पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१३६

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५४४ हरगिस वाहक । जैसे,--सदेशहर। ५ आकर्षक । ६ अभ्यर्थी । दावेदार। हरकर-वि० हरण करनेवाला । हकदार (को०) । ७ कन्जा या अधिकार करनेवाला (को०)। हरकत-सज्ञा सी० [अ०] १ गति । चाल । हिलना । डोलना । २. चेप्टा। ८ विभाजक । वांटनेवाला (को०) । कर्म । क्रिया। ३ स्वर या स्वरवोधक चिह्न, मात्रा प्रादि (को०)। हर-सचा पुं० १ शिव । महादेव । २ एक राक्षस जो वसुदा के गर्भ ४ बुरी चाल । वेजा कार्रवाई । दुप्ट व्यवहार । नटखटी। उ०- से उत्पन्न माली नामक राक्षस के चार पुत्रो मे से एक था और (क) तुम्हारी सब हरकतें हम देख रहे हैं। (ख) यह सब उसी विभीषण का मत्री था। ३ गणित मे वह सख्या जिससे भाग की हरकतें है (ग) नाशाइस्ता हरकत, वेजा हरकत । दें। भाजक । ४ गणित मे भिन्न मे नीचे की सख्या । क्रि०प्र०--करना ।-होना। ५ अग्नि । प्राग । ६ गदहा । ७ छप्पय के दसवे भेद का नाम । हरकना-क्रि० स० [हिं० हटक( = रोक) + ना] ३० 'हटकना'। ८ टगण के पहले भेद का नाम । ६ ग्रहण करना या लेना उ०-भट स्द्रगन, भूत गनपति सेनापति, कलिकाल को कुचाल (को०)। १० हरण करना (को०)। ११ ग्रहण करनेवाला काहू तो न हरको । -तुलसी ग्र०, पृ० २४१ । व्यक्ति । ग्राहक (को०)। हरकना --क्रि० अ० [हिं० हट क + ना] दे० 'हडकना'। हर-सज्ञा पुं॰ [स० हल] हल । हरकारा-सधा पुं० [फा० हरकारह] १ चिट्ठी पत्री ले जानेवाला। संदेसा ले जानेवाला। उ०-हरकारा घोडे पर सवार होते ही यौ०-हरवाहा । हरवल । हरौरी। हरहा । प्रांखो से प्रोझल हो गया ।-पीतल०, पृ० ३८३ । २ चिट्ठी- हर-वि० [हिं० हरा सं० हरित] दे० 'हरा' और 'हरियर' । रसा | डाकिया। उ०-वोलि विप्र सोधे लगन्न, सुध घटी परट्ठिय। हर बासह हरकेस [-सक्षा पुं० [सं० हरिकेश] एक प्रकार का धान जो अगहन मे मडप बनाय करि भांवरि गठिय।-पृ० रा०, २०१६६ । तयार होता है। हर -वि० [फा०] प्रत्येक । एक एक । जैसे, (क) हर शख्स के पास हरक्कती-मद्या स्त्री॰ [हिं०] नुकसान । हानि । उ०-तिन तिन चले एक एक वदूक थी । (ख) वह हर रोज पाता है। छिपाय प्रकट मे होय हरक्कत ।-पलटू०, भा० ३, पृ० ५५ । यौ०-हरकारा । हरजाई । हरख-सा पुं० [सं० हर्प, प्रा०, अप०, हिं० हरख] दे० 'हपं'। मुहा०-हर एक = प्रत्येक । एक एक । हर कोई या हर किसी = उ०--(क) छिन महिं अगिनि छिनक जलपात, त्यों यह हरख प्रत्येक मनुष्य । सब कोई या सब किसी। सर्वसाधारण । जैसे, हर शोक की बात ।-अर्ध०, पृ० ४० । (ख) मतिराम सुकवि किसी के पास ऐसी चीज नही निकल सकती। हर कोई = सर्व संदेसो अनुमानियत, तेरे नख सिख अग हरख कटोटे सो।- साधारण । जैसे,—हर कोई यह काम नही कर सकताहर । तरह- मतिराम ग्र०, पृ० ३६६ । प्रत्येक ढग से। हर हालत मे। हर फन मोला- हर एक फन हरखना-क्रि० स० [हिं० हरख + ना (प्रत्य॰)] हर्षित होना। जाननेवाला । प्रत्येक काम में माहिर । हर दफा, हर बार या हर प्रसन्न होना । खुश होना । उ०—कौतुक देखि सकल सुर हरखे । मर्तबा = प्रत्येक अवसर पर। हर रोज = प्रतिदिन । नित्य । --तुलसी (शब्द०) हर वक्त = हर समय । हर दम । निरतर । हर हाल मे = प्रत्येक हरखनि-सचा सी० [सं० हर्पण] हरखने की क्रिया या भाव । दशा मे । हर दम = प्रतिक्षण । सदा । जैसे,—वह हर दम यही हर्ष । पानद । उ०-नेत्र की करखनि, बदन की हरखनि, पडा रहता है । हर यक = दे० 'हर एक' । हर हमेशा = सदा । तैसिय सिर ते कुसुम गुवरखनि ।-नद० ग्र०, पृ० २४८ । सर्वदा। हरखाना'--कि० अ० [हिं० हरखना] दे० 'हरखना' । उ०-तुरत हर-सज्ञा पुं० [जर०] अग्रेजी के मिस्टर शब्द का जरमन समानार्थवाची उठे लछमन हरखाई।-तुलसी (शब्द॰) । शब्द । महाशय । जैसे,--हर स्ट्र स्मैन, हर हिटलर । हरखाना-क्रि० स० प्रसन्न करना । खुश करना । मानदित करना । हरई:--सचा स्त्री० [हिं० हलका, हलकी] हलकापन । लघुता । अगुरुता। हरखित- वि० [स० हर्पित] दे० 'हपित' । उ०-द्विजहिं दूरि उ०-विहि नेह विरोध वढ्यो सवसरे उर आवत कौन के लाज तै निरखि निरखि हरि हरखित होई।-नद० न०, पृ० २०४ । गई। जेहि के भरि भार पहार दब, अंग मांझ भई तिन ते हरगिज--अव्य० [फा० हरगिज] किसी दशा मे । कदापि । कभी । जैसे- हरई ।-नानद, प० ८३ । वह वहां हरगिज न जायगा। हरएँ--अव्य० [हिं० हरुवे] १ धीरे धीरे । मद गति से। आहिस्ते हरगिरि--सञ्ज्ञा पुं० [सं०] कैलास पर्वत । उ०-जो हठ करउ त निपट से । उ०-हेरत ही हरि को हरषाय हिये हठि के हरएँ चलि कुकरमू । हरगिरि ते गुरु सेवक धरम् ।—मानस, २२२५३ । आई ।-वेनी (शब्द०) । २ तीव्रता से नहीं । जोर से नही । हरगिला --सञ्ज्ञा पु० [हिं० हाड] दे० 'हडगीला' । हरक-सज्ञा पु० [सं०] १ अपहरण करनेवाला । चोर । तस्कर । हरगिसg-अव्य० [फा० हरगिज़] दे० 'हरगिज' । उ०-करत न २ धूर्त । प्रतारक । वचक । शठ । ३ भाजक । हर। ४ शिव हरगिस लाडिले वा विन सेज न स्न।-भारतेंदु ग्र०, भा० २१ का एक नाम । ५ लवी और लचनेवाली तलवार [को॰] । पु०७८५