पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१०४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

स्वौजसे । स्वेदन ५४१६ विशेष-वैद्यक मे यह शीतल, दोपजनक, पिच्छिल, खारी तथा स्वर'- सशा पु० [सं०] १ म्यच्छ्दता । स्वेच्छता २ यथेच्छना मो०] । वमन, अतिसार ज्वर और कफ रोग को उत्पन्न करनेवाला स्वैरकथा-सज्ञा ली० [म०] म्बन्द नार्तालाप । निम्सकाच या माना गया है। असयत वार्ता कि०] । स्वेदन --सहा पुं० [म०] १ पसीना निकलना । २ वैद्यो का एक यन्त्र स्वैरगत'-वि० [सं०] स्वेच्छापूर्वक घूमनेवाला । जो स्वच्छद भाव से जिसकी सहायता से प्रोपधियाँ शोधी जाती है। भ्रमणशील हो। विशेष–एक हंडिया मे तरल पदार्थ (जल, म्वरस, काढा प्रादि) मर- स्पैरगत'—मा पुं० म्वच्छदता या स्वतन्त्रतापूर्वक गगन [फो०] । कर उसका मुंह कपडे से भली भांति बाँध दते है। फिर उम कपडे स्वैरगति-वि०, सहा मी० [सं०] ३० 'म्बरगत' । के ऊपर उस ओषधि की, जिसका स्वेदन करना होता है, पोटली रखकर हँडिया का मुंह ढकने से अच्छी तरह ढंक देते है और स्वैरचारिणी-मशा स्त्री० [सं०] १ मनमाना काम करनेवाली स्त्री। वरतन को धीमी आँच पर चढा देते हैं । इम त्रिया से भाप के २ व्यभिचारिणी स्त्री। द्वारा वह प्रोपधि शोधी जाती है। स्वैरचारी-वि० [सं० रपैरचारिन्] मनमाना काम करनेवाला । ३ पारद को शुद्ध करना । पारद का शोधन (को०)। ४ इद्रियमल । म्वेच्छाचारी । निरकुश । कफ । श्लेष्मा (को०) । ५ वह जिससे स्वेद उत्पन्न हो। म्वेद- स्वैरता-सश सी० [सं०] १ यथेच्छाचारिता । २ स्वच्छदता । जनक वस्तु । वफारा। स्वरथ सज्ञा पुं० [सं०] १ ज्योनिमन् के एक पुत्र का नाम | २ स्वेदन-वि० प्रस्वेदजनक । पसीना लानेवाला [को०) । विष्णुपुराण के अन्मार एक वर्ष का नाम जिमके देवता म्वरय स्वेदनत्व [-पज्ञा पुं० [सं०] स्वेदन का भाव । माने जाते है। स्वेदनाश-सञ्चा पुं० [सं०] हवा । वायु । स्वरवर्ती-वि० [म० स्वग्यतिन्] अपने इच्छानुमार चनने या काम स्वेदनिका-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ तवा। २ रसोईघर । पाकशाला। ३ करनेवाला । स्वेच्छाचारी। शराव चुमाने का वरतन या भमका। स्वरविहारी-वि० [सं० म्वरविहारिन्] इन्छानुसार विहरण करने या स्वेदनी [-सहा स्त्री० [सं०] १ तवा । २ तसली। कडाही (को॰) । घूमनेवाला (को०] । स्वेदविंदु-स --सञ्ज्ञा पुं० [सं० स्वेदविन्दु] प्रस्वेद के विंदु । पसीने की बूंद। स्वरवृत्त--वि० [#०] अपने इच्छानुमान चलने या काम करनेवाला । स्वेदमाता-सज्ञा स्त्री० [4० स्वेदमातृ] शरीर मे का रस । स्वेच्छाचारी। स्वेदलेश-मशा