पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१५७

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हेल? हलभृति लिए जिसे रोचनी हलदी कहते हैं । वंद्यक मे यह गरम, पाचक, हलफनामा--सच्चा पुं० [अ० हेलफ+ फा० नामह] वह कागज अग्निवर्धक और कृमिघ्न मानी जाती है। रंगाई मे काम आने जिसपर कोई वात ईश्वर को साक्षी मानकर अथवा शपथ- वाली हलदी की जातियां ये है-लोकहाँडी हलदी, मोयला पूर्वक लिखी गई हो। हलदी, ज्वाला हलदी और आंवा हलदी। हलफल-सञ्ज्ञा स्त्री० [अनु० प्रा० हल्लपफल्ल, हल्लफल] त्वरा । २ उक्त पौधे की गाँठ जो मसाले प्रादि के रूप मे व्यवहार शीघ्रता । व्यग्रता । हडबडी । उ०—रह रह सुदरि, माठ करि, मे लाई जाती है। हलफल लग्गी काइ। डाँभ दिरावइ करइलउ, से कता मरि मुहा०-हलदी उठना या चढना= विवाह के तीन या पांच दिन जाइ। ढोला०, दू० ३२१ । पहले दूल्हे और दुलहन के शरीर मे हलदी और तेल लगाने की हलफा--सज्ञा पुं० [अनु० हल हल] १ हिलोर । लहर । तरग । २ रस्म होना। हलदी लगना = विवाह होना । हलदी लगा के एक प्रकार का बच्चो रोग जिसमे साँस तेज चलती है । वैठना = (३) कोई काम न करना, एक जगह बैठा रहना । क्रि० प्र०-उठना । १२) घमड मे फूला रहना । अपने को बहुत लगाना । हलदी मुहा०-हलफा मारना = लहरें लेना । लहराना । हलफा लगी न फिटकिरी = विना कुछ खर्च किए । मुफ्त मे । चलना = बहुत तेजी से साँस चलना। उलटी साँस चलना। हलदू-सज्ञा पुं० [हि० हल्द (=हलदी)] एक बहुत बडा और ऊँचा विशेष-किसी किसी रोग की घातक स्थिति मे साँस उलटी पेड जिसकी छाल डेढ अगुल मोटी, सफेद और खुरदुरी होती है। चलने लगती है। विशेष--इसके भीतर की लकडी पाली और बहुत मजबूत होती हलफी--वि० [अ० हलफी] हलफ के साथ । शपथयुक्त [को०] । है। यह पेड तर जगहो मे, जैसे हिमालय की तलहटी मे, हलव-पचा पुं० [अ० हलब देश ] [वि०, हलबी, हलब्बी] फारस की होता है । इसकी लकडो वहुत वजनी होती है तथा साफ करने ओर के एक देश का नाम । सीरिया, जहाँ का शीशा प्रसिद्ध से चमकती है । इससे खेती और सजावट के सामान जैसे, था। दे० 'शाम'। उ०-कधी सौदा लेकर ग्रावे अरव का । मेज, कुरसी, आलमारी, कधियाँ, बदूक के कुदे इत्यादि बनते हैं। कधी शीसा लेवे जलव का हलब का ।--दक्खिनी०, इस पेड को करम (दे० 'करम' का विशेष) भी कहते हैं । पृ० २७७ । हलद्दी 1-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] हलदी। हरिद्रा [को०] । हलवलg+-सबा पुं० [हिं० हल + वल] खलबली। हलचल। धूम । हलधर--सज्ञा पुं॰ [स०] १ हल को धारण करनेवाला । २ बलराम हलवला-वि० [हिं० हलवल] अधीर । व्यग्र । व्याकुल । उ०-तव जी जो हल नामक अस्त्र धारण करते थे। उ०--मारो हलधर वनारसी है हलवले । बरसत मेह वहुरि उठि चले ।--अर्ध०, अगिनित वीरा।-कबीर सा०, पृ०४८ । पृ० २८॥ हलनाg+--क्रि० अ० [स० हल्लन ( = डोलना, करवट लेना)] १ हलबलाना-क्रि० अ० [हिं० हलवल] भय या शीघ्रता आदि के हिलना डोलना । उ०-अगनि उतग जग जैतवर जोर जिन्हें कारण घबराना । हडबडाना। चिक्करत दिक्करि हलत कलकत हैं । मतिराम (शब्द)। हलबलाना--क्रि० स० दूसरे को घबडाने मे प्रवृत्त करना । २ घुसना । प्रवेश करना । पैठना । जैसे,—पानी मे हलना, हलवलाहट-सज्ञा स्त्री० [हिं० हलवलाना] हलवलाने की क्रिया या घर मे हलना । ३ समूह मे घुसकर लडना । भिडना । टूट भाव । खलवली। धवराहट । पडना । उ.--प्यादन सो प्यादे पखरंतन सो पखरंत, वखतर- हलवी--वि० [अ० हलवी] हलव देश का (शीशा) । वढिया (शीशा)। वारे वखतरवारे हलते ।--भूषण ग्र०, पृ० ६६ । उ०-नन सनेहन के मनौ हलवी सीसा पाइ। गुपुत प्रगट तिन हलपता-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० हल + पट्ट (= पाटा)] हल की प्राडी लगी मैं सदा मीत सुमुख दरसाइ।-स० सप्तक, पृ० १६५। हुई लकडी जो बीच मे चौडी होती है । परिहत । हलब्बी'--वि० [अ० हलवी] दे० 'हलवी' । जैसे--हलब्बी शीशा । हलपाणि - सज्ञा पु० [सं०] वलराम जो हाथ मे हल लिए रहते थे। हलब्बी-वि० [?] पर्याप्त। काफी । बहुत । जैसे,—उसने घूस मे हलधर । हलब्बी रकम पिलाई है। हलफ-सज्ञा पुं० [अ० हलफ] वह वात जो ईश्वर को साक्षी मानकर कही जाय । किसी पवित्र वस्तु की शपथ । कसम । सौगध । हलभला-सञ्चा पुं० [अनु॰] दे० 'हलबल' । मुहा०-हलफ उठवाना या देना=शपथ खिलाना या खाने को हलभली-सज्ञा सी० [हिं० हलबल] खलबली। हलचल । घबराहट । कहना । हलफ उठाना या लेना = शपथपूर्वक कहना। कसम हलभल। खाना । ईश्वर को साक्षी देकर कहना । हलभली २--मया स्त्री॰ [प्रा० हलहलय त्वरा । जल्दी। हडवडी। हलफदरोगी-सझा स्त्री० [अ० हलफदरोगी] अदालत मे झूठी शपथ हलभूति -मज्ञा पुं० [स०] शकराचार्य का एक नाम । लेना । झूठी कसम खाना (को०] । हलभूति ---सञ्ज्ञा स्त्री० दे० 'हलभृति' । हलफन-क्रि० वि० [अ० हलफन] क्सम से । कसम खाकर । शपथ हलभृत-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० हलभृत्] १ बलराम। २ किसान । कृपक [को॰] । पूर्वक (को०] । हलभृति-- [--सदा सी० [सं०] कृपि का काम । किसानी को] ।