पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१३२

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हमरो उ०- हम'-सर्व० [सं० अहम्] उत्तम पुरुप बहुवचन का सूचक सर्वनाम हमदर्दी-संशा स्त्री॰ [फा०] दूसरे के दुख मे दुग्ग्री होने का भाव । महानु- शब्द । मैं का बहुवचन । भूति । जैसे,--मुझे उसके माथ कुछ भी नहानुमति नहीं है। हम@-सज्ञा पुं० अहकार । अपने को श्रेष्ठ मानने की या वडप्पन हमन--सर्व० [सं० ग्रहम्] हम । उ०--हमन है इश्क मनाना की भावना । 'हम' का भाव । उ~-जव हम था तब गुरु नहीं हमन को होशियारी क्या ।--कवीर म०, भा॰ २, पृ०७० । जब गुरु तव हम नाहि । --कवीर (शब्द॰) । हमनिवाला--विसमा पुं० [फा० मनिपालह] एक नाथ बैठकर हम--प्रव्य. [फा०] १ साथ । मग । २ प्रापस मे। परस्पर । ३ भोजन करनेवाले । अाहार के मखा। घनिष्ट मिव । समान । तुल्य। हमपा, हमपर्च-मर्व० [हिं० हम + पच ] हम लोग । यौ०-हमअसर। हमकौम = सजातीय । एक जाति का। हम- हम पल्ला-वि० [फा० हमपल्लह] जो तुत्य हो । समान । बरावरी- खाना-सह निवासी । एक साथ रहनेवाला । हमदर्दी । हमजिस । वाला [को०)। हमजोली। हमप्रसर--सञ्ज्ञा पुं० [फा० म+अ० अस्र, असर] १ वे जिनपर हमपेशा-वि० [फा० हमपेशह] एक ही तरह का पेशा करनेवाला । जो व्यवसाय एक करता हो, वही व्यवसाय करनेवाला दूसरा । एक ही प्रकार का प्रभाव पडा हो । समान सस्कार या प्रवृत्ति महव्यवसायी। युक्त । समान प्रभाव या सस्कारवाला। २ एक ही समय मे हमविस्तर-वि० [फा०] १ एक ही शय्या पर सोनेवाला। २ एक ही होनेवाले । साथी। सगी। बिछोने पर साय में सोया हुना। हम उम्र-वि० [फा० हम+प्र० उम्र] अवस्था मे समान । वरावर क्रि०प्र०—करना ।--बनाना। होना। उम्र का। हमकौम-वि० [फा० हम + अ० कोम] एक ही जाति के । सजातीय। हमविस्तरी-समा स्त्री० [फा०] १ एक ही बिछौने पर माय मे सोने हमख्याल-वि० [फा० हम+ खयाल समान विचारवाला। की क्रिया । २ प्रसग । मैयुन । मभोग । सहवास । जब जव पर्दा फाश किया जाता है तब तब अमृत राय और हममजहव-वि० [फा० हम+प्र० मजहब] समान धर्म के अनुयायी। उनके हमय्यालो का पारा ऊपर चढ जाता है। प्रसाद०, एक ही मजहब को माननेवाले । सहधर्मी । पृ० १४५1 हमर-सर्व० [ हि० ] दे० 'हमारा' । उ०-है छोर छीन सब हमर हमख्वावा-सज्ञा स्त्री॰ [फा० हमख्वावह.] पत्नी। भार्या । वीवी (को०]। देश ।-नई०, पृ० २० । हमचश्म-वि० [फा०] बराबरी का दर्जा रखनेवाला । हमरकाव-वि० [फा०] घुडसवार के साथ चलनेवाला। मवारी के साथ हमचश्मी-सज्ञा स्त्री॰ [फा०] मिनता। दोस्ती। बरावरी। उ०-दो जानेवाला । उ०-रक्षक शरीर का, हमरकाव, साय लेता चार अव तुम से क्यो कर होये हमचश्मी के दावे से । कि सेना निज।-अपरा, पृ० ८४ । नरगिस की चमन मे देखकर गरदन ढलकती है ।-कविता हमरा-सर्व० [हि. हम] दे० 'हमारा' । उ०—(क)धर्म हमरा ऐसा को०, भा०४, पृ० ४३ । निर्वल और पतला हो गया है कि केवल स्पर्श से वा एक हमजिस-सज्ञा पुं० [फा०] एक ही वर्ग या जाति के प्राणी । एक ही चुल्लू पानी से मर जाता है। भारतेंदु ग्र०, भाग ३, प्रकार के व्यक्ति। पृ० ५८३ । (ख) हम जाने हैं, परम तापसी हमरे हमजुल्फ-सशा पुं० [फा० हमजुल्फ] साली का पति । साढू । उ०- सजन सुजाना। हम जाने है, परम निरिद्रिय हमरे ये आपकी फूफी के नवासे का हमजुल्फ हूँ।-प्रेमघन॰, भा॰ २, मेहमाना ।-ववासि, पृ० १३ । पृ०८६॥ हमजोली-सक्षा पुं० [फा० हम + हिजोडी] साथी । सगी। सहयोगी। हमराज-वि० [फा० हमराज] रहस्य जाननेवाला । मर्मज्ञ । उ०- सखा । उ०-खेलूंगी कभी न होली । उससे जो नही हम- ना देखे पन उस दुख का दरवाज कोई। खुदा विन न था जोली। -अर्चना, पृ० ३४ ॥ उसको हमराज कोई ।-दक्खिनी, पृ० १४० । हमता-सचा स्त्री० [स० अहम्, हि. हम+स० ता (प्रत्य०) अथवा हमराह-प्रव्य० [फा० ] (कही जाने में किसी के) साथ । सग मे। सं० अहन्ता] अहभाव । अहकार । उ०-हमता जहाँ तहां प्रभु जैसे,-लडका उसके हमराह गया। नाही सो हमता क्यों मानी।-सूर०, १११ । मुहा०- हमराह करना = साथ मे करना । सग या साथ मे हमतोल-वि० [हि० हम + तोल] तुल्य । बरावर । समान । उ०- लगाना। हमराह होना = साथ जाना । ओ हमतोल आपस मे कर दोसती । किया भाव लोरक का मैना हमराही–वि० [फा०] सहपथिक । साथ यात्रा करनेवाला । सहयात्री। सती।-दक्खिनी०, पृ० ३७३ । उ०-फ्रास और इगलंड पुराने अड्डे पूजीशाही । कुछ ही दिन हमदम-सधा पुं० [स०] हर समय का साथी । दोस्त । मिन्न । रह सके जग मे सग और हमराही। हस०, पृ० ४० । हमदर्द-वि०, सञ्ज्ञा पुं॰ [फा०] दु ख का साथी । दुख मे सहानुभूति हमरो@--सर्व० [हि० ] हमारा । उ०—(क) कुपित भयो सुरपति रखनेवाला। मतवारी । हमरो अवर पवन रखवारी ।--नद० प्र०, ३०