पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१२२

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हड्डीला ५४३४ हतचेता इमे देशी कहा है ।)] शरीर की तीन प्रकार की वस्तुप्रो-कठोर, हणहरणना@+-कि० अ० [अनु॰] दे० 'ह्निह्निाना'। उ०—प्रह कोमन और द्रव-मे से कठोर वस्तु जो भीतर टॉचे या प्राधार फूटी, दिसि पुटरी, हणहणिया हयथट्ट । ढोलइ धरण ढढोलियउ, के रूप में होती है । अस्थि । सीतल सुद- ६ट्ट ।-ढाला०, दू०६०२ । विणेप-शरीर के ढांचे या ठठरी मे अनेक प्राकार और प्रकार की हत'--वि० [सं०] १ बध किया हुअा। मारा हुया । जो मारा गया हड्डियाँ होती है। यद्यपि ये खड खड होती हैं, तथापि एक दूसरी हो । २ जिसपर आघात किया गया हो। जिसपर चोट लगाई गई हो । पीटा हुया । ताडित । ३ खोया हुया । गँवाया हुआ। से जुडी होती है । मनुष्य के शरीर मे दो सौ से अधिक हड्डियाँ होती हैं। हड्डियो के खड सड जडे रहने से प्रगो मे लचीलापन जो न रह गया हो । रहित । विहीन । जैसे,--श्रीहत, हतोत्साह । रहता ह जिससे वे बिना किसी कठिनता के अच्छी तरह हिल- ४ जिसमे या जिसपर ठोकर लगी हो । जैसे,—हतरेण। ५ डुल सकते है । शरीर मे हड्डियो के होने से ही हम सीधे खडे नष्ट किया हुअा। ६ तग किया हुआ । हैरान । ७ पीडित । हो सकते हैं । बचपन मे हड्डियाँ मुलायम और लचीली होती है, ग्रस्त । ८ स्पर्श किया हुआ । लगा हुआ। जिससे छू गया हो। इसी से बच्वेवर्प सवा वप तक खडे नही हो सकते। युवावस्था (ज्योतिप)। ६ गया बीता। निकृष्ट । निकम्मा। १० गुणा आने पर हड्डियाँ अच्छी तरह दृढ और कडी हो जाती है । बुढापे किया हुआ । गुणित । (गणित) । ११ फूटा हुया या फोडा मे वे जीर्ण और कडी हो जाती हे और सहज मे टूट सकती है। हुआ। जैसे, नेत्र (को०) । १२ जिसे छला गया हो। छला हुआ शरीर की और वस्तुओ के समान हड्डी भी एक सजीव वस्तु है, (को०)। १३ जिसका यत्न व्यर्थ हो गया हो। विफलप्रयास । उसमे भी रक्त का सवार होता है। इसमे चूने का अश कुछ हताश (को०)। विशेप होता है । पिसी हड्डी के टुकडे को लेकर कुछ देर तक हत-सज्ञा पुं० १ वध । हनन । २ गुणा [को०] । गधक के तेजाब मे रखे तो उसका कडापन दूर हो जायगा हत-सज्ञा पु० [स० हस्त, प्रा०हथ्य दे० 'हाय' । उ०-फेरत वन वन गाऊँ धरावत, कहे 'तुकाया' वधु लकटी ले ले हत ।- मुहा०-हड्डी उखडना = हट्डी का जोड खुल जाना। हड्डी का दक्खिनी०, पृ०६८। जोड खुलना = हड्डी उखडना । हड्डी गुडी तोडना = खूब शविहीन (को०] । मारना पीटना। बुरी तरह मारना । हड्डी चवाना = कोई हतकटक-वि० [स० हतकण्टक] कांटो से रहित वस्तु किसी के पास न होने पर भी उसके लिये परिश्रम करना। हतक'--सज्ञा स्त्री० [अ० हतक ( = फाडना)] १ हेठी। बेइज्जती। निस्मार वस्तु से सार प्राप्त करने का व्यर्थ श्रम करना। हड्डी गप्रतिष्ठा । उ०--अपने प्यार की इस हतक पर गगा झल्ला चूसना = प्रशस्त होने पर भी व्यक्ति से जबर्दस्ती कुछ लेना या उठी।