पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/११६

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हजर' मान्य । फौज हो। ५४२८ हजूरी' यौ०-हजरुलवकर = गोरोचन । हजरे असवद = कावा की हजारहां--वि॰ [फा० हजारहा] हजारो। हजारहा। उ०-जिनके दीवार मे लगा हुआ काला पत्थर । विशेष दे० 'सगप्रसवद' । वुजुर्गों के पीछे हजारहाँ बन्दगाने खुदा के पेट पलते थे, ।-- हजर-सज्ञा पुं० [अ० हज़र] एक जगह स्थित होना या ठहरना । प्रेमघन, भा०२,५०८५। अवस्थिति । उपस्थिति । मौजूदगी। सफर का विपरीतार्थ । हजारहा- वि० [फा० हजारहा] १ हजारो । सहस्रो। २ बहुत से । हजरत-सज्ञा पुं० [अ० हज़रत] १ महात्मा । महापुरुष । जैसे,- हजारा--वि० [फा० हजारह] (फूल) जिसमे हजार या बहुत अधिक हजरत मुहम्मद । २ अत्यत आदर का सवोधन । महा पखडिया हो । सहस्रदल । जैसे-हजारा गैदा । ३ चालाक या धूर्त व्यक्ति । नटखट या खोटा हजारा~मज्ञा पुं० १ फुहारा। फौवारा । २ एक प्रकार की प्रातिश- आदमी। (व्यग्य) । जैसे--अाप बडे हजरत है, यो झगडा वाजी। ३ पौधो मे पानी देने का एक प्रकार का पान जिसमे लगाया करते हैं। ४ समीपता । सामीप्य (को०) ।५ गोष्ठी । फौवारा लगा होता है । उ०-शाम को चक्रधर मनोरमा के मजलिस । सभा । दरवार (को०)। ६ अत्यत आदरणीय घर गए, वह वागीचे मे दौड दौडकर हजारे से पौधो को सीच व्यक्ति । उ०-ता महि तुम हजरत की वाला।-ह० रासो, रही थी।--काया०, पृ०, ७२ । पृ०४०। हजरत सलामत-सधा पुं० [अ० हजरत सलामत ] १ वादशाहो हजारी --सज्ञा पुं० [फा० हजारी] १ एक हजार सिपाहियों का या नवाबो के लिए सबोधन का शब्द । २ बादशाह । सरदार । वह सरदार या नायक जिसके अधीन एक हजार यौ०-हजरतसलामत पसद = जो बादशाह को प्रिय या पसद हो। हजाम-सक्षा पुं० [अ० हज्जाम ] दे० 'हज्जाम' । यौ०- पचहजारी । दसहजारी । हजामत--सज्ञा स्त्री० [अ०] १ हज्जाम का काम । बाल वनाने विशेप-इस प्रकार के पद अकबर ने सरदारो और राजाओ, महा- का काम । दाढी के वाल मूडने या काटने का काम । क्षौर । राजायो को दे रखे थे। २ वाल बनाने की मजदूरी। ३ सिर या दाढी के वढे हुए यौ०-हजारी वजारी = सरदारो से लेकर वनियो तक सव । वाल जिन्हे काटना या मुंडाना हो । अमीर गरीब सब । सर्वसाधारण । महा०--हजामत वढना या बढाना = वालो का बढना या बढाना । हजामत बनाना = (१) दाढी था सिर के बाल साफ करना २ हजार सिपाहियो का दल (को०) । ३ एक पद या अोहदा जो शाही सल्तनत मे प्रचलित था। ४ व्यभिचारिणी का पुत्र । या काटना । (२) लूटना । धन हरण करना । माल मूस लेना। दोगला। वर्णसकर। जैसे,-धूर्तों ने वहां उसकी खूब हजामत बनाई। (३)दड देना । मारना। पीटना । हजामत बनवाना = दाढी के बाल साफ कराना हजारी-वि० हजार की संख्या से सवधित (को॰] । या सिर के व ल कटाना । हजामत होना = (१) किसी के धन का हजारों-वि० [फा० हजार + ओ (प्रत्य॰)] १ सहस्रो। २ बहुत से। धोखा देकर हरण होना, लूट होना । (२) दड होना । शासन अनेक । न जाने कितने। जैसे,--तुम्हारे ऐसे हजारो पाते है। होना । मार पडना। जैसे,—वचा की वहा खूव हजामत हुई । मुहा०-हजारो घडे पानी पड जाना बहुत लज्जित होना। हजामत'-सहा स्त्री० [अ० हजामत ] प्रवीणता । दक्षता । कुशलता । हजारो मे = (१) बहुत से लोगो के बीच मे । जैसे,--वह हजारो मे होशियारी (को०] । एक है । (२) खुले रूप से । हजारो के समक्ष । खुल्लम खुल्ला। हजार---वि० [फा० हजार] जो गिनती मे दस सौ हो । सहस्र । जैसे, मै हजारो मे कहूँगा, मुझे डर किसका। उ०-तुम सलामत रहो हजार वरस । हर बरस के हो दिन हजूम-सज्ञा पुं० [अ०] दे० 'हुजूम [को०] । पचास हजार ।-कविता की०, भाग० ४, पृ० ४६० । २ हजूर'--सञ्ज्ञा पुं० [अ०हुजूर] दे॰ 'हुजूर'। अत्यधिक । बहुत से । अनेक । जैसे,—उनमे हजार ऐब हो, पर वे हैं तो तुम्हारे भाई । उ०-दोउनि को दोउनि के रूप हजूर---वि० [अ०] त्रस्त । भयभीत । डरा हुप्रा या डरनेवाला [को०] । लसिवे को मनौ चार आँख होत ही हजार आँख है गई। हजूरा ---अव्य० [अ० हुजूर] हुजूर मे । समीप या पार्श्व मे । उ०-- ---रत्नाकर, भा॰ २, पृ० ११ । (क) चौवा चदन क'रा। कस्तूरी अग्र हजूरा।- सुदर० न०, हजार-सधा पुं० दस सौ की सख्या या प्रक जो इस प्रकार लिखा भा० १, पृ० १२८ । (ख) भक्त होय सतगुर का पूरा । रहै जाता है-१०००। पुरुष के नित्त हजूरा --कबीर सा०, पृ० २२० । हजार'-कि० वि० कितना ही। चाहे जितना अधिक। जैसे,--तुम हजूरी?--सज्ञा पुं० [अ० हुजूर] [स्त्री० हजूरी] किसी वादशाह या राजा हजार कहो, तुम्हारी वात मानता कौन ? के सदा पास रहनेवाला सेवक । चाकर । दास । उ०---सचु जोग हजारदास्ता--सञ्ज्ञा पुं० [फा० हज़ार दास्ता] एक प्रसिद्ध चिडिया । प्रानपति पूरी | नानक जोगी भया हजूरी।-प्राण, विशेष दे० 'बुलबुल । पृ०२७८ हजारपा-सज्ञा पुं० [फा० हजारपा] हजार पांववाला, कनखजूरा। हजूरी-- २-~मज्ञा स्त्री० सेवा । उपस्थिति । उ०-सदा हजूरी सतगुर गोजर [को०] । चरणी। सत टहल रातगुर की शरणी ।--प्राण ०, पृ० ६२ ।