पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१२८

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हथेली ५४४० हथेली--पज्ञा स्त्री॰ [स० हस्ततल, प्रा० हत्यतल, हत्यल, हथ्थल ] १ हाय की कलाई का चौडा सिरा जिसमे उँगलियां लगी होती है । हाथ की गद्दी । हस्ततल । करतल । मुहा०-हथेली मे आना = (१) हाथ मे पाना । अधिकार में आना । मिलना । प्राप्त होना । (२) वश मे होना । हयेली मे करना = अपने विकार मे करना । ले लेना। हथेली खुज- लाना = द्रव्य मिलने का आगम सूचित होना । कुछ मिनने का शकुन होना। विशेष--यह एक प्रचलित प्रवाद है कि जब दाहिने हाथ की हथेली खुजलाती है, तव कुछ मिलता है । हथेली का फफोला = अत्यत सुकुमार वस्तु । बहुत नाजुक चीज जिमके टूटने फूटने का सदा डर रहे । हथेली देना या लगाना = हाय का सहारा देना। सहायता करना। मदद करके सॅमालना। हथेली पीटना या बजाना = ताली पीटना। किसकी हथेली मे बाल जमे है ? = कौन ऐसा मसार मे है ? जैसे,--किसकी हथेली मे वाल जमे है जो उसे मार सकता है। हथेली सा- विल्कुल चौरस या सपाट । समतल । हथेली पर जान रखना या लेना- प्राणत्याग का भय न रखना । जान देने के लिये हरदम, हर हालत मे तैयार रहना । हथेली पर जान होना = ऐसी स्थिति मे पडना जिसमे प्रारण जाने का भय हो । जान जोखो होना। हथेली पर दही जमाना = किसी काम के लिये बहुत जल्दवाजी करना। किसी से कोई काम कराने के लिये अत्यत शीव्रता करना । हथेली पर सर रखना या लेना = दे० 'हथेली पर जान रखना' । हथेली पर सरसो उगाना या जमाना = असभव कार्य को भी सभव कर दिखाना। किसी कठिन काम को अत्यत शीघ्रता से कर दिखाना । २ चरखे की मुठिया जिसे पकडकर चरखा चलाते है। हथेव@--सझा पुं० [हिं० हाथ] हथौडा । घन । उ०-हनि हथेव हिय दरपन साजे । छोलनी जाप लिहे तन मांजै ।-जायसी (शब्द०) । हयोडी+---सज्ञा स्त्री॰ [हिं० हाथ] १ हथोरी। येली। २ दे० 'हयोडी'। हथोरी@f--सज्ञा स्त्री० [हिं० हाथ +ोरी (प्रत्य॰)] दे० 'हथेली' । उ.-जानौ रकत हथोरी बूडी । रवि परमात तात, वै जूडी। --जायसी (शब्द०)। हथोटी-सज्ञा स्त्री० [हिं० हाथ+प्रौटी (प्रत्य॰)]१ किसी काम मे हाथ लगाने का ढग । हाथ से करने का ढब । हाथ की शैली। हस्तकौशल । जैसे,—अभी तुम्हे इसकी हयोटी नहीं मालूम है, इसी से देर लगती है। उ०-रसना को भाग, साँचे सौननि सुभूपन हे, जगमगी रहे महा मोहन हथौटी के ।-घनानद, पृ०२०५। मुहा०--हथौटी जमना, मॅजना या सघ जाना = (१) काम करने मे कुशलता प्राप्त होना । हाथ रमा होना या सध जाना। हथौटी मे सीखना - कला या हुनर की जानकारी प्राप्त करना। किसी काम को करने का गुण सीखना । २ किसी काम मे लगा हुआ हाथ । किसी काम मे हाथ डालने की किया या भाव । जैसे,—उसकी हथौटी वडी मनहम है । जिस काम मे हाथ लगाता है, वह चौपट हो जाता है। हथौडा---सपा पुं० [हिंहाथ + ग्रीडा (प्रत्य॰)] [ग्नी अल्पा० हयौटी] १. किसी वस्तु को ठोकने, पीटने या गढने के लिये माधन- वस्तु । लुहारो या मुनारों का वह प्रोजार जिनमे वे किसी धातु- सड को तोडते, पीटने या गटने है । मारतोल । २ कील ठोकने, यूंटे गाउने आदि का प्राजार । हथौडी--सशा ग्नी० [हिं० हथोडा का लध्वयंक रूप] छोटा हथौडा। हयौना--मज्ञा पुं० [हिं० हाथ + ग्रीना (प्रत्य०)] दूहे और दुलहन के हाथ में मिठाई ग्यने की रीति । हथ्थ--सशा ० [म० हन्त, प्रा० हत्य] हस्त । हाय । हथल-सचा पुं० [म० हम्नतल, प्रा० हत्यल] हाथ का पजा। हथेली। हरिथ, हथ्थी-सना पुं० [म० हस्ती] हाथी। हस्ती । हथ्याना-त्रि० स० [हिं० हाथ दे० 'हथियाना' । हथ्यार+--TI पुं० [हिं० हथियार] ३० 'हथियार' । उ०-नाए न माथहिं दक्खिन नाय न माय मे फौज न हाय हथ्यारो।- भूपण ग्र०, पृ० १३६। हद-सहा स्त्री० [अ०] १ किसी वस्तु के विस्तार का प्रतिम सिरा। किसी चीज की लबाई, चौडाई, ऊँचाई या गहराई की सबसे अधिक पहुँच । सोमा । मर्यादा । जैसे,--सडक की हद, गांव की हद । यौ०-हदवदी। हदसमायत । मुहा०-हद बांधना = सीमा निर्धारित होना । यह ठहराया जाना कि किसी चीज का घेरा अथवा लबाई, चौडाई यहाँ तक है। हद बांधना = सीमा निर्धारित करना। हद तोडना = सीमा के वाहर जाना या कुछ करना। सीमा का प्रतिक्रमण करना हद से बाहर = ठहराई हुई सीमा के प्रागे । हद कायम करना दे० 'हद बांधना'। २ किमी वस्तु या वात का सबसे अधिक परिमारण जो ठहराया गया हो। अधिक से अधिक सख्या या परिमाण जो साधारणत माना जाता हो या उत्रित हो । पराकाष्ठा । जैसे,—(क) उस मेले मे हद से ज्यादा आदमी आए। (ख) उसने मिहनत की हद कर दी। उ०---क्ला करी कोकिल कुरग वार कारे करे, बुढि कुढि केहरी कलक लक हद ली।-केशव (शब्द॰) । क्रि० क० प्र०~-करना = प्रति कर देना । —होना = पराकाप्ठा हो जाना। मुहा०--हद से ज्यादा = गहुत अधिक । अत्यत । हद व हिसाब नही% वहुत ही ज्यादा। अत्यत अपार । अपरिमेय । ३ अोट । प्राड (को०)। ४ मुसलिम धर्मशास्त्र द्वारा विहित दड (को०)। ५ किसी बात की उचित सीमा या निश्चित स्थान । कोई वात कहां तक करनी चाहिए, इसका नियत मान । कोई काम, व्यवहार या आचरण कहां तक ठीक है, इसका अंदाज । मर्यादा । जैसे,--तुम तो हर एक बात मे हद से बाहर चले जाते हो।