--प्राधा गाँव, पृ०११ । २ ढिठाई । धृष्टता। वेअदवी । क्रि० प्र०--करना ।—होना । काम कराना। हड्डी टूटना = हड्डी का टूट जाना या फूटना। अस्थिभग होना। हड्डियां गढना या तोडना = खूव मारना । यौ०--हतक इज्जत । हनक इज्जती । खूब पीटना। हड्डियाँ निकल आना = मास न रहने के कारण हतक-वि० [सं०] १ दु शील । दुर्वृत्त । पापात्मा । उ०—मै जानी हड्डियां दिखाई पडना। शरीर बहुत दुबला होना । पुरानी ही मिलन तै मिटिहै तन सताप । अब सजनी दूनी चढयो हतक हड्डी पुराने आदमी का दृढ शरीर। पुराने समय का मजबूत मनोजहि दाप ।--म० सप्तक, पृ० १४४ । २ जिसे चोट आदमी। जैसे,—यह पुगनी हड्डी है, वुढापे मे भी तुम्हे पहुंचाई गई हो। ३ दीन दुखी । दुर्दैवग्रस्त । पीडित [को०] । पछाड सकते है । हड्डी बोलना = दे० 'हड्डी टूटना' । हड्डी हतक'--सज्ञा पुं० कायर या नीच, भीरु व्यक्ति [को०] । से हड्डी बजाना = लडाई झगडा करना। हतकइज्जती-सड़ा सी० [अ० हतक + इज्जत] अप्रतिष्ठा। मान- २ कुल । वश । खानदान । जैसे,—हड्डी देखकर विवाह करना । हानि । वेइज्जती । जैसे,—उसने उस अखबार पर हतक- इज्जती का दावा किया है। हड्डीला-वि० [हिं० हड्डी + ईला (प्रत्य॰)] जिसमे सिर्फ हड्डियाँ हो, मास अत्यल्प हो । हटियो से भरा हुआ या युक्त । उ०- हतकिल्विप--वि० [स०] गिमकी कलुपता दूर हो गई हो । निष्कलुप। झपटकर पहले कुदन ने दम दस के उन नोटो को अपने हड्डीले से मुक्त किो०)। चगुल मे वटोर लिया ।--शरागी, पृ०७३ । हतचित्त--वि० [स०] दे० 'हतचेत' । हढक्क-सज्ञा पुं० [सं०] छोटी टोल [को०] । हतचेत--वि० [स० हतचेतस्, हिं० हत + चेत] अचेत । बेहोश । हंढावनाल -क्रि० स० [हिं० उढाना] दे० 'अोढाना' । उ०-मुद्रा हतज्ञान । उ०-शोक से अति आर्त, अनुज समेत । भरत यो पहिरो झोली लेहो, मस्तकि धरि लगावउ। मदा अजीती काया कह हो गए हतचेत ।--साकेत, पृ० १६० । रहिती खिथा अग हटावउ । -प्रारण, पृ० १२४ । हतचेतन--वि० [स०] दे० 'हतचेत'। उ०--द्धि के दुर्ग पहुंचा विद्युत् गति हतचंतन । राम मे जगी स्मृति, हुए सजग पा भाव हणवता--समा पुं० [सं० हनुमत् हनुमन्त, प्रा० हनुमत] दे० 'हनुमान'। प्रमन ।-अनामिका, पृ० १६४ । उ०-हणवतहुकार मचती रहै पकडिया सोपिया वावन वीर । हतचेता--वि० [स० हतचेतस्] १ कोई निश्चय न कर पाने से उहा- --रामानद०, पृ० ५। पोह मे पडा हुआ । घवडाया हुआ । व्याकुल । २ दे० 'हतज्ञान'। पाप