पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/११७

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५४२४ हटना हजूल-वि० [अ०] कुलटा। व्यभिचारिणी को०) २ प्रतिबंध । रोक । निवारण । उ०--ना थिर रहहि न हटका हजो--सचा त्री० [अ० हज्व] १ निंदा । वुराई । अपकीति । वदनामी । मान, पलक पलक उठि धौना ।---जग० श०, भा० २, पृ० ६५ । क्रि० प्र० करना ।—होना । हटतार--सा पुं० [स० हरिताल] एक खनिज पदार्थ जिसमे सखिया और गधक मिला रहता है। विशेष दे० 'हरताल'। २ वह कविता जो किसी के प्रति निंदा, अपकीति या व्यग्योक्ति- परक हो। हटतार'-सज्ञा स्त्री० [हिं० हठनार ?] १. माला का सूत । उ०-प्रीत प्रीत हटतार ते नेह जु सरसै प्राइ। हिय तामैं को रसिक निधि हज्ज-सज्ञा पुं० [अ०] दे० 'हज'। उ०-खालिक खलक खलक मे वेधि तुरत ही जाइ।-(शब्द०)। २ हठपूर्वक देखने का तार खालिक, ऐसा अजब जहूरा है। हाजी हज्ज हज्ज मे हाजी, हाजिर या सिलसिला। टकटकी। उ०-वह रूप की रासि लखी तब हाल हजूरा हे। -पलटू०, भा० ३, पृ०८० । ते सखी आँखिन के हटतार भई ।- घनानद, पृ० ५० । हज्ज-सज्ञा पु० [अ० हज्ज] दे॰ 'हज'। हटतार-सज्ञा स्त्री॰ [स० हट्ट + ताल] असतोष व्यक्त करने के हज्जाम-सज्ञा पुं० [अ०] १ हजामत बनानेवाला। सिर और दाढी के लिये या भय के कारण बाजार बंद करना। दूकानो मे ताला वाल मूंडने या काटनेवाला । नाई । नापित । उ०--मैं इस हकीर लगा देना। उ०-तीन दिवस अजमेर मे परी हट्ट हटतार । हज्जाम के मुंह से निकले शब्दो की सचाई तसलीम करता हूँ। -प० रा०, १८८॥ -पीतल०, पृ० ३६० । २ सिंगी लगानेवाला जहि । पछना हटताल-सज्ञा स्त्री० [सं० हट्ट (= बाजार) + ताल ( ताला)] लगानेवाला व्यक्ति (को॰) । किसी कर या महसूल से अथवा और किसी बात से असतोष हज्जामी-पझा त्री[अ० हज्जाम+ ई (प्रत्य॰)] हज्जाम का काम प्रकट करने के लिये दूकानदारो का दूकान वद कर देना अथवा या पेशा। काम करनेवालो का काम बंद कर देना। हडताल । क्रि० प्र०—करना ।-होना। हज्जार-वि० [फा० हजार] महस्र । हजार। उ०-गयर दए पचास हटना- क्रि० प्र० [स० घट्टन] १ किसी स्थान को त्यागकर दूसरे सँग, हय दिय जुग हज्जार । सव परिगह के संग पठय, कनक सिंघ सरदार।-१० रासो, पृ० ३८ । स्थान पर हो जाना । एक जगह से दूसरी जगह पर जा रहना। खिसकना । सरकना। टलना । जैसे,—(क) थोडा पीछे हटो। हज्म-सज्ञा पु० [अ० हजम] ३० हजम [को०] । (ख) जरा हटकर बैठो। (ग) उन्होने बहुत जोर लगाया, पर हट-सज्ञा स्त्री०[स० हठ दे० 'हठ' । पत्थर अपनी जगह से न हटा । हटक-सच्चा स्त्री॰[हिं० हटकना] १ वारण। वर्जन । सयो० कि-हटना वढना = ठीक स्थान से कुछ इधर उधर मुही-हटक मानना = मना करने पर किसी काम से रुकना। होना या सरकना। निपेध का पालन करना । उ०-वसी धुनि मृदु कान परत ही २ पीछे की ओर धीरे धीरे जाना । पीछे सरकना । पश्चात्पद गुरुजन हटक न मानति ।--सर (शब्द०)। होना । जैसे,—भालो की मार से सेना हटने लगी। ३. विमुख २ गायो को हाँक्ने की क्रिया या भाव । होना । जी चुराना । करने से भागना। जैसे, - मैं काम से नही हटता। हटकना-मज्ञा स्त्री० [हिं० हटकना] १ वारण । वर्जन । मना करना। मुहा०- (किसी बात से) पीछे न हटना = मुंह न मोडना । विमुख २ चौपायो को फेरने का काम । हाँकना । ३ चौपयो को हांकने न होना। तत्पर या प्रस्तुत रहना। कोई काम करने को तैयार की छडी या पैना। रहना । जैसे,—जो बात मैं कह चका हूँ, उससे पीछे न हटूगा। हटकना-त्रि० स० [हिं० हट ( = दूर होना ) + करना] १ मना ४ सामने से दूर होना। सामने से चला जाना। जैसे, हमारे करना । निषेध करना । वर्जन करना । किमी काम से हटाना सामने से हट अायो, नहीं तो मार खायोगे । या रोकना । उ०—(क) तुम्ह हटकहु जो चहहु उबारा । कहि मुहा० - हटकर सड = चल। दूर हो । (अत्यत अवज्ञा का सूचक)। प्रतापु, वल रोप हमारा । —तुलसी (शब्द०)। (ख) जुरी प्राय ५ किसी बात का नियत समय पर न होकर और आगे किसी सिगरी जमुना तट हटक्यो कोउ न मान्यो ।—सूर (शब्द)। समय होना। टलना। जैसे,--विवाह की तिथि अब हट गई। २ चौपायो को किसी ओर जाने से रोककर दूसरी ओर फेरना। ६ न रह जाना। दूर होना । मिटना या शात होना । जैसे,- रोककर दूसरी तरफ हाँकना। उ०—(क) पायें परि विनती आपदा हटना, सकट हटना, सूजन हटना। ७ व्रत, प्रतिज्ञा करौ ही हटकि लावी गाय ।--सूर (शब्द॰) । (ख) माधव आदि से विचलित होना। वात पर दृढ न रहना । ८ किसी जू । नेकु हटको गाय । —सूर (शब्द॰) । ओहदा, पद, अधिकार आदि से अलग हो जाना। पद का त्याग मुहा०-हटकि = (१) हठात् । जबरदस्ती । (२) विना कारण । करना। जैसे,-अस्वस्थता के कारण वे मनी के पद से हटकनारे-क्रि० अ० रुकना। हिचकिचाना । हट गए। हटना-क्रि० स० [हिं० हटकना] मना करना। निषेध करना। हटका --सज्ञा पुं० [हि हटकना ( = रोकना)] १. किवाडो को खुलने वारण करना । वर्जित करना। रोकना। उ०-देत दुख वार से रोकने के लिये लगाया हुमा काठ। किल्ली। अर्गल । व्योडा। घार कोऊ नहिं हटत ।—सूर (शब्द॰) । 1