पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१३१

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हन्स बेजा हफ्तगाना ५४४३ हफ्तगाना--सज्ञा ० [फा० हफ्तगानह] गांव के पटवारी के सात हवस-सञ्ज्ञा पु० [फा० हबश, हब्श] अफ्रिका का एक प्रदेश । दे० कागज जिनमे वह जमीन, लगान आदि का लेखा रखता है- 'हवश' । उ०—करनाट, हबस, फिरगहू विलायती, वलख, रुम खसरा, बहीखाता, जमावदी, स्याहा, वुझारत, रोजनामचा और अरितिय छतियाँ दलति है।--भूपण ग्र०, पृ० ८६ । जिसवार । हवसी -सञ्ज्ञा पुं० [फा० हबशी] दे० 'हवशी' । उ०--तिल न होइ हफ्तदह-वि० [फा० हफ्तदह] सप्तदश । सत्रह (को॰] । मुख मीत पर जानी वाको हेत । रूप खजाने की मनी हवसी चौकी देत ।-रसनिधि (शब्द॰) । हफ्तहजारी--सज्ञा पुं॰ [फा० हफ्तहजारी] १ मुगलकालीन एक प्रति- ष्ठित पद । २ वह व्यक्ति जिसे यह पद प्राप्त हो [को०] । हवाब-सक्षा पुं० [अ०] १ बुद्बुद् । बुल्ला । २ शीशे का पतला गोला। हफ्ता-सज्ञा पुं० [फा० हफ्तह्] सात दिन का समय । सप्ताह । हैवाबी-वि० [अ०] नि सार । हवाब जैसा । क्षणभगुर । हफ्ती-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [फा० हप्ती] एक प्रकार की जूती । हविg. -सक्षा पुं० [म० हवि] दे॰ 'अग्नि'। उ०-निमल तेज लग्गी वि भुन, चष रत्ता हवि जान।-पृ० रा०, ६६।४६३ । हवकना--क्रि०अ० [अनुध्व० हप] १ मुंह वाना । खाने या दांत से काटने के लिये झट से मुंह खोलना । २ उतावली करना । हप् हप् हबीब ब-सञ्ज्ञा पुं० [अ०] १ दोस्त । मित्र । २ प्रिय । प्यारा। करना। जल्दबाजी करना। उ०-हबकि न बोलिबा ठवकि यौ०--खुदा का हवीव = पैगबर मुहम्मद साहब जो खुदा के परम न चालिवा धीरै धरिवा पाव। गरव न करिबा सहजै रहिवा प्रिय माने जाते है। भण्त गोरष राव।-गोरख०, पृ० ११ । हबूव--सञ्ज्ञा [अ० हबाब या हुवाब] १ पानी का बबूला । बुल्ला । हवकना-क्रि० स० १ किसी भोज्य वस्तु या फल आदि को जल्दी उ०--(क) यह सब मौज चौज सुख सगा, तन हबूब बुल्ले सम जल्दी दाँतो से काटकर खाना। दाँत काटना । जैसे,—कुत्ते ने जाई।--घट०, पृ० १५६ । (ख) तन हबूब वुल्ला जस फूटा।-- पीछे से आकर हबक लिया । घट०, पृ० ३१०।२ नि सार बात । झूठ मूठ की बात । उ०-- साधु जानै महासाधु, खल जाने महाखल, वानी झूठी सांची हवड हवड-क्रि० वि० [अनुध्व०] दे० 'हवर हवर' । उ०-दुर- कोटि उठत हवूब हैं । —तुलसी (शब्द॰) । ३ धूल से भरी मति दभ गहे कर मे डफ हबड हबड दै तारी। -धरम० तेज हवा । आँधी (को०)। श०, पृ०६१ । हवडा-वि० [देश॰] १ जिसके बहुत बडे बडे दाँत हो । बडदता । २ हबेली-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'हवेली'। हब्ब--सञ्ज्ञा पुं० [अ०] १. गुटिका । गोली । २. अन्न का दाना (को॰] । भद्दा। कुरूप। बदशकल । हव्वा--संज्ञा पु० [अ० हब्बह] १ अन्न का दाना । दाना । बीज । २ हवर दवर, हवर हवर-क्रि० वि० [अनु० हडवड] १ जल्दी जल्दी । उतावली से। जल्दबाजी से । जैसे,-घर मे तलवा नहीं टिकता, रत्ती भर वजन। पाठ चावल का भार। ३ बहुत थोडा, जरा हवर दवर प्राई फिर बाहर जा झमकी । २ जल्दी के कारण । सा अश या भाग । अत्यल्प मात्रा [को०] । ठीक तौर से नही। हडबडी से। जैसे,—इस तरह हवर हबर यौ०--हब्बा भर = बहुत थोडा। रत्ती भर । हब्बा हब्बा कौडी कौडी। करने से काम नहीं होता। हब्बा डव्वा-सञ्ज्ञा पु० [हि० हाँफ>हॅफ + अनु० डब्बा] जोर जोर से साँस या पसली चलने की बीमारी जो बच्चो को होती है। हवरानाg+-क्रि० अ० [अनु॰] दे० 'हडबडाना' हवश-सञ्ज्ञा पुं॰ [फा० हब्श] अफ्रिका का एक प्रदेश जो मिस्र के हब्बुल् ग्रास-सज्ञा पुं० [अ०] एक प्रकार की मेहँदी जो बगीचो मे लगाई जाती है और दवा के काम मे पाती है। विलायती दक्षिण पडता है और जहां के लोग बहुत काले होते है। मेहँदी। हवशिन--सज्ञा स्त्री॰ [फा० हवशी] १ हबश देश की औरत । हवशी विशेष-इस मेहँदी की पत्तियो से एक प्रकार का सुगधित तेल औरत जो शाही महलो मे पहरा देने का काम करती थी। २ निकाला जाता है। इस तेल से बाल भी वढते हैं। इसके फल अत्यत ही काली स्त्री। अतिमार और सग्रहणी मे दिए जाते है और गठिया का दर्द हवशी-सञ्ज्ञा पुं० [फा०] १ हबश देश का निवासी जो बहुत काला करने और खून रोकने के काम मे आते हैं। होता है। हव्स-सज्ञा पुं० [अ०] १ कैद । कारावास । २ अवरोध । एकावट । विशेष-हबशियो का रग बहुत काला, कद नाटा, बाल धुंघराले रोक (को०)। ३ वरसात मे हवा का बद हो जाना । ऊमस (को॰) । और अोठ बहुत मोटे होते है। पहले ये गुलाम बनाए जाते थे यौ०-हसे दम = (१) श्वासावरोध । दम घुटना । (२) कुभक और विक्ते थे। प्राणायाम । हन्से दवाम = आजन्म कारावास । उम्र भर की कैद। २ एक प्रकार का अगूर जो जामुन की तरह काला होता है। हसे बेजा = हन्स बेजा। हवशी सनर--सज्ञा पुं० [फा०] अफ्रिका का गैडा जिसके दो सीग या हब्स वेजा-सज्ञा पुं० [अ० हब्स ए वेजा] अनुचित रीति से बदी खांग होते हैं। करना । वेजा तौर पर कही कैद रखना । (कानून) । हिं० श० ११--१५