पृ० [सं०] पसीने की छोटी कणिका । स्वेदविद् । स्वेदवारि-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] पसीना। प्रम्वेद । स्वरवृत्ति'-ममा प्रो० [सं०] यथेच्छावारिता । बच्छदता [को०] । स्वेदविग्रुट -सञ्ज्ञा पुं॰ [स० स्वेदविपुष्] स्वेदविंदु [को०] । स्वैरवृत्ति'--वि० स्वच्छद । स्वेच्छाचारी । परवर्ती फो०] । स्वेदायन-सज्ञा पु० [म.] रोमकूप । लोमछिद्र । स्वैराचार'-सा पुं० [सं०] जो जी मे आये वही करना। मनमाना स्वेदित-वि० [सं०] १ स्वेद से युक्त । पसीने से युक्त। २ वफारा काम करना । स्वेच्छाचार । ययेच्छाचार। दिया हुआ । सेका हुअा। उ०-इस प्रकार अपने मुख की भाप स्वैराचार-वि० यथेच्छाचारी। दे० 'स्वरो' [को०] से नेत्रो को स्वेदित कर दो।-नूतनामृतसागर (शब्द०) । ३ स्वैराचारी--वि० [भ० स्वैराचारिन्] [० पी० स्वैराचारिणी] प्रस्वेदयुक्त किया हुआ। जिसका स्वेदन किया गया हो (को॰) । अवाध्य । निरकुश । स्वेच्छाचारो (को०] । स्वेदी-वि० [सं० स्वेदिन्] १ पसीना लानेवाला। धर्मकारक । २ स्वैरालाप-सा पुं० [40] निस्सकोच वार्ता । स्वैरहवा (को०] । जिसे पसोना हुप्रा हो । स्वेद से युक्त (को॰) । स्वैराहार-ज्ञा पुं० [सं०] यथेच्छ भोजन । स्वेदोद, स्वेदोदक-मशा पुं० [स०] पसीना । प्रस्वेद । स्वेदजल (को॰) । स्वैरिधी-सज्ञा स्त्री॰ [स० स्वैरिन्द्री] ३० 'सरिंध्री' । स्वेदोद्गम-सज्ञा पुं॰ [स०] पसीना होना । स्वैरिणी -सज्ञा प्री० [म.] १ असत्य । कुलटा । व्यभिचारिणी। २ स्वेद्य-वि० [सं०] स्वेद के योग्य । पसीने के योग्य । गादुर । गेदुर । चमगादर । ३ मुनियो का समाज । तापसवर्ग । स्वेष्ट-वि० [स०] जो अपने को इष्ट या प्रिय हो [को॰] । मुनिश्रेणी (को०)। स्वैल-वि० [सं० स्वीय] अपना । निज का । (डिं०) । स्वैरिता-सचा त्री० [सं०] यथेच्छाचारिता । स्वच्छदता । स्वाधीनता । स्वैर-सर्व० [हिं० सो + ही] वही । वह ही। दे० 'सो' । उ० सो स्वैरित्व-सचा पुं० [सं०] दे० 'स्वैरिता' । सुकृती सुचिमत सुसत सुसील सयान सिरोमनि स्व ।-तुलसी (शब्द०)। स्वरी-वि० [सं० स्वैरिन्] [वि० सी० स्वैरिणी] स्वेच्छाचारी । स्वर-वि० [स०] १ अपने इच्छानुसार चलनेवाला । मनमाना काम स्वतन्त्र । निरकुश । अवाध्य । करनेवाला। स्वच्छद । स्वतन्त्र । स्वाधीन । यथेच्छाचारी। स्वोक्त वि० [सं०] स्वकथित । स्वय कहा हुआ । स्वय उक्त (को०] । २ मथर । शात । सौम्य । मद । ३ अनुद्योगी । सुस्त । स्वोचित-वि [सं०] जो अपने अनुकूल या योग्य हो (को०] । मालसी (को०) । ४ यथेच्छ । मनमाना । ऐच्छिक । स्वोजस्-वि० [सं०] अत्यत दृढ । अतीव शक्तिशाली (को०] । 1 1