-सज्ञा पु० [सं०] बुद्धदेव । सुमानिका--सञ्ज्ञा सी० [सं०] एक वृत्त का नाम जिसके प्रत्येक चरण सुमनोत्तरा-सभा सी० [स०] राजाप्रो के अत पुर मे रहनेवाली स्त्री। मे सात अक्षर होते है जिनमे से पहला, तीसरा, पांचवा और सुमनोदाम--सज्ञा पुं० [स० सुमनोदामन्] पुप्पहार । पुष्पमाला [को०। सुमानी-वि० [स० मुमानिन्] वडा अभिमानी । स्वाभिमानी । सातवाँ अक्षर लघु तथा अन्य अक्षर गुरु होते हैं । सुमनोभर-वि० [स०] फूलो से सजा हुआ। सुमनोमुख -सञ्ज्ञा पुं० [स०] एक यक्ष का नाम । सुमाय-वि॰ [स०] १ अत्यत बुद्धिमान् । २ मायायुक्त । सुमनोरज-सज्ञा स्त्री० [स० सुमनोरजस्] फूल का रज । पराग । सुमार-सा पु० [फा० शुमार] गिनती। गणना । दे० 'शुमार'। पुष्पधूलि । पुष्परेणु [को०। सुमार्ग-सज्ञा पुं० [सं०] उत्तम मार्ग । अच्छा रास्ता । सुपय । सन्मार्ग। सुमनौकम--सज्ञा पु० [स०] देवलोक । स्वर्ग । सुमान-वि० [स०] १ अत्यत सुदर । २ बहुत छोटा । सूक्ष्म (को०] । सुमन्यु'--सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] एक देवगधर्व का नाम । सुमाल-सञ्चा पु० [स०] महाभारत के अनुसार एक प्राचीन जनपद का नाम। सुमन्यु:--वि० अत्यत क्रोधी। गुस्सेवर। सुमफटा --मज्ञा पुं० [फा० सुम + हिं० फटना] एक प्रकार का रोग सुमालिनी-संशा स्रो॰ [स०] १ एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण जो घोडो के खुर के ऊपरी भाग से तलवे'तक होता है। यह मे छह वर्ण होते हैं। इनमे से दूसरा और पांचवां लघु तथा अधिकतर अगले पांवो के अदर तथा पिछले पांवो के खुरो मे होता सुमाली' - सज्ञा पुं० [सं० सुमालिन्] १ एक वानर का नाम । २ अन्य वर्ण गुरु होते है । २ एक गधर्वी का नाम । है। इससे घोडो के लँगडे हो जाने की सभावना रहती है। एक राक्षस का नाम जो सुकेश राक्षस का पुत्र था। सुमर-सज्ञा पुं० [सं०] १ वायु । हवा । २ सहज मृत्यु । विशेष-इसी सुमाली की कन्या कैकसी के गर्भ से विश्रवा से सुमरन -सज्ञा पुं० [सं० स्मरण] दे॰ 'स्मरण'। रावण, कुभकर्ण, शूर्पनखा और विभीपण उत्पन्न हुए थे।