पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/११०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

1 हँकाना ५४२२ हमना' हँकाना--क्रि० स० [हिं० हाँगा] १ चीपायो या जानवरों को हॅटवाना-कि० म० [हिं० हटना] हायाना । बताना । गाना यग्ना । अावाज देकर हटाना या किसी ओर से ले जाना। हाँकना । उ०हवाई गाडी य? पोर । नगदी माल निमन्मी टार। २ पुकारना । वुलाना । ३ दूसरे से हारने या गाग कगना।


प्रध०, पृ० २४१

हकवाना। हटाना---नि० म० [सं० प्र.यटन या दिन ) १ पाना । पिराना । हँकार -सज्ञा सी० [म० हक्कार] १ आवाज लगाकर बुलाने की पिया २ व्यवहार में जाना । काम में लाना । या भाव । पुकार । २ वह ऊचा शब्द जो पिसी को बुलाने हँडिक--मा पुं० [देश॰] तातो या नाट । (गुना )। या सवोधन करने के लिये किया जाय । पुकार । इडिया--सरा सी० [० माठिा प्रश्वा हमिला] १ बटे लोटे के मुहा० हकार पड़ना= बुलाने के लिये प्रायाज लगाना । पुकार प्राकार का मिट्टी का पतन निगम नापन दाल पाने या मचाना। कोई यस्तु नाते है।हाटी। हँकार-संज्ञा पुं० [सं० हद्वार, पु० हिं० हकार] दे० 'महार' । मुहा०-३गिया साना- पलान निये पानी उ०-सुरत ढाढस लाइक तुम वाद करहु हमार |-धरनी० हाटी पार पर गना । हेनिया दागना =भाजन पनाना । वानी, पृ० ३६। पपाने । दिनडिया अग्नि पर रउना । हँकारनाg--कि०म० [हिं० हंकार + ना (प्रत्य॰)] १, अावाज २ ग ग्रासरमाणीने यापान शाम के लिये पटाया जाता देकर किसी को सवोधन करना । जोर मे पुकारना । उँचे न्यर है और जिनमें मोमबत्ती जनाई जाती है। जो, चावन से बुलाना । टेरना । नाम लेकर चिल्लाना। उ०-ऊँचे तर आदिमडाार बनाई दुई राम । चढि श्याम मखन को वारवार हकारत ।-सूर (श द०)। २ हँढावना-नि० म० [१० हिण्डन, पु० हि० ना, हरना] घुमाना । अपने पास आने को कहना । बुलाना । पुकारना । उ०—(क) भटकाना । उ० -चहुँ का ना चहा मीतु । जामै चारि धाय दामिनी बेग हकारी । प्रोहि सौपा होये रिम भागे।- हैटावं नीनु ।-~-प्राग०, १० १३७ । जायसी (शब्द॰) । (ख) देखी जनक भीर भइ भारी। शुचि सेवक सब लिए हकारी।-तुलसी (शब्द०) । हंथोरी-शा पी० [हिं० हथेलो] २०' हयोगे। सयो० क्रि०-देना।-लेना। हथौरा-सशा ० [हिं० हयोटा] दे० 'होस। ३ दान कराना । वुलवाना । उ०-जाचक लिये हकारि, दीन्हि हयौरी--सश सी० [हिं० हथौडा] ३० 'ह्यौठो । निछावर कोटि विधि । चिर जीवहु सुत चारि, चावति दसरत्य हफनि 2-मा सी० [हिं० हांफना] हाफने को गिया भार। के ।- मानस, १।२६५। ४ युद्ध के लिये आह्वान करना। अधिक परिश्रम कारण जन्दी जल्दो और जोर जोर से ललकारना। हांक देना । उ०-देखत तहाँ जुरे भट भारी । चलती हुई मौन । हाफ। एक एक सन भिरे हकारी।-रघुराज (शब्द॰) । मुहा०--हफनि मिटाना = दम लेना । दम मारना । सुन्नाना। पकावट हँकारना--क्रि० प्र० गरजना । हुकार करना । दूर करना । उ०-वात कहिष में नदलाल को साल पहा हँकारा -- सञ्ज्ञा पुं० [हि० हंकारना] १ पुकार । बुलाहट । - निमवरण । हाल तो हरिनननी हफनि मिटाय लं।-शि० (शब्द०)। शाह्वान । ३ बुलीवा । न्योता। उ~-गुर वसिप्ट कहें गएउ हँफनी-सरा सी० [हिं० ना) हाफने का भाव या पिया। हाफ । हंकारा । पाए द्विजन्ह सहित नृपद्वारा ।-तुलसी (शब्द॰) । क्रि०प्र०--जाना ।-भोजन । हसतामुखी--मसा पुं० [हिं० हता+ मुस] हमते रेहनाला । हँकारी -सञ्ज्ञा पुं० [हिं० हंकार+ई (प्रत्य॰)]१ वह जो लोगो को प्रसन्न मुख । उ०—जो देखा तो हंसतामुग्री।-जायसी (शब्द०)। बुलाकर लाने के काम पर नियुक्त हो । २ प्रतिहारी। सेवक । हँसन- सज्ञा सी० [हिं० हंसना] १ हंसने को दिया या माव। २ हँडकुलिया-सज्ञा स्त्री॰ [हिं० हंडिया + कुलिया] वच्चो के खेलने के हंसने का ढग। लिये रसोई के बहुत छोटे बरतनो का समूह । हंसना'-क्रि० अ० [म० हसन] १ आनद ये बैग से कठ से एक विशेष हँडवाई -सज्ञा श्री० [सं० भाण्ड या हण्टा, हण्डिका] भोजन आदि गृह प्रकार का प्राघातस्प स्वर निकालना। खुशी के मारे मुंह कार्य में प्रयुक्त होनेवाले पान । घर का माल असवाव । वर्तन फैलाकर एक तरह की आवाज करना। पिलपिलाना । भाँडा । उ०-(क) हंडवाइ कीय मन माज मुद्ध। उज्जल ठट्ठा मारना। हास करना । पाहकहा लगाना । रजक्क जनु उफनि दूध।-पृ० रा०, १४११२४ । (प) हँडवाई सयो०-क्रि०-देना ।-पडना । घर मे रही, और बिसाति न कोय।-अर्ध०, पृ० ३० । यौ०-हंसना बोलना = मानद की बातचीत करना । जैसे,—चार मुहा०-हडवाई साना = वर्तन मॉडा वेचकर प्राप्त द्रव्य से जीवन- दिन की जिंदगी मे हम बोल लो। हेमना खेलना = अान्द यापन करना । उ०-हँडवाई खाई सकल रहे टका है चारि । करना । हंसना हँसाना = आनद से हँसना और अन्य को माना -अर्ध ०, पृ० ३१॥ या मानदित करना। दे०' हफनि'।