पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१५४

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हर्षण' ५४६६ हला co २७ योगो मे से एक योग । ७ काम के वेग से इद्रिय का हानाg- त्रि० अ० [म० हर्प + हिं० पाना (प्रत्य॰)] आनदित तनाव । ८ श्राद्ध के देवता । थाद्धदेव (को०)। ६ अानद । होना। प्रसन्न होना । प्रफुल्ल होना। हर्प । प्रसन्नता (को०) । १० सेना या दल का उत्साह हर्षाना-क्रि० स० हपित करना । अानदित करना। बढाना । ११ अस्त्र का एक सहार । हर्षान्वित--वि० [सं०] प्रसन्न । खुश [को०] । हर्षण'--वि० [वि॰ स्त्री० हर्पणा, हर्पणी] १ प्रफुल्लताकारक । हाविष्ट-वि० [स०] हर्पयुक्त । प्रसन्न । आनदित [को०] । आनद देनेवाला । २ रोमाचित करनेवाला (को०) । हर्षाश्रु-सञ्ज्ञा पुं० [स०] हर्प से उत्पन्न आँसू । अानदाश्रु [को०] । हर्पणीय-वि० [सं० ] हर्षप्रद । ग्रानददायक [को०] । हर्षिणी-सशा स्त्री० [स०] १ वह वस्तु जिसके ग्रहण से आनद की हर्षद-वि० [सं० ] आनददायक । अनुभूति हो । २ विजया । सिद्धि | भाँग [को०] । हर्षदान-सचा पुं० [सं०] प्रसन्नतापूर्वक दिया हुअा दान [को०] । हर्षित'-- --वि० [स०] १ आनदित । प्रमन्न । प्रफुल्ल । खुश । २ जो हर्षदोहल-सज्ञा पुं० [ ] वासनात्मक इच्छा । कामेच्छा [को०)। प्रसन्न किया गया हो (को०) । ३ रोमाचयुक्त । रोमाचित (को०)। हर्षधारिका -सज्ञा स्त्री० [स.] सगीत मे एक ताल जो चौदह प्रकार क्रि० प्र०—करना ।—होना । के तालो में से एक है। हर्षित' २-सञ्ज्ञा पु० अानद । आह्लाद [को०] | हर्षध्वनि--सभा स्त्री० [ स० ] उल्लास, आनद प्रादि के कारण की हर्षी-वि० [स० हर्षिन्] १ आनदित । खुश। प्रसन्न । हर्षित । २ जानेवाली आवाज को । आनदकारक । प्रसन्न करनेवाला [को०) । हर्षना-क्रि० प्र० [ सं० हर्पण ] प्रफुल्लित होना। खुश होना। हर्षीका-सज्ञा सी० [स०] एक वृत्त का नाम [को०] । प्रसन्न होना । उ०- लखि प्रतीति मन मह भइय, हर्षे महिमा हर्षुल'--वि० [स०] हर्षित रहनेवाला । खुशमिजाज । मीर ।-ह० रासो, पृ० ५० । हर्षनाद-सचा पु० [ स०] दे० 'हर्पध्वनि' । हर्षुल---सञ्ज्ञा पुं० १ प्रेमी । नायक। प्रियतम । २ हिरन । मृग। ३ एक बुद्ध का नाम । हर्षनिष्वनी-सक्षा स्त्री॰ [ सं० ] सगीत मे एक प्रकार की रागिनी हर्षुला--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] वह कन्या जिसकी ठुड्डी मे बाल या दाढी हो। का नाम। विशेष-शास्त्रो मे ऐसी कन्या विवाह के अयोग्य कही गई है। हर्षनि स्वन, हर्षनिस्वन-संज्ञा पुं० [सं०] दे॰ 'हर्पध्वनि' [को०] । हर्षपुरी- हर्षोत्कर्ष-सञ्चा पुं० [सं०] हर्षातिशय । आनदातिरेक (को॰] । -सझा पी० [ स० ] सगीत मे एक राग । हर्पप्रद-वि० [स०] हर्षित करनेवाला । आनददायक । हर्षोत्फुल्ल-वि० [सं०] हर्प से विकमित । खुशी से फूला हुआ। हर्षभाक्- वि० [सं० हर्षभाज् ] अानद का भागी। खुश । प्रसन्न । हर्षोदय-सञ्ज्ञा पुं० [स०] आनद की उत्पत्ति (को०] । हर्षमारण-वि० [ स० ] प्रसन्न । हर्षित । खुश [को०) । हर्सा -सञ्ज्ञा पुं० [सं० हलीपा] हल का लवा लट्ठा । हरिस । हलीपा । हर्षयित्नु'-वि० [ म० ] पानददायक [को०] । हल्--सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] शुद्ध व्यजन जिसमे स्वर न मिला हो । विशेष-लिखने मे अक्षर के नीचे एक छोटी तिरछी लकीर बना हर्षयित्नु'--सज्ञा पुं० १ सोना । सुवर्ण । २ पुन । सतान [को॰] । देने से यह सूचित होता है। जैसे 'पृथक्' शब्द मे 'क' के नीचे । हर्षवर्द्धन, हर्षवर्धन- सज्ञा पुं० [ सं०] भारत का वैस क्षत्रिय वशीय हलत-सज्ञा पुं० [सं०] शुद्ध व्यजन जिमके उच्चारण मे स्वर न मिला एक समाट जिसकी सभा मे वारण कवि रहते थे। हो। दे० 'हल्'। विशेष--हर्षचरित नामक ग्रथ वाणकवि ने इनके जीवन पर लिखा विशेष-व्यजन दो रूपो मे आते हैं-स्वरात और हलत । है । यह वौद्ध था और इसका राज्य विक्रम की सातवी शताब्दी मे था। प्रसिद्ध चीनी यात्री हुएन्साग इसी के समय हल'---सज्ञा पुं॰ [स०] १ वह यत्न या औजार जिससे वीज बोने के लिये जमीन जोती जाती है। वह अौजार जिसे खेत मे सब मे भारतवर्ष में पाया था। जगह फिराकर जमीन को खोदते और भुरभुरी करते है । हर्ष विवर्धन-वि० [सं०] हर्ष, अानद, प्रसन्नता आदि की वृद्धि सीर । लागल। करनेवाला [को०] । विशेष—यह खेती का मुख्य प्रौजार है और सात आठ हाथ लवे हर्षविह्वल-वि० [सं०] आनदातिरेक मे निमग्न । प्रानदमग्न [को०] । लठे के रूप मे होता है, जिसके एक छोर पर दो ढाई हाथ का हर्षसपुट :-सचा पुं० [सं० हर्षसम्पुट] एक रतिबध [को०] । लकडी का टेढा टुकडा पाटे बल मे जडा रहता है । इसी पाडी हर्षसमन्वित-वि० [सं०] ३० 'हर्षान्वित' । लकडी मे जमीन खोदनेवाला लोहे का फाल ठोका रहता है । हर्षस्वन--सञ्ज्ञा पुं० सं०] प्रानद की ध्वनि । दे० 'हर्षध्वनि' [को०] । लवे लढे को 'हरिस' या 'हा' और पाडी जडी लकडी को हाकुल-वि० [सं०] हर्ष से प्राकुल । अानदमग्न (को०] । 'हरैना' कहते हैं। हर्षातिरेक, हर्षातिशय-मज्ञा पुं० [सं०] अानदातिरेक । हर्ष की क्रि० प्र०--चलाना। अधिकता। [को०] 1 मुहा०-हल जोतना % (१) खेत मे हल चलाना । (२) खेती करना ।