पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/७९

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संस्कारक ४८९५ सस्कृत या सुदर रूप में लाना। ४ धो मांजकर साफ करना। सस्कारता-सज्ञा स्त्री० [स०] मम्कार होने का भाव, निया या परिष्कार। ५ वदन की सफाई। शौच । ६ मनोवृत्ति या स्थिति को०]। स्वमाव का शोधन । मानसिक शिक्षा। मन मे अच्छो वातो सस्कारत्व-सज्ञा पुं० [म०, 7' 'सस्कारता । का जमाना। ७ शिक्षा, उपदेश, सगत, ग्रादि का मन पर सस्कारभूपए-सञ्ज्ञा पुं० [म०] कथन या भापण, जो शुद्धता, नत्यता पडा हुअा प्रभाव । दिल पर जमा हुअा असर । जैसे, जैसा एवम् यथार्थता से णोभित या युक्त हो [को॰] । लडकपन का सस्कार होता है, वैसा ही मनुष्य का चरित्न सस्कारवत्व-सञ्ज्ञा पु० [स०] सस्कारयुक्त होने का भाव (को०] । होता है। ८ पूर्व जन्म की वासना। पिछले जन्म की बातो सस्कारवर्जित-वि० [म०] वह व्यक्ति जिसका सस्कार न हुआ का असर जो प्रात्मा के साथ लगा रहता है (यह वैशेपिक के हो । वान्य। २४ गुणो मे से एक है) । जैसे,--विना पूर्व जन्म के सस्कार के सस्कारवान् - -वि० [स० सस्कारवत्] १ जिसका मस्कार या परिकार विद्या नही पाती। ६ पवित्र करना। धर्म की दृष्टि से किया गया हो । सस्कार से युक्त । सस्कारवाला । २ सु दर गुणो शुद्ध करना। १० वे कृत्य जो जन्म से लेकर मरणकाल से विभूपित (को॰] । तक द्विजातियो के सबध मे आवश्यक होते है । वर्णवर्मानुसार सस्कारसपन्न-वि० [स० सस्कारम्पन्न] मस्कार युक्त । मुशिक्षित। किमी व्यक्ति के सबब मे होनेवाला विधान, रीति या रस्म । सस्कारहीन - वि० [स०] जिसका मस्कार न हुआ हो । व्रात्य । सस्कारी'--वि० स० सस्कारिन्] जिसका सस्कार हुअा हा । अच्छ विशेष--द्विजातियो के लिये षोडश या द्वादश सस्कार कहे गए सस्कारवाला। है। मनु के अनुसार उनके नाम है-गर्भाधान, पु सवन, सस्कारी-सचा पु० सोलह मात्रायो का एक छद । सोमतोन्नयन, जानकर्म, नामकर्म, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, सस्कार्य-वि०-[स. १, सस्कार करने योग्य । २ जिसकी सफाई चूडाकर्म, उपनयन, केशात, समावर्तन और विवाह इनमे या सुधार करना हो। ३ प्रभाव डालने योग्य । जिसपर कर्णवेध, विद्यारभ, वेदारभ और अत्येष्टि कर्म को गणना करने प्रभाव डाला जाय (को०)। से इनकी संख्या १६ हो जाती है। सस्कृत'--वि० [स०] १ सस्कार किया हुअा। शुद्ध किया हुअा। २ ११ मृतक को क्रिया। १२ इद्रियो के विपयो के ग्रहण से उत्पन्न परिमार्जित । परिष्कृत। ३ धो मॉजकर साफ किया हुया । मन पर जमा हुआ प्रभाव । १२ मन द्वारा कल्पित या निखारा हुअा। ४ पकाया हुआ । सिझाया हुआ। ५ सुधारा आरोपित विषय । भ्रातिजन्य प्रतीति । प्रत्यय । (जैसी जगत् हुग्रा । ठीक किया हुअा। दुरुस्त किया हुआ। ६ अच्छे रूप की, जो वास्तविक नही हे ।)। मे लाया हुया । सँवारा हुआ । सजाया हुअा। पारास्ता । ७ विशेप-पच स्कधो मे चीथा स्कध 'सस्कार' हे जो भववधन का जिसका उपनयन आदि सस्कार हुअा हो। ८ श्रेष्ठ । सर्वोत्तम कारण कहा गया है। (को०)। ६ अभिमनित । पुनीत किया हुआ। १३ साफ करने या मांजने का झाँवा, पत्यर यादि । झवाँ । १४ सस्कृत-सञ्ज्ञा स्त्री० भारतीय पार्यो को प्राचीन साहित्यिक मापा । चमकाना (को०)। १५ व्याकरण की दृष्टि से शब्दो की पुराने पार्यो की लिखने पढने की उच्च भापा । देववाणी। विशुद्धि (को०)। १६ खाना बनाना। भोग्य पदार्थ तैयार करना विशेष-विद्वानो को राय है कि वेदो (सहितानो) की भापा (को०)। १७ छाप । प्रभाव (को०)। १८ उपनयन सस्कार। अत्यत प्राचीन है। यह सुदूर अतीत मे कभी वोलचाल की पार्यो यज्ञोपवीत कर्म (को०)। १६ धार्मिक कृत्य या अनुष्ठान । २० की भापा थी। जव उस भाषा में परिवर्तन होने लगा और स्मरण शक्ति (को०)। २१ साथ साथ रखना (को०)। २२ धीरे धीरे उसके समझनेवाले कम होने लगे, तब सहितायो का पशुप्रो, पौधो आदि का पालन और रक्षण (को०)। सकलन हुा । बाद मे यास्क ने निघटु आदि बनाकर उस मन- भाग की भापा को विद्वानो मे मुरक्षित रखा । पीछे जो आर्य- यौ०-सस्कारकर्ता = सस्कार करानेवाला । सस्कारज = सस्कार भापा प्रचलित होती गई, उसपर प्रमश द्रविड अादि आर्येतर से उत्पन्न होनेवाला। सस्कारनाम = जो नाम मस्कार के समय भारतीय भापापो का प्रभाव पड़ता गया। अत इस प्रचलित दिया गया हो। सस्कारपूत = (१) शिक्षा के कारण परिष्कृत । या लौकिक आर्य मापा को शुद्ध, व्यवस्थित और सुरक्षित रखने (२) सस्कार द्वारा जो पवित्र किया गया हो। मम्फारभूपण । सस्काररहित = सस्कारहीन । सस्कारवजित । का इद्र, शाकल्य शाकटायन, पाणिनि आदि वैयाकरणो ने विशिष्ट = पाक द्वारा परिष्कृत । जो पाक क्रिया के कारण प्रयत्न किया। पाणिनि आदि वैयाकरणो ने दूर दूर तक उत्तम बना हो । सस्कारसपन्न । सस्कारहीन । फैले हुए यथासभव सब प्रयोगो और स्पो को ध्यान मे रखते हुए एक व्यापक पार्यमापा का व्याकरण निर्माण सस्कारक-सचा पुं० [स०] १ सस्कार करनेवाला । शुद्ध करनेवाला। किया। यही 'भाषा या लौकिक सम्मृति कहलाई जो स्प ३ मन पर छाप डालनेवाला (को०)। वह जो तैयार करता स्थिर हो जाने के कारण साहित्य की सर्वमान्य भाषा हो (को०)। ५ वह जो सुधार करता हो । सुधारक (को०)। हुई और अबतक चली आ रही है। लोगो की बोलचाल की ६ वह जिसे पकाया जाय या पकाने योग्य हो (को०)। भापा मे अतर पडता रहा, पर यह मस्कृत ज्यो को त्यो रही सस्कार-