पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३९३

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1 चमरी गाय । सुरसैनी ७०१३ सुराजीव सुरसैनी--सज्ञा स्त्री० [सं० सुरशयनी] विष्णु शयनी । दे० 'सुरशयनी' । सुराकार-सज्ञा पुं० [स०] शराब चुपानेवाला। शराब बनानेवाला। शौंडिक । कलवार। सुरस्कंध----प्रज्ञा पु० [स० सुरस्कन्ध] एक असुर का नाम । सुरस्त्री--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] अप्सरा। दे० 'सुरसुदरी' । सुराकुभ --मश पुं० [सं० सुराकुम्भ] वह पान या घडा जिसमे मद्य रखा जाता है। शराव रखने का घडा। सुरस्त्रीश-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] अप्सरामो के स्वामी इद्र । सुरस्थान--सज्ञा पुं० [सं०] देवताओ के रहने का स्थान । स्वर्ग। सुर ख'--सज्ञा पुं॰ [फा० सूराख छेद । छिद्र । सुरलोक। सुर.ख '-- सज्ञा पु० [अ० सुराग] दे॰ 'सुराग' । सुरसवंती- मज्ञा स्त्री० [स० सुरस्रवन्ती] आकाशगगा। सुराग-सज्ञा पुं० [स० सु+ राग] १ गाढ प्रेम । अत्यत प्रेम । अत्यत सुरस्रोतस्विनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] गगा। अनुराग। उ०-मुनि वाजति बीन प्रवीन नवीन सुराग हिये उपजावति सी। केशव (शब्द॰) । २ सुदर रग या वर्ण । सुरस्वामी-संज्ञा पु० [स० सुरस्वामिन्] देवताओ के स्वामी, इद्र । ३ सुदर राग। उ०---गाय गोरी मोहनी सुराग बाँसुरी के बीच दे० 'सुरसाई। कानन सुहाय मारयन्न को सुनायगो।-दीनदयाल (शब्द०)। सुरहना-क्रि० अ० [?] घाव का सूखना। जख्म भरना । सुराग:--सज्ञा पु० [अ० सुराग] १ सूत्र । टोह। पता। २ खोज । सुरहरा-वि० [अनु॰] जिसमे सुरसुर शब्द हो । सुरसुर शब्द से युक्त तलाश (को०)। ३. पांव का निशान । पदचिह्न (को॰) । उ०-फेरि दृग फीके मुख लेति फुरहरी देव साँस सुरहरी भुज ४ लकीर । लीक (को०) । ५ वृक्ष । पेड (को०) । चुरी झहरैवै की।-देव (शब्द॰) । क्रि० प्र०-देना।-पाना।-मिलना ।--लगना।--लगाना। सुरहित'-सज्ञा स्त्री॰ [देश॰] दे० 'सुरही' । यो०--सुरागरसा = (१) टोह या पता लेनेवाला। (२) भेदिया। सुरहित-सज्ञा पुं० [म०] देवताओ का कल्याण । गुप्तचर । सुरागरसी = अन्वेषण । तलाश । खोज । टोह । सुरही-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० सोलह + ई (= सोरही)] १ एक प्रकार की सुरागाय--सज्ञा स्त्री० [स० सुर + गाय] एक प्रकार की दोनस्ली गाय सोलह चित्तीकौडियां जिनसे जूना खेलते हैं। २ सोलह चित्ती जिसकी पूंछ गुप्फेदार होती है और जिससे चैवर बनता है । कौडियो से होनेवाला जूआ। विशेष-इस जूए मे कौडियाँ मुट्ठी मे उठाकर जमीन पर फेकी विशेष-यह एक प्रकार के जगली साँड-जो तिब्बत और हिमा- जाती है और उनकी चित्त पट की गिनती से हार जीत होती लय मे होते है और जिनके बाल लवे और मुलायम होते हैं, है । प्राय बडे जुआरी लोग इसी से जुआ खेलते है । और भारतीय गाय के सयोग से उत्पन्न है। यह प्राय पहाडो पर सुरही--सञ्ज्ञा स्री० [स० सुरभी] १ चमरी गाय। २ गौ। गाय । ही रहती है। मैदान की जलवायु इसके अनुकूल नहीं होती। एक प्रकार की घास जो पडती जमीन मे होती है। सुरहुरी -सज्ञा स्त्री० [हिं० सुरसुरी ?] १ श्वासनलिका मे अन्न के सुरागार सज्ञा पु० [म०] १ वह स्थान जहाँ मद्य विकता हो। कल- वरिया। शराबखाना। २ देवगृह । टुकडे, जल आदि का चढ जाना । २. उससे होनेवाली एक प्रकार की पीडा या वेदना । सुरागी--मज्ञा पु० [अ० सुराग] १ टोह लेनेवाला। २ मुखबिर । सुरहोनी---सज्ञा पुं० [कर्ना० सुरुहोनेय] पुन्नाग जाति का एक पेड जो ३ इकबाली गवाह (को०] । पश्चिमी घाट मे होता है। यह प्राय डेढ सौ फुट तक ऊंचा सुरागृह-सञ्ज्ञा पु० [स०] शराबखाना । सुरागार । होता है। सुराग्रह -सज्ञा पु० [सं०] मद्य पीने का एक प्रकार का पान । सुरागना-सज्ञा स्त्री० [स० सुराडगना] १ देवपत्नी। देवागना। सुराग्यू-मशा पु० [स०] अमृत । सुराघट-सना पु० [स०] दे॰ 'सुराकुभ' । सुरात-सञ्ज्ञा पुं० [म० सुरान्त] एक राक्षस का नाम। सुरावार्य-- --सञ्ज्ञा पु० [स०] देवताओं के प्राचार्य वृहस्पति । सुरा--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] १ मद्य | मदिरा। वारुणी । शराव । दारू । सुराज--सज्ञा पु० [म० सुराज्य] १ दे० 'सुराज्य'। २ दे० 'स्वराज्य'। विशेप ० 'मदिरा'। २ जल । पानी। ३ पीने का पान । ४ सर्प । ५. सोम (को०)। सुराजक-सज्ञा पुं० [स] भृगराज । भंगरा। सुराईg---सज्ञा स्त्री० [स० शूर+आई (प्रत्य॰)] शूरता । वीरता। सुराजा'-सभा पु० [स० सुराजन्] उत्तम राजा । अच्छा राजा। बहादुरी। उ०—सुर महिसुर हरिजन अरु गाई । हमरे कुल इन्ह सुराजा'-सहा पु० दे० 'सुराज्य' । पर न सुराई 1-तुलसी (शब्द०)। सुराजिका - -सच्चा स्रो० [स०] गृह गोधा । छिपकली। सुराकर-सज्ञा ० [सं०] १. भट्ठी जहाँ शराब चुनाई जाती है। सुराजी-सज्ञा पु० [स० स्वराज्य, हिं० सुराज + ई] स्वराज्य की २ नारियल का पेड । नारिकेल वृक्ष । कामना करने एवं उसके लिये आदोलन करनेवाला। भारतीय सुराकर्म-नज्ञा पुं० [स० सुराकर्मन्] वह यज्ञकर्म या सस्कार जो सुरा स्वतन्त्रता के संघर्ष में भाग लेनेवाला। द्वारा किया जाता है। सुराजीव-सज्ञा पुं० [स०] विष्णु । हिं० श०१०-४० २ अप्सरा।