पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/७२

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- Yeae मणब्दः सवृद्धि मवृद्धि

-सञ्ज्ञा स्त्री० [म०] १ वढने की क्रिया या भाव । वढती। मवेशक --- मशा पु० [सं०] १ जमा करने या ठीक ठिकान मे खने

अधिकता। २ धन आदि की अधिकता । अभ्युदय । समृद्धि । वाला। मामान आदि को तरतीय देनेवाला। २ शयन करने, ३ शक्ति । ताकत (को०)। सोने मे सहायता देनेवाला (गे । सवेग-सज्ञा पु० [स०] १ पूर्ण वेग या तेजी। तीव्रता। २ आवेग । मवेशन-मज्ञा १० [स० [वि० मवेपणीर, मवेशनीच, सवैशित, मवेश्य १ बैठना। २ लेटना। पड रहना । सोना । ३ घुमना। घबराहट । उद्विग्नता। खलवली। ३ भय । महम । ४ जोर । प्रवेश करना। ४ रति । रमण । समागम । ५ शय्या या बैठने अतिरेक । ५ चडता । उगता (को०)। ६ तीव्र पीडा (को०) । का आसन (को०)। सवेजन-सज्ञा पुं० [स०] (वि० सवेजनीय, सवेजित, सविन] १ उद्विग्न करना। घबरा देना। खलवली डालना। २ महमाना। सवे गतीय-वि० [१०] जो मवेशन करने लायक हो । जो सवेशन डराना। भडकाना । उत्तेजित करना। के योग्य हो। यौ०- रोममवेजन = रोगटे खडे होना । पुलक होना। नेत्र- सवेशो-वि० [स० मशिन्] लेटनेवाला । शयन करनेवाला (को०)। सवेजन = जहि का पिचकारी लगाना । सवेश्य -वि० [१०] १ लेटने योग्य । २ घुसने योग्य । सवेजनोय -वि० [म०] जो सवेजन करने योग्य हो। जिसे सवेजित सवेष्ट-पज्ञा पुं० [म०] लपेटने का कपडा, इत्यादि । बेठन । किया जाय कोना आच्छादन। नवेजित-वि० [स०] दे० 'सविग्न' (को०] । सवेप्टन-सज्ञा पु० [म०] [वि० मवेष्टित, सवेष्टनीय] १ लपेटना । सवेद-सञ्चा पु० [स०] १ सुघ दुख आदि का जान पडना । अनुभव । ढाँकना । बद करना। २ घेरना। ३ अच्छादन । वेप्टन । वेदना । ज्ञान । वोध । वेठन (को०)। सवेदन-पञ्चा पु० [म०] [स्त्री० सवेदना] [वि० सवेदनीय, मवेदित, सवैधानिक-वि० [म० सम् + वैधानिक विधान के अनुसार। मविधान सवेद्य] १ अनुभव करना । सुख दुख आदि को प्रतीति करना। सबधी । कानूनी। क्नेश, अानद, शोत, ताप आदि को मन म मालूम करना । यव्यवहरण-चा पु० [म.] १ भली भांति व्यवहार करना । २ २ जताना । प्रकट करना। बोध कराना। ३ वोध। ज्ञान अन्न कारोबार करना। व्यापार आदि मे उन्नति (को०)। ४ नकछिकनी नाम की घास । ५ देना । आत्म- करना (को०)। समर्पण करना। सव्यवहार-सञ्ज्ञा यु० [म०] १ अच्छी तरह का व्यवहार । अच्छा सवेदना-सञ्चा श्री० [म०] अनुभूति । वेदना । दे० 'सवेदन' । सलूक । एक दूसरे के प्रति उत्तम आचरण । २ मामला। सवेदनीय-वि० [स०] १ अनुभव योग्य । प्रतीति योग्य । २ जताने प्रसग। ३ ससर्ग । लगाव । ४ पूरा सेवा । व्यवहार । उपयोग। लायक । बोध कराने योग्य । इस्तेमाल । ५ लेन देन करनेवाला । व्यवमायी। ६ वाणिज्य । सवेदित-वि० [सं०] १ अनुभव किया हुअा। प्रतीन किया हुआ। व्यापार । ७ प्रचलित शब्द । अामफहम, लफ्ज । २ जताया हुमा । बोध कराया हुमा । बताया हुग्रा। सव्याव-पञ्चा पुं० [स०] द्वद्व युद्ध । लडाई [को०] । सवेद्य'-वि० [म०] १ अनुभव करने योग्य । प्रतीत करने योग्य । मन सव्यान - सञ्चा पुं० [म.] १ उत्तरीय वस्त्र । चादर । दुपट्टा । २ मे मालम करने लायक । २- दूसरे को अनुभव कराने योग्य । वस्त्र । कपडा । पाच्छादन। जताने योग्य । वताने लायक । ३ समझने योग्य । सव्याय-सञ्चा पु० [F०] १ आच्छादन । वस्त्र । २ अोढना । यौ०-स्वमवेद्य = अपने ही अनुभव करने योग्य । जो दूसरे को सवात-सज्ञा पुं० [स०] झुड। गिरोह । बताया न जा मके, आप ही पाप मालूम किया जा सके। सशसा--मञ्ज्ञा स्त्री॰ [म.] तारीफ । स्तुति [को॰] । सवेद्य-मचा पु० १ दो नदियो का सगम। २ एक तीर्थ [को०] । सशप्त-वि० [म०] १ जो शापग्रस्त हो। २ जिसने किसी के साथ सवेल्लित-वि० [म.] मववित (को०] । प्रतिना की या सपथ खाई हो । वाग्वद्ध । सवेश-सञ्ज्ञा पुं० [स०१ पाम जाना । पहुँचना। २ प्रवेश । घुसना। ३ वैठना। आसन जमाना। ४ लेटना। सोना। पड रहना। सशप्तक-समा पृ० [स०] १ वह योद्धा जिसने बिना सफल हुए लडाई आदि से न हटने की शपथ खाई हो। २ वह जिसने ५ काम शाम्नानुसार एक प्रकार का रतिबध। ६ काष्ठासन । यह शपय खाई हो कि विना मरे न लौटेगे। ३ कुरुक्षेत्र के पोहा । पाटा। ७ अग्नि देवता, जो रति के अविष्ठाता माने युद्ध मे एक दल जिसने अर्जुन के वध की प्रतिज्ञा की थी, पर गए है। ८ शयन कक्ष । रायनागार (को०)। ६ सपना। स्वय मारा गया था। ४ चुना हुआ योद्धा (को०)। ५ स्वप्न (को०)। युद्ध मे सहयोग देनेवाला वीर योद्धा । यौ०-मवेशीनिद्रा, पाराम अथवा रति के अधिष्ठाता मशब्द-सज्ञा पुं० [स०] १ ललकार । २ निर्वचन । कथन । ३ देवता अग्नि । स्तुति । प्रशसा। ४ हवाला। उल्लेख । उद्धरण (को०)।