पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/५३

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मंपाट ४८६९ सपुट' सपाट --मना पु० [म० सम्पाट] १ किमी त्रिभुज को बढ़ी हुई मुजा ४ किसो पुस्तक या सवादपत्र प्रादि को कम, पाठ आदि लगा- पर लव का गिरना । २ तकला । तकुया । कर प्रकाशित करना । ५ उत्पन्न करना (को०)। सपादना-क्रि० स० [म. सम्पादन] संपादित करना। प्रस्तुत सपाठ-पना पु० [स० सम्पाठ] वह पाठ जो सिलसिलेवार हो को०] । करना । सपादन करना। सपाठ्य-वि० [स० सम्पाठ्य एक साय पढने योग्य । लगातार पढने योग्य (को०] । सपादयिता-वि॰, सञ्ज्ञा ० [म० मम्पादयितु] [मौ० सपादयिनी] १. सपादन करनेवाला। २ पूरा करने या प्रस्तुत करनेवाला । सपात -सज्ञा पु० [म. सम्पात] १. एक साथ गिरना या पडना । ३ ठीक करनेवाला । ४. उत्पादन करनेवाला। उत्पन्न करने- २ ममर्ग । मेल । मिलान । ३ सगम । समागम । ४ सगम वाला (को०) स्थान । मिलने की जगह । ५, कुदान। उडान । टूट पटना । सपादित-वि० [म० सम्पादिन] १ पूर्ण किया हुअा। अजाम दिया झपट । ७, युद्ध का एक भेद । ८ प्रवेश । पहुँच । पैठ। हुप्रा । २ तैयार । प्रस्तुत । ३. क्रम, पाठ आदि लगाकर ठीक १. घटित होना । होना । १० द्रव पदार्थ के नीचे बैठी हुई वस्तु । तलछट । ११ अवशिष्ट अश । व्यवहार से बचा हुआ सपादो-व० [म० सम्पादिन्] [वि० स्रो० सपादिनी] १. सपादन किया हुआ। (पत्र, पुस्तक आदि)। भाग । १२ अध पतन। उतरना (को०)। १३ अस्त्र शस्त्रो का करनेवाला । २ प्रस्तुत करनेवाला । ३. जो संपादन कर सकता प्रहार होना। वाण प्रादि का चलना (को०)। १४. भेजना। हो । उपयुक्त (को०)। प्रेषित करना। जैसे, दूतसपात (को०)। १५ चलना । गमन । गतिशील होना (को०)। १६ हटाना। दूर करना (को०)। सपिडित-वि० [म० मम्पिण्डित] १ एक साथ किया हुआ। ढेर १७ गरुड के पुत्र का नाम (को०)। लगाया हुअा। २. मिकुडा हुआ । सकुचित [को०] । यौ०-सपातपाटव = झपटने या कूदने मे पटुता । सपित-सया पु० [श०] एक प्रकार का बाँस जिसका टोकरा बनता हे । यह खसिया की पहाडियो मे होता है। सपाति-सक्षा पु० [म० सम्मानि] १ एक गोध जो गस्ड का ज्येष्ठ सपिधान-पा पुं० [म० सम्पिधान] आच्छादन । ढकना। पिधान । पुन्न और जटायु का भाई था। २ माली नाम राक्षस का उसकी वसुदा नामक भार्या से उत्पन्न चार पुत्रो मे से एक पुत्र, ढक्कन (को०] । यह विमोपण का मन्त्री था । ३ राम की सेना का एक बदर । सपिष्ट-वि० [म० सम्पिष्ट] चूर किया हुअा। अच्छी तरह पीसा सपातिक-सञ्ज्ञा पुं० [म० सम्मानिक] दे॰ 'सपाति' को०] । हुआ (को०] । सपातो' -वि० [म० सम्पातिन्] [वि० सी० सपातिनी] १ एक साथ सपीड़-पला पुं० [सं० सम्पोड] १. पीडा देना। २. दलना, दवाना या निचोडना । ३ विक्षोभण। मथना। ४. भेजना। निद- कूदने या झपटनेवाला । २. एक साथ उडनेवाला (को०) । ३. शन [को०] । उडने मे स्पर्धा करनेवाला (को०)। सपीडन -पञ्चा पुं० [म० सम्पीडन] १ खूप दबाना या निचोडना । सपातो' -सज्ञा पु० [स० सम्पाति] १ जटायु का भाई । उ०-गिरि खूब मनन । खूप पोडा देना। ३ अतिशय पीडा । दड। कदरा सुनो समातो।-मानम, ४।२७ । २ दे० 'सपाति' । ४ शब्दोच्चारण का एक दोष । ५. भेजना। प्रेपण सपाद --पचा पु० [स० सम्पाद] १ समाप्ति । पूर्ति । निष्पन्नता । (को०)। ६ क्षुब्ध करना (को॰) । सिद्धि । २ प्राप्ति । अधिग्रहण (को०] । सपीडा-पञ्ज्ञा पु० [म० सम्मोडा] अत्यधिक व्यया या कष्ट [को०] सपादक-सवा पु० [स० सम्पादक] १ सपन्न करनेवाला। कोई काम सपीडित - वि० [सं० मम्मोडिन] १ जो पकड निया गया हो। ग्रस्त । पूरा करनेवाला । काम का अजाम देनेवाला। २ प्रस्तुत करने २ दबाया हुप्रा । ३ निवोडा हुमा (को॰) । तैयार करनेवाना। ३ प्रदान करनेवाला। लाभ करनेवाना। सपोति-ज्ञा स्त्री॰ [स० मम्मोति) मिनाकर पीना । साथ साथ पान वाला । ४ किसो समाचारपन्न या पुस्तक को क्रम से लगाकर निकालनेवाला । एडिटर । करना [को०] । ५. उत्पादक। उत्पन्न करने वाला (को०)। सपुज-पशा पु० [म० सम्मुन] राशि । ढेर [को०] । सपादकत्व- पु० [म. मम्मादकत्र] सपादन करने का भाव या मपुट'-पञ्चा पु० [मं० सम्मुट] १ पान के आकार को वन्तु । कटोरे या दोने को नरह चोज जिमने कुछ भरने के लिये खाली जगह हो। २ खप्पर । ठोकरा । कपाल । ३ दोना । ४ ढक्कनदार सपादकोय'-० [म० सम्माकोर सरादक मवयो । सपादक का । पिटारी या डिदिया। डिवा। मजमा। ५ अंजलो । ६ फुल सपादकीय' - पा [ वह लेज या टिपणो जो सपादक द्वारा लिया के दलो का ऐमा ममूह जिमके बीच पालो जगह हो । कोण । गगा हो । अग्नलेव । (ग्र० एडिटोरियन)। ७ कपडे और गोलो मिट्टो ने नोटा हुग्रा वह बग्नन जिसके सपादन - पशा पुं० [सं० मम्पादन] ['व० मादनोय, मादो, मपाद्य] भीतर कोई रम या प्रोयधि फकते हैं। ८. कटमरैया का फूल । १ किसी काम को पूरा करता । अजाम देना। २ प्रस्तुत कुरवक । ६ हिमार मे बाको या उधार। १. एक तरह का करना । प्रदान करना। ३ ठोक करना। तैयार करना । रतिबध को० । ११ गोलाब (को०)। १२ घरू०) । स० २०१०-५ अवस्था।