पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१११

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हँसना ५४२३ मुहा०-किमी व्यक्ति पर हॅमना = विनोद की बात कहकर किसी एक गहना जो मडलाकार पार ठोन होता है तग वीच मे माटा को तुच्छ या मूर्ख ठहराना । उपहाम करना । जैसे,—तुम और छोरो पर पतला होता है। दूमरो पर तो बहुत मते हो, पर ग्राप कुछ नही कर मकते । हँसाई-सा स्त्री० [हिं० हंगना] १ हमने की निषा या माव । २ मिमी बग्नु पर हँसना = विनाद की बात कहकर किसी वस्तु उपहाम । लागा मे निदा। बदनामी। उ०-म् दान कूरि को तुच्छ या बुरी ठहगना । उपहाम वरना । व्यगपूरण निंदा रंग राते ब्रज में होति हंगाई। -गूर (गब्द०)। करना । अनादर करना । उ०-(क) हमिचे जोग, हँसे नहिं यौ०-जग हेमाई । जगन हमाई। खोगे ।-तुलमी (शब्द॰) । (ख) महि मनिन खल विमल हँसाना-त्रि० स० [हिं० हंमना] १ दूसरे को हमने मे पवृत्त करना । बतवही ।--तुलमी (शब्द०)। हसते बोलते = ० 'हँसते हँसते' । कोई ऐसी बात करना जिमग दूसरा हम । २ ग्रान दित करना। हँसते हँसते = प्रसन्नता मे । सुशी से । विना किसी प्रकार का खुश करना। प्रमन करना । कप्ट या बाधा का अनुभव किए। जैसे, - (क) राजपूतो ने हंसते सयो० क्रि०-देना। -मारना। हमते युद्ध में प्राण दिए। (ख) मैं हमते मते यह सब कष्ट सह लूगा। हंसते हँसते पेट में बल पडना = इतना अधिक हँसाया--सज्ञा स्त्री० [हिं० ] दे० 'हसाई'। हँसना कि पेट में दर्द होने लगे। हंसते हुए = दे० हँसते हँसावनि. 2-सा मी० [हिं० हनाना ] हँसाने का काय या विति। हँसते'। हम बोल लेना - प्रसन्नतापूर्वक बातचीत करना । उ०--ल ले व्यजन चखनि चखात्रनि । मनि हनापनि, पुनि डहकावनि । --नद070, पृ० २६८ । हँसता मह या चेहरा = प्रसन्न मुख। ऐसा चेहरा जिससे प्रमन्नता का भाव प्रकट होता हो । ठठाकर हंसना/ हँसिया --सज्ञा पुं॰ [ स० हम ] १ लाहे का एक धारदार ग्रीजार जो जोर से हँसना । अट्टहास करना । उ०-दोउ एक सग न अधचद्राकार हाता है और जिसमे खेत की फसल या तरकारी होहिं मुवालू । हंसव ठठाइ, फुलाउब गालू ।-तुलसी (शब्द०)। आदि काटी जाती है । २ लोह की धारदार अवनद्राकार पट्टी वात हमकर उडाना = व्यान न देना । तुच्छ, साधारण या जिससे कुम्हार गीलो मिट्टा काटते है। ३ चमडा छीलकर हलका समझकर विनोद मे टाल देना । जैसे,—मै काम काम की चिकना करने का औजार । ४ हाथी के अकुश का टेढा माग । वात कहता हूँ, तुम हँसकर उडा देते हो । हँसिया--सहा स्त्री॰ [ स० हनु ? या स० अमल + हिं० इया (प्रत्य॰)] २ रमणीय लगना । मनोहर जान पडना। गुलजार या रौनक गरदन के नीचे की धन्वाकार हड्डी । हँसली। होना । जैसे,—यह जमीन कैसी हंस रही है । ३ केवल मनोरजन हँसी-तज्ञा मा [हिं० हँसना ] १ हंसने की रिया या भाव । हाम । के लिये कुछ कहना या करना । दिल्लगी करना । हँसी करना। उ०-वरजा पित हमी यो राजू 1 --जायमो (शब्द०)। मजाक करना। मसखरापन करना । जैसे,-मैं तो यो हो हँसता क्रि० प्र०--ग्राना। था, कुछ तुम्हारी छडी लिए नहीं लेता था। ४ आनद मनाना । यौ०-हँसी खुशी = प्रसन्नता। हँसो ठट्ठा = पानदरोडा । मजाक । प्रमन्न या सुनी होना। खुशी मनाना। जमे,-यह तो दुनिया है कोई हंसता है, कोई रोता है। मुहा०--हमी छूटना = हँसी पाना । हाम की मुद्रा प्रकट होना। २ हंसने हंसाने के लिये की हुई वात । मजाक। दिल्लगी। हँसना-क्रि० स० किसी का उपहास करना । व्यग या हंसी की वात मनोरजन । विनोद । जैसे,---तुम तो हमी हंसो मे राने लगते हो । काहकर क्सिी को तुच्छ या मुर्य ठहराना। विनोद के रूप मे क्रि० प्र०—करना । --होना । किसी को हेठा, बुरा या मूख प्रकट करना। अनादर करना। हमो उडाना । जैसे,—तुम दूसरो को तो हँसते हो, पर अपना यो०-हँसी खेल = (१) विनोद और कीडा। (२) साधारण वान । दोष नहीं देखते। सहज बात । आमान ना। हमी ठठाती = विनोद और हाम । दिल्लगी। हँसनि -सा स्त्री० [हिं० हँसना] दे० 'हंसन' । उ०-अरुन अधर द्विज पाति ग्रनूपम ललित हंसनि जनु मन ग्राकरपित । -तुलसी मुहा०--हंसी समझना या हंगी खेन तमझना = साधारण वात पृ०४१५॥ समझना । अामान वात समझना । कठिन न समझना। जमे- लीडर बनना क्या हंसी खेल नमज्ञ रखा है ? हमी में यौ०-हरानि हसावनि = स्वय हमने और दूसरे को हंसाने की उडाना= किमी वात को यो ही दिल्ली ममनाकर ध्यान न मिया या भाव। उ०-हेमनि हमावनि पुनि डहकावनि । देना । साधारण ममझकर ख्याल न करना । परिहास की बात -नद००, पृ०२६४ । कहकर टाल देना । हंसो मे ले जाना = विनी बात को मजाक हँसमुख-वि० [हिं० हमा+ मुरा ] १ प्रसन्न वदन । जिसके चेहरे से समझना। किसी बात का ऐसा अर्थ समझना मानो वह ध्यान प्रसन्नता का भाव प्रकट होता हो। २ विनोदशील । हास्यप्रिय । देने की नहीं है, केवल मनबह नाव की है । जैम,-तुम नो मेरी ठठोल । हंनी दिल्लगी करनेवाला । चुहलबाज । वात हनी मे ले जात हो । हनो मे यांमी = दिल्लगी को वान- हंसली- ससा सो [ सं० असला ] १ गरदन के नीचे और छाती के चीत होते होते झगडा या मारपीट की नौरन पाना। ऊपर वी धन्वाकार हड्डी। २ गले में पहनने का स्त्रियो का ३ किसी व्यक्ति को मूर या किसी वस्तु को तुन्व्हराने के लिये रही