पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४५३

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४ सेनाधीश ७०७३ सेनेटर सेनाधीश - सक्षा पु० [स०] मेनापति । भूमि धनी, चिकनी, मुगधित मधुर और ममतल हो ऐसे स्थान सेनाध्यक्ष-सशा पु० [स] फौज का अफसर । मेनापति । पर राजा को सेनावाम या छावनी बनानी चाहिए। सेनानायक-सज्ञा पु० [म०] सेना का अफसर । फौजदार। २ डेरा । खेमा शिविर । कैप । सेनानिवेश-~सशा पुं० [म०] सेना का पडाव । सैन्य शिविर [को] । सेनावाह सज्ञा पुं॰ [स० मेनानायक । सेनानी-सज्ञा पुं० [म०] १ सेनापति । फौज का अफमर । उ०- सेनाव्यूह --मज्ञा पुं० [म.] युद्ध के समय भिन्न भिन्न स्थानो पर की हुई सेना के भिन्न भिन्न अगो की स्थापना या नियुक्ति । सैन्य- गांधी मे उडते पत्तो से, दलित हुए सब सेनानी। साकेत, विन्यास । विशप दे० 'व्यूह'। पृ० ३६५ । २ कार्तिकेय का एक नाम । ३ एक रुद्र का नाम । धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम। ५ शवर के एक पुत्र का सेनासमुदय-सज्ञा ॰ [स० ) समिलित सेना । एकत्र हुई सेना । नाम। ६ एक विणेप प्रकार का पासा । सेनास्थसा पु०म० सिपाही । फोजी आदमी। सेनापति-सज्ञा प० [म०] १ सेना का नायक । फौज का अफसर । सेनास्थान--सज्ञा पुं० [सं०] १ छावनी । २. शिविर । खेमा। डेरा। २ कार्तिकेय का एक नाम । ३ शिव का नाम । ४ धृतराष्ट्र सेनाहनु-सज्ञा पु० [म०] हरिवंश के अनुसार शवर के एक पुत्र के एक पुत्र का नाम । ५ हिंदी के एक प्रसिद्ध कवि का नाम । का नाम। यौ०--सेनापतिपति- सेनापतियो का प्रधान अधिकारी। प्रधान सेनापति । सेनि-सज्ञा स्त्री० [स० श्रेणि, प्रा० सेणि] दे० 'श्रेणी'। उ०- जनु कलिंदनदिनि मनि नील सिखर पर सिघ सति लसति हस सेनापत्य--सज्ञा पु० [१०] सेनापति का कार्य या पद । सेनापति का सेनि सकुल अधिको है ।-तुलसी (शब्द॰) । अधिकार। सेनापरिच्छद्-वि० [स०] सेनामो से घिरा हुआ या प्रावृत [को०] । सेनिका- मशा स्त्री० [स० प्रयेनिका] १ वाज पक्षी। उ०----श्यामदेह दुकूल दुति छवि लसत तुलसी माल । तडित घन सपोग मानो सेनापाल–सना पु० [स० सेना+पाल] सेनापति । उ०-हरुये बोल्यो सेनिका शुक जाल ।-सूर (शब्द०)। २ एक छद। विशेष भूप तव सेनापाल बुलाय । धाइ मुशर्मा वीर जे सुरभी लेहु दे० 'श्येनिका'। उ०-पाठ और पाठ दीठि दै रह्यो। लोक छुडाय । - सवलसिंह (शब्द०)। नाथ आश्चर्य वै रह्यो।-गुमान (शब्द०)। सेनापृष्ठ-सज्ञा पु० [सं०] सेना का पिछला भाग। सेनी--सज्ञा स्त्री० [फा० सीनी] १ तश्तरी। रकाबी । २ नक्काशी- सेनाप्रणेता-सज्ञा पुं० [स० सेनाप्रणत । सेनानायक । सेनापति । फौज दार छोटी छिछनी थाली। का मुखिया। सेनी--सज्ञा स्त्री॰ [स० श्यनी] १ वाज की मादा। मादा बाज सेनावेधा-सञ्ज्ञा पु० [स० सेना+बेध] सैन्य दल का भेदन करनेवाला। पक्षी। २ दक्ष प्रजापति को कन्या और कश्यप की पत्नी ताम्रा सेना को बेधनेवाला--शूरवीर। (डि०) । से उत्पन्न पाँच कन्यानो मे से एक । सेनाभग--सज्ञा पु० [स० सेनाभड्ग] सेना का अस्तव्यस्त, छिन्न भिन्न या तितर बितर होना [को०] । सेनी@-सञ्ज्ञा स्त्री० [स० श्रेणी] १ पक्ति । कतार । उ०जोबन सनाभवत-सज्ञा पुं० [स०] कौटिल्य के अनुसार सेना के लिये रसद फूल्यो बसत लसै तेहि अगलता अलि सेनी ।-बेनी (शब्द॰) । २ सीढी। जीना। और बेगार। सेनाभिगोप्ता---सा पुं० [स० सेनाभिगोप्त सेनारक्षक । सेनापति । मेनी@'-मशा पु० विराट के यहाँ अज्ञातवास करते समय का सहदेव का रखा हुआ नाम । उ०-नाम धनजय को कह्यो वृहन्नडा सेनामुख-सा पु० [स०] १ सेना का अग्रभाग। २ सेना का एक ऋषि व्यास । सेनी सहदेवहि कह्यो सकल गुनन की रास :- सड जिसमे ३ या ६ हाथी, ३ या ६ रथ, ६ या २७ धोडे और सबल (शब्द०)। १५ या ४५ पैदल होते थे। ३ नगरद्वार के सामने का ढका हुश्रा या गुप्त रास्ता। ४ नगर द्वार के सामने निमित मेनीटोरियम-सज्ञा पुं० [अ०] स्वास्थ्यगृह । चिकित्सालय । सेतु (को०)। सेतुरा, सेन्टर--सहा पु० [सं०सिन्दूर] दे० 'सिंदूर'। सेनायोग-मझा पु० [स०] संन्यसज्जा । फौज की तैयारी । सेनेट-तज्ञा सी० [अ०] १ प्रधान व्यवस्थापिका सभा या का, सेनारक्ष--सचा पु० [] पहरु मा । सतरी । प्रहरी [को०] । बनानेवाली सभा। २ विश्वविद्यालय की प्रवधकारिणी सभा सेनावास-सा पुं० [स०] १ वह स्थान जहाँ सेना रहती विश्वविद्यालयो मे पुराने कोर्ट का नाम । ३. अमेरिका हो । छावनी। व्यवस्थापिका सभा का एक भाग। ४ प्राचीन काल मे रो विशेष-बृहत्महिता के अनुसार जहाँ राख, कोयला, हड्डी, तुप, साम्राज्य की शासक सभा। केश, गड्ढे न हो, जो स्थान ऊसर न हो, जहाँ हिसक जतुनो सेनेटर-सञ्ज्ञा पुं० [अ०] १ सेनेट या देश को प्रधान और चूहो के बिल और बल्मीक न हो तथा जिस स्थान की का सदस्य । २ जज या मजिस्ट्रेट । क .