पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४३८

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७०५८ का नाम। समाधि। सूर्यकाति सूर्यमटल सूर्यकातिg:--पज्ञा सी० [सं० सूर्य कान्ति] मूर्यकात मणि । विशेप दे० सूर्यपक्व--वि० [स०] पूर्यातप द्वारा पकाया हुअा (को०] । 'सूर्यकात' । उ०--चद्रकाति अमृत उपजावै । सूर्यकाति मे अग्नि सूर्यपति-सरा पुं० [०] गूय देवता । प्रजावै ।--रत्नपरीक्षा (शब्द०)। सूर्यपत्नो-सभा सी० [सं०] १ सज्ञा । २ छाया। सूर्यकाल--सज्ञा पुं० [सं०] १ दिन का समय । २ फलित ज्योतिष मे सूर्यपत्र--सज्ञा पुं० [मं०] १ इमरमून । अफपत्री । २ हरहुर । अादित्य- शुभाशुभ निणय के लिये एक चक्र । भक्ता। ३ मदार का पौधा । सूर्यकालानलचक्र-संज्ञा पु० [स०] एक ज्योतिपचक्र जिससे मनुष्य सूर्यपर्णी-- --पशा सी० [स०] १ इमरमूल। अपनी। २ मरायन । का शुभाशुभ जाना जाता है। वन उडदी। मापपणीं। सूर्यक्रात--सशा पु० [म० सूयकान्त] १ सगीत मे एक प्रकार का ताल । सूर्यपर्व--सरा पुं० [सं० मूयपवन्] वह काल जिसमे मूर्य किसी नई २ एक प्राचीन जनपद। राशि में प्रवेश करता है। सूर्यक्षय--पज्ञा पु० [म०] सूर्यमडल । सूर्यपाद--पपा पु० [सं०] ग्यं की किरण । सूर्यगर्भ --मज्ञा पु० [सं०] १ एक बोधिसत्व का नाम । २ एक बौद्ध सूर्यपुत्र--सशा पुं० [०] १ शनि । २ यम ' ३ वरण । ४ अश्विनी- सूत्र का नाम। कुमार । ५ सुग्रीन । ६ कणं । सूर्यग्रह-- --सज्ञा पुं० [स०] १ नथ ग्रहो मे से प्रथम ग्रह-सूर्य । २ सूर्य- सूर्यपुत्री-पशा मी० [म०] १ यमुना। २ विद्युत् । ३ विजली । (क्व०)। सूर्य ग्रहण-सज्ञा पु० [स०] मूर्य का ग्रहण । विशेष दे० 'ग्रहण' । सूर्यपुर--सज्ञा पुं० [सं०] काश्मीर के एक प्राचीन नगर का नाम । सूर्यचक्षु--सज्ञा पुं० [म० सूर्य चक्षुस्] रामायण के अनुसार एक राक्षम सूर्यपुराण-सशा पुं० [#०] एक छोटा ग्रथ जिसमे मूर्यमाहात्म्य वरिणत है। सूर्यज-सज्ञा पुं॰ [स०] १ शनि ग्रह । २ यम । ३ सावणि मनु । ४ रेवत । ५ सुग्रीव । ६ कर्ण । सूर्यप्रदीप-सश पुं० [सं०] बौद्ध धर्मानुसार एक प्रकार का ध्यान या सूर्यजा--सज्ञा स्त्री० [स०] यमुना नदी । सूर्यप्रभ'--सज्ञा पुं० [म०] मूर्य के समान दीप्तिमान् । सूयतनय-सशा पु० [स०] १ शनि । २ सावर्णि मन। ३ रेवत । सूर्यप्रभ'--TI पुं० १ एक प्रकार की ममाधि। २ श्रीकृष्ण की पत्नी ४ सुग्रीव । ५ यम। ६ कर्ण । लक्ष्मणा के प्रामाद या भवन का नाम । ३ एक बोधिसत्य का सूर्यतनया--सज्ञा स्त्री॰ [स०] यमुना । नाम। ४ एक नाग का नाम । सूर्यतपा--सज्ञा पु० [म० सूर्यतपस्] एक मुनि का नाम । सूर्यप्रभव'--सशा पुं० [स०पूय से उत्पन्न । सूर्यतापिनी--मज्ञा स्त्री० [स०] एक उपनिषद् का नाम । सूयप्रभव'-सा पुं० १ शनि । २ कग । सूयतीर्थ-सज्ञा पु० [स०] एक तीर्थ का नाम । (महाभारत)। सूर्यप्रशिग्य-सगा पु० [सं०] जनक का एक नाम । सूर्यतेज-सज्ञा पु० [स०] मूर्य का प्रकाश । धूप । घाम [को०] । सूर्यफाणिचक्र--बज्ञा पुं० [सं०] एक ज्योतिश्चक्र जिमसे कोई कार्य सूर्यदास--सज्ञा पु० [म०] १ सस्कृत के एक प्राचीन कवि का नाम । प्रारभ करते समय उसका शुभाशुभ फल निकालते है । २ हिंदी के प्रसिद्ध कवि मूरदास । सूर्योवव--सरा पुं० [सं० गूयविम्ब ] सूर्य का मडल । सूर्यदृक्-वि० [स० सूर्यदृश्] सूर्य की ओर देखनेवाला। सूर्यभ-वि० [सं०] सूर्य की तरह ज्योतियुक्त [को०] । सूर्यदेव--सशा पु० [स०] भगवान् सूर्य । सूर्यभक्त--तश पु० [सं०] १. दुपहरिया। वधूम-पुप्प-वृक्ष । २ नूर्य सूर्यदेवत -वि० [स०] जिमके उपास्य मूर्य हो। जिसके देवता का उपासक व्यक्ति । सूर्य हो [को०)। सूर्यभक्तक--सज्ञा पुं० [सं०] १ सूर्य का उपासना करनेवाला व्यक्ति । सूर्यद्वार--सज्ञा पुं० [स०] मूर्य का मार्ग । उत्तरायण (को०] । २ दुपहरिया । वधूक । सूर्यध्वज-सज्ञा पु० [सं०] शिव का एक नाम । सूर्यभक्ता-सहा स्त्री॰ [स०] हुरहुर । प्रादित्य भक्ता । यौ०--सूर्यध्वजपताकी = शिव । सूर्यभा-वि० [स०] सूर्य के समान दीप्तिमान् । सूर्यनदन, सूर्यनक्षत्र--मशा पु० [स० सूर्यनन्दन] १ शनि । २ कर्ण। सूर्यभागा - सशा स्त्री० [सं०] एक नदी का नाम । दे० सूर्यज'। सूर्यभानु-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ रामायण के अनुमार एक यक्ष का सूर्यनगर-सञ्चा पु० [स०] काश्मीर के एक प्राचीन नगर का नाम । नाम । २ एक राजा का नाम । सूर्यनाभ--सज्ञा पु० [म०] एक दानव का नाम । (हरिवश) । सूर्यभ्राता--सशा पुं० [म० सूर्यभ्रातृ ] ऐगवत हाथी का नाम । सूर्यनारायण--सज्ञा पुं० [स०] सूर्य देवता। सूर्यमडल--संज्ञा पु० [स० सूर्यमण्डल ] १ सूर्य का घेरा। सूर्यनेत्र--सज्ञा पु० [स०] गरुड के एक पुत्र का नाम । पर्या०-परिधि। परिवेश । मडल । उपसूर्यक ।