पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४६०

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सेवावलंब ७०८० मेशन कोर्ट सेवावलब-वि० [स० सेवावलम्ब] सेवा या परिचर्या पर निर्भर रहने- वाला ।को०] । सेवाविलासिनी-सज्ञा स्त्री० [स०] सेवा करनेवाली । सेवकिनी। दासी। टहलुई [को०] । सेवावृत्ति-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] नौकरी । दासत्व । चाकरी की जीविका । सेवाव्यवहार--मक्षा पु० [सं०] सेवा या परिचर्या का काम (को०] । सेविंग वैक-मज्ञा पु० [अ० सेविंग्स बैक] वह बैक जो छोटी छोटी रकमे व्याज पर ले। विशेष-ऐसे बैक डाकखानो मे भी होते हैं जहां गरीब और मध्य वित्त के लोग अपनी वचत के लिये रुपए जमा करते है। सेवि'—समा पुं० [स०] १ बदर फल। बेर। २ सेव (इस अर्थ मे पीछे प्रयुक्त हुआ है)। सेवि'-सज्ञा पुं० 'सेवी' का वह रूप जो समास मे होता है। सेवि-वि० [सं० सेव्य] दे० 'सेव्य', 'सेवित' । उ०—जय जय जगजननि देवि, सुरनर मुनि असुर सेवि, भुक्ति मुक्तिदायिनि दुखहरन कालिका ।—तुलसी (शब्द०)। सेविका-मज्ञा स्त्री० [सं०] १ सेवा करनेवाली । दासी । परिचारिका। नौकरानी। २ सेवई नामक पकवान । सेवित'-वि० [स०] १ जिसकी सेवा टहल की गई हो । वरिवस्थित । उपचरित । २ जिसकी पूजा की गई हो। पूजित । उपासित । आराधित । उ०--जटाजूट रवि कोटि समाना। मुनिगन सेवित ज्ञान निधाना ।-गिरिधरदास (शब्द॰) । ३ जिसका प्रयोग या व्यवहार किया गया । व्यवहृत। ४ आथित । ५ युक्त या सपन्न (को०)। ६ उपभोग किया हुआ। उपभुक्त । सेवित'--मज्ञा पुं० १ वदर फल । बेर । २ सेव । सेवितमन्मथ-वि० [स०] प्रेमासक्त । कामुक (को०] । सेवितव्य-वि० [स०] १ सेवा के योग्य । उपासना के योग्य । सेवनीय । उपत्सनीय । २ आश्रय के योग्य । आश्रयणीय । ३ सीने के योग्य । ४ प्रयोग या व्यवहार के योग्य । सेविता-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ सेवक का कर्म । सेवा। दासवृत्ति । चाकरी । २ उपासना । ३-पाश्रय । सहारा । शरण । सेविता'--सञ्ज्ञा पु० [सं० सेवितृ] सेवा करनेवाला । सेवक । सेविता-वि० १ अनुगमन अथवा अनुसरण करनेवाला। २ पूजा या अाराधना करनेवाला [को०] । सेवी-वि० [स० सेविन्] १ सेवा करनेवाला । सेवारत । २ पूजा करने- याला । आराधना करनेवाला । पूजक । पाराधक । ३ सभोग करनेवाला । मैथुन करनेवाला । ३ अादी । व्यसनी (को॰) । विशेप-इस शब्द का प्रयोग प्राय यौगिक शब्द के अत मे हुग्रा करता है। जैसे,--साहित्यसेवी, स्वदेशमेवी, चरणसेवी, स्त्रीसेवी। सेवुम'--वि० [फा०] तीसरा, तृतीय [को०] । सेवम'--सज्ञा पु० मृतक का तीसरा दिन । तीजा (को०] । सेव्य--वि० [म०][वि० सी० सेव्या] १ सेवा के योग्य। जिसकी सेवा करना उचित हो। खिदमत के लायक । जैसे,—गुर, स्वामी, पिता। उ०-नाते सर्व राम के मनियत मुहृद मुमेध जहाँ लौं- तुलसी (शब्द०)। २ जिसकी मेवा करनी हो या जिनकी सेवा की जाय । जैसे,--वे तो हर प्रकार से हमारे मंव्य है। ३ पूजा के योग्य । पाराधना योग्य। जिसकी पूजा या उपा- मना कर्तव्य हो । जैसे,—ईश्वर । ४ व्यवहार योग्य । काम मे लाने लायक । इस्तेमाल करने लायक । ५ रक्षण करने के योग्य । जिसकी हिफाजत मनामिव हो । ६ मभोग के योग्य । ७ मध्ययन मनन के योग्य (को०)। ८ सचय करने या रखने के योग्य (को०)। सेव्य'—सपा पुं० १ स्वामी । मालिक । यौ०--सेव्यसेवक । २ खस । उशीर । ३ अश्वत्थ । पीपल का पेट । ४ हिज्जन वृक्ष। ५ लामज्जक तण । लामज घास । ६ गौरीया नामक पक्षी। चटक पक्षी । ७ एक प्रकार का मद्य । ८ सुगधवाला ! ६ लाल चदन । १० समुद्री नमक । ११. दही का पक्का । १२ जल । पानी। सेव्यसेवक-सना पुं० [सं०] स्वामी पौर सेवक । यौ०-सेव्य-सेवक-भाव = स्वामी और सेवक के वीच जो भाव होना चाहिए, वह भाव । उपास्य को स्वामी या मालिक के रूप मे समझना। विशेष-भनित मागं मे उपासना जिन जिन भावो से की जाती है, यह उनमे से एक है। इसे सेवक-सेव्य-भाव के रूप मे भी प्रयुक्त किया गया है। जैसे,—सेवक-सेव्य-भाव विनु भव न तरिय उरगारि ।-मानस । सेव्या-तशा स्त्री० [०] १ वदा या बांदा नामक पौधा जो दूसरे पेडो के ऊपर उगता है। बदाक । २ मावला । आमलकी। ३ एक प्रकार का जगली अनाज या घान । सेशन-सज्ञा पुं० [अ०] १ न्यायालय, पार्लमेट, व्यवस्थापिका सभा प्रादि सस्थानो का एक बार निरतर कुछ दिनो तक होनेवाला अधिवेशन । लगातार कुछ दिन चलनेवाली बैठक। जैसे,- (क) हाईकोर्ट का सेशन शुरु हो गया। (ख) पार्लमेट का सेशन अक्टूवर मे शुरू होगा। मुहा०-सेशन सुपुर्द करना = दौरा सुपुर्द करना । (प्रासामी या मुकदमे को) विचार या फैसले के लिये सेशन जज के पास भेजना, (डाकेजनी, खून प्रादि के मामले सेशन जज के पास भेजे जाते हैं)। सेशन सुपुर्द होना = दौरा सुपुर्द होना । सेशन जज के पास विचारार्थ भेजा जाना। २ स्कूल या कालेज की एक साथ निरंतर कुछ दिनो तक होने- वाली पढाई । जैसे,—कालेज का सेशन जुलाई से शुरू होगा। ३ दीरा अदालत । सेशन कोर्ट-सशा पु० [अं॰] जिले की वह बडी अदालत जहां जूरी या अफसरो की सहायता से डाकेजनी, खून आदि फौजदारी के बडे मामलो पर विचार होता है । दौरा अदालत ।