पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१२४

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1 हतस्त्रीक ५४३६ हत्या हतस्त्रीक-वि० [स०] १ जिसकी औरत को किसी ने मार डाला हो। हती-क्रि० अ० [हिं० होना क्रिया के भूतकाल का स्त्री० रूप] २ जिसने किसी या किसी की पत्नी का हनन किया हो । स्त्री थी । उ०-नहिं वह काशी रह गई, हती हेममय हत्या करनेवाला [को०] । जौन ।--प्रेमघन॰, भा॰ १, पृ० १५५ । हतस्मर--सज्ञा स्त्री० [स०] वह जिसने कामदेव का विनाश किया हो। हतेक्षण-वि० [सं०] नेत्रहीन । अधा [को०] । शिव। कामरिपु [को०] । हतोज-वि० [सं० हतौजस्] उत्साहहीन । निरुत्साह। हतस्वर-वि० [सं०] जिसका स्वर या ध्वनि नष्ट हो गई हो। जिसे हतोत्तर-वि० [स०] जो कुछ उत्तर न दे सके । निरुत्तर [को०] । स्वरभग हुआ हो [को०] । हतहृदय-वि० [स०] जिसका हृदय टूट गया हो । भग्नाश [को॰] । हतोत्साह-वि० [सं०] जिसे कुछ करने का उत्साह न रह गया हो। हता'-वि० सी० [स०] नष्ट चरित्र की । व्यभिचारिणी। जिसे कोई बात करने की उमग न हो। उ०-इस वार हता'-सज्ञा ० १ नष्ट चरित्न की स्त्री। सतीत्वभ्रष्ट स्त्री। २ वह एक आया विवाह, जो किसी तरह भी हतोत्साह। -अपरा०, कन्या जो विवाह के अयोग्य हो। चरित्रहीनता के कारण विवाह पृ० १७४। न करने लायक कन्या [को०] । हतोद्यम-वि० [सं०] जिसकी चेष्टा या प्रयत्न विफल हो [को॰] । हता'—क्रि० अ० [हिं० होना क्रिया का भूतकाल ] [ अन्य रुप हती, हतीजा-वि० [स० हतोजस्] जिसकी शक्ति, प्रताप, काति आदि नष्ट हो हते, हता, आदि ] था। गई हो । जिसका वीरताजन्य उत्साह खत्म हो गया हो [को॰] । हतादर-वि० [स०] अनादृत । असमानित किो०] । हतानाg--क्रि० स० [हिं० 'हतना' का प्रेरणा०] दे० 'हतवाना' । हत्त-सज्ञा पुं० [सं० हस्त, प्रा० हथ्थ हत्त] दे० 'हाथ' । उ०- हतारोह-वि० [सं०] जिसके ऊपर बैठनेवाले मारे गए हो । जैसे, रथ, हुता सज्जण हीअडे सयणा हदा हत्त। जउ सोहणो साचइ हाथी प्रादि [को०] । होअड, सोहणो वडी बसत्त ।-ढोला०, दू० ५०६ । हतावशेष--वि० [सं०] जो मारे जाने से बच गया हो। हतप। हत्तुल्मकदूर-क्रि० वि० [अ० हत्त+ उल + मकदूर] यथाशक्ति । यथा- हताश-वि० [मं०] १ जिमे श्राशा न रह गई हो । निराश । नाउम्मीद । साध्य । जहाँ तक हो सके । उ०-ईश्वर ने चाहा तो हत्तुल्म- २ शक्तिहीन। कमजोर (को०)। ३ कठोर । क्रूर। निर्दय कदूर किसी किस्म की तकलीफ न होने पाएगी ।-प्रेमघन०, (को०) । ४ निष्फल । फलहीन (को०)। ५ क्षुद्र । भा० २, पृ० १३४॥ नीच । बदमाश (को०)। हत्थ -संज्ञा पुं० [सं० हस्त, प्रा० हत्य] ३० 'हाथ' । उ०--नाखे वार- हताश्रय-वि० [सं०] जिसका प्राश्रय नष्ट हो चुका हो। प्राश्रयहीन । निरवलव (को। बार निसासा, हत्था तेग गही चद्र हासा।-रघु० रु०, पृ० २१०॥ हताश्व--वि० [स०] जिसके रथ के अश्व मारे जा चुके हो। हताश्वास-वि० [म० हत + आश्वास] जिसे प्राप्त आश्वासन फलीभूत हत्थल-सचा पुं० [स० हस्ततल, प्रा० हत्थल, पुoहिं० हाथल ] न हो सका हो। जिसे भरोसा या सहारा न रह गया हो। हाथ का पजा । मणिवध के नीचे का भाग । हथेली। उ.-कहता प्रति जड जगम जीवन । भूले थे अब तक वधु हत्या-सचा पु० [सं० हस्त, प्रा० हत्थ, हिं० हाथ] १ किसी भारी प्रमन । यह हताश्वास मन भार श्वास भर वहता।-तुलसी, औजार का वह भाग जो हाथ से पकडा जाता हो। दस्ता। पृ० ११॥ मूठ। २ रेशमी कण्डे बुननेवालो के करघे मे लकडी का वह हताहत-वि० [स० हत + अाहत] मारे गए और घायल । जैमे,- ढांचा जो छत से लगाकर नीचे लटकाया रहता है और जो इधर उम युद्ध मे हताहतो की संख्या एक हजार थी। उधर झूलता रहता है । ३ तीन हाथ के लगभग लवा लकडी हति--सचा सी० [सं०] १ वध । विनाश । हत्या । २ आहत करना। का बल्ला जो एक छोर पर हाथ की हथेली के समान चौडा घायल करना। ३ आघात । चोट । प्रहार । ४ गुणन । गुणा । और गहरा होता है और जिमसे खेत की नालियो का पानी ५ क्षति। क्षय । हानि । ६ ऐव । दोप। विकार (को०] । चारो ओर उलीचा जाता है। हाथा। हथेरा। ४ निवार हतियार@-सञ्ज्ञा पुं० [सं० हति या हेति अथवा हत्याकारक ] वह बुनने मे लकडी का एक औजार जो एक ओर कुछ पतला होता अस्त्र या शस्त्र जिससे वध किया जाय । उ०-उहै धनुक उन्ह है और कघी की भाँति सूत वैठाने के काम मे पाता है । ५ एक भौंहन्ह चढा । केइ हतियार काल अस गढा । —जायसी ग्र० प्रकार का भद्दा रग जो सुर्सी लिए पीला या मटमैला होता है। (गुप्त), पृ० १८७। ६ पत्थर या ईंट जो दड करते समय हाथ के नीचे रख लेते हतियारा-वि० [सं० हत्या कारक] [वि० सी० हत्यारिन, हत्यारी] हैं। ७ केले के फलो का घौद या गुच्छा । पजा। ८ ऐपन से हत्या करनेवाला। वध करनेवाला । क्रूर। निर्दय। हत्यारा वना हाथ के पजे का चिह्न जो पूजन आदि के अवसर पर दीवार उ०--(क) साला हतियारा कही का ।--मैला०, पृ० ३२४ । पर बनाया जाता है। हाथ का छापा। ९ गडेरियो का वह (ख) हे हतियारी हतति है, प्रान मथति दिन रैन। -व्रज० अौजार जिससे वे कवल बुनते समय पटिया ठोकते हैं । १० न०, पृ०५३ । वैठने की कुर्सी का वह भाग जिसपर हाथ टेकते हैं। ।