पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सोमोत्पत्ति ८००७ सौरनी . विशेष-इसके बनाने की विधि इस प्रकार है-सेमल की छाल, सोर-सज्ञा पुं॰ [स०] वक्र गति । टेढी चाल । कोह (अर्जुन) की छाल, लोध, अगर, गनियारी की छाल, रक्त सोर"-सज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'सौरी' । चदन, हलदी, दारुहलदी, आंवला, अनारदाना, गोखरू के बीज, सोर-सज्ञा पुं० [अ० शोर] तट । किनारा । जामुन की छाल, खस और गुग्गुल प्रत्येक चार चार तोले और मुहा०-सोर पड़ना = (जहाज का) किनारे लगना। पाग, गधक, लोहा, धनियाँ, मोथा, इलायची, तेजपत्ता, पद्मक सोर-सञ्ज्ञा पुं० [अ० शोरह] दे० 'शोरा'। उ०—(क) उडै सोर (पद्मकाष्ठ), पाढ (पाटा), रसौत, वायबिडग, सुहागा और प्याले निराले चमक। घटा जोट मैं दामिनी सो दमक।- जीरा प्राध आध तोला, इन सवका खूब वारीक चूर्ण कर दो हम्मीर०, पृ० ३२। (ख) उठ सोर झाला अनल, आभ धुओं दो रत्ती की गोली बनाते है। बकरी के दूध या नारियल के अंधियार ।-बाँकी० ग्र०, भा॰ २, पृ०६८। जल के साथ इसका सेवन किया जाता है। सोमोत्पत्ति-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ चद्रमा का जन्म । २ अमावस्या के सोरट्ठ-सज्ञा पुं० [स० सौराष्ट्र, प्रा० मोरट्ठदे'सोरठ' । सोरठ-सज्ञा पुं० [० सौराष्ट्र, प्रा० सोरठ्ठ] १ भारत का एक उपरात चद्रमा का फिर से निकलना । प्रदेश जो राजस्थान के दक्षिणपश्चिम पडता है। गुजरात और सोमोद्गीत--सज्ञा पुं॰ [स०] एक प्रकार का साम । दक्षिणी काठियावाड का प्राचीन नाम । २. सोरठ देश की सोमोद्भव--सञ्ज्ञा पु० [सं०] (चद्रमा को उत्पन्न करनेवाले) श्री कृष्ण राजधानी, सूरत । उ० नृप इक वीरभद्र अस नामा। सोरठ का एक नाम। नगर मांहि तेहि धामा।-विश्राम (शब्द०)। सोमोद्भव-वि० चद्रमा से उत्पन्न । सोरठ-सज्ञा पुं०, स्त्री० [देश॰] प्रोडव जाति का एक राग जो हिंडोल सोमोद्भवा-संज्ञा स्त्री० [सं०] नर्मदा नदी का एक नाम । का पुत्र कहा गया है। सोमोती-सखा स्त्री० [स० सोमवती] दे० 'सोमवती अमावस्या'। विशेष-इसमे गाधार और धवत स्वर वर्जित हैं। यह पचम, मोम्य'- वि० [स०] १ सोमयुक्त । २ सोम सबधी । ३ सोम का । भैरवी, गुर्जरी, गाधार और कल्याण के सयोग से बना माना ४ सोमपान के योग्य। ५ सोम की आहुति देनेवाला। ६ जाता है। इसके गाने का समय रात १६ दड से २० दड तक मृदु । कोमल । चिक्कण (को०) । है। कोई सोरठ को पाडव जाति की रागिनी मानते हैं। सोम्य–वि० [स० सौम्य] दे० 'सौम्य' । उ०-इपु अर्ध अरगा को मुहा०-खुली सोरठ कहना % खुले आम कहना। कहने मे सकोच प्रसिद्ध । रवि अयन सोम्य जान्यो प्रसिद्ध ।-ह० रासो, पृ० १४ । या भय न करना। सोयर--सर्व० [हिं० सो+ही, ई] वही । सोरठ मल्लार-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० सोरठ+ मल्लार] सपूर्ण जाति का सोय-सर्व० दे० 'सो'। उ०-के लघु के बड मीत भल, सम सनेह एक राग जिसमे सब शुद्ध स्वर लगते है। दुख सोय । तुलसी ज्यो घृत मधु सरिस, मिले महा विष होय । सोरठा--सज्ञा पुं॰ [स० सौराष्ट्र, हिं० सोरठ (देश)] अडतालीस -तुलसी (शब्द०)। मानाओ का एक छद जिसके पहले और तीसरे चरण मे ग्यारह सोयम--वि० [फा०] तृतीय। तीसरा । उ०—सोयम जब मौत आवेगा ग्यारह और दूसरे तथा चौथे चरण मे तेरह तेरह मानाएं होती उसे पेश, होवे सूरत मे पो तवदील सरकश ।-दक्खिनी०, हैं। इसके सम चरणो मे जगण का निषेध है। दोहे को उलट पृ० ११४॥ देने से सोरठा हो जाता है। जैसे,-जेहि सुमिरत सिधि होइ, सोया-सञ्ज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'सोपा' । गननायक करिवर वदन। करउ अनुग्रह सोइ, बुद्धिरासि सुभ सोरजान-सञ्ज्ञा स्त्री० [फा० सूरन्जान्] दे० 'सूरजान', 'सुरजान' । गुन सदन। उ०-छद सोरठा सुदर दोहा । सोइ बहुरग कमल सोरभयु-वि०, सज्ञा पु० [स० सौरभ या सौरभ्य, प्रा० सौरभ कुल सोहा ।-मानस, ११३७ । दे० 'सौरभ'। विशेष-जान पडता है, इस छद का प्रचार अपभ्रश काल में पहले सोरंभना@---क्रि० अ० [स० सौरभ, प्रा. सौरम + हिं० ना(प्रत्य॰)] पहल सोरठ या सौराष्ट्र देश में हुआ था, इसी से यह नाम पड़ा। सुरभित या सुगधियुक्त होना। उ०--ढोलउ मन प्राण दियउ, सोरठी-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० सोरठ (देश)] एक रागिनी जो सिंधूडा और चतुर तणे वचनेह । मारु मुख सोरभियउ, प्रावि भमर भण वडहस के सयोग से बनी है। हनुमत के मत से यह मेघ राग केह।-ढोला०, दू० ४४० । की पत्नी है। सोर--सज्ञा पुं० [फा० शोर, मिला० स० स्वर, सोर] १. शोर । हल्ला। कोलाहल । उ०—(क) भएउ कोलाहल अवध प्रति सोरण-वि० [स०] कुछ कसैला, मीठा, खट्टा और नमकीन । चर- परा । २ शीतल । ठढा । ३. रक्तस्राव रोधक (को०)। सुनि नृप राउर सोर । —तुलसी (शब्द॰) । (ख) सोर भयौ घोर चारो ओर नभ मडल मे आए घन, पाए घन आयक सोरण-सञ्ज्ञा पुं० दे० 'सोल" [को॰] । उपरिगे। २ ख्याति । प्रसिद्धि । नाम। उ०--तुम अनियारे सोरना-सज्ञा पुं० [स० शूरण] जमीकद । सूरन । दृगन को सुनियत जग मे सोर ।-रसनिधि (शब्द०)। सोरनी -सज्ञा स्त्री० [हिं० संवरना+ ई (प्रत्य॰)] १ झाड । बुहारी। सोर-सञ्ज्ञा स्त्री० [स० शटा, प्रा० सड] जड । मूल । कुंचा। २. मृतक का एक सस्कार जो तीसरे दिन होता है और