पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१५९

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हलोकत ५४७६ मुहा०-हलाक करना = मार डालना । वध करना । हलाक मुहा०—हलाल करके खाना = ईमानदारी से अर्जन करके उपयोग होना = (१) मर जाना । मृत होना । (२) बग्बाद होना । मे लाना । जैसे,--जिसका खाना, उसका हलाल करके खाना। हलाकत-सन्ना स्त्री० [अ०] १ हत्या । वध । मार डालना। २ मृत्यु । हलाल करना (१) ईमानदारी के साथ व्यवहार करना । विनाश । ३ परिश्रम । मेहनत (को०)। ४ शिथिलता । शैथिल्य । बदले मे पूरा काम करना। (२) खाने के लिये पशुओ को थकान (को०)। मुसलमानी शरम के मुताविक, धीरे धीरे गला रेतकर मारना । हलाकान-वि० [अ० लाकत या हैरान + ई] परेशान । हैरान । जबह करना। उ०--सव मैं खुदा कुरान बतावै। करी हलाल तग । उ०-क्यो निर्दोपियो के हलाकान करने की ठान ठानते सो दरद न आवै ।--घट०, पृ० २११ । (३) गला काटना। हो ।--प्रेमघन०, भाग २, पृ० ४६७ । गरदन उतारना। (४) कष्ट देना । अत्यत पीडा पहुंचाना । क्रि० प्र०--करना ।--होना । हलाल का - (१) जो जारज न हो। वैध । जायज। (२) हलाकानी:-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हि. हलाकान ] तग होने की क्रिया या धर्मशास्त्र के अनुकूल ईमानदारी से पाया हुआ । जैसे-हलाल भाव । परेशानी । हैरानी। का रुपया। हलाल की कमाई = ईमानदारी से किया हुआ अर्जन । मिहनत की कमाई । हलैाकी-[अ० हलाक + हि० ई (प्रत्य॰)] हलाक करनेवाला। मार डालनेवाला ! मारू । घातक । उ---जोग कथा पठई ब्रज को, हलालखोर--सज्ञा पु० [अ० हलाल + फा० खोर + ई] १ हलाल की कमाई खानेवाला। मिहनत करके जीविका करनेवाला। २. सव सो सठ चेरी की चाल चलाकी। ऊधो जू। क्यो न कहैं कुवरी जो बरी नटनागर हेरि हलाकी ।--तुलसी (शब्द०)। मैला या कूडा करकट साफ करने का काम करनेवाला। मेहतर । भगी। हलाकी' २-सज्ञा स्त्री० १ विनाश । बरवादी। २ मृत्यु । मौत [को०] । हलालखोरी-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ० हलाल + फा० खोर + ई] १ हलालखोर हलाकू'--वि० [अ० हलाक + ऊ ( प्रत्य० ) ] हलाक करनेवाला । वध करनेवाला। की स्त्री। २ पाखाना उठाने या कूडा करकट साफ करने का काम करनेवाली स्त्री । ३ हलालखोर का काम । ४ हलाल- हलाकू-सञ्ज्ञा पु० एक तुर्क सरदार वा बादशाह जो चगेज खां का खोर का भाव या धर्म। पोता था और उसी के समान क्रूर तथा हत्याकारी था। हलाह-सज्ञा पुं० [सं०] चितकबरा घोडा । दे० 'हलाभ' । हलाचली. -सज्ञा स्त्री० [अनु० ] दे० 'हलचल'। हलाहल-सज्ञा पुं॰ [स०] १ वह प्रचड विप जो समुद्रमयन के समय हलाना -क्रि० स० [हि० हिलना] दे० 'हिलाना'। उ०--डर ते निकला था। नैन सजल ह्व आए | जनु अरविद अलिद हलाए ।-नद० विशेष--इस विष को तीव्र उष्मा या ज्वाला के प्रभाव से सारे ग्र०, पृ० २५० ॥ हलाभ-सज्ञा पुं० [स] वह घोडा जिसकी पीठ पर काले या देवता और असुर व्याकुल हो गए थे। अत मे शिव जी ने देवा- गहरे रंग के रोएँ बरावर कुछ दूर तक चले गए हो। सुर की प्रार्थना पर इसे अपने कठ मे धारण किण था। इसी से उनका नाम नीलकठ पडा। हलाभला-सज्ञा पुं० [हि० भला + (अनु०) हला] निबटारा। निर्णय । २ महाविष । भारी जहर। उ०--विक तो कहँ जो अजहूँ तु जैसे,--बहुत दिनो से यह पीछे लगा है, इसका भी कुछ जिये । खल, जाय हलाहल क्यो न पिय ? -केशव (शब्द०)। हलाभला कर दो। २ परिणाम । फल । उ०--भले ही भले ३ एक जहरीला पौधा। निवहै जो भली यह देखिवे ही को हला हु भला । मिल्यो मन तो मिलिबोई कहूँ, मिलिबो न अलौकिक नदलला |--केशव विशेप-भावप्रकाश के अनुसार इस पौधे के पत्ते ताड के मे, कुछ नीलापन लिए तथा फल गाय के थन के प्राकार के सफेद लिखे (शब्द०)। हलाभियोग-सज्ञा पुं० [ स०] वर्ष में पहले पहल खेत मे हल ले गए हैं। इसका कद या जड की गांठें भी गाय के थन के प्राकार जाने की रीति या कृत्य । हलवत । हरीती। की कही गई हैं। लिखा है कि इसके आसपास घास या पेड पौधे नही उगते और मनुष्य केवल इसकी महक हलायुध-सज्ञा पु० [स०] १ बलराम का एक नाम । २ सस्कृत का मर जाता है। एक कोश ग्रथ। ४ एक प्रकार का सर्प। ब्रह्मसर्प (को०)। ५ अजना नाम की एक हलाल'--वि० [अ०] १ जो धर्मशास्त्र के अनुसार उचित हो । प्रकार की छिपकली (को०) । ६. एक बुद्ध (को०) । जो शरण या मुसलमानी धर्मपुस्तक के अनुकूल हो। २ जो हलि- --सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ वडा हल । २ हल की रेखा। कूड । ३ हराम न हो। विधिविहित । जायज । ३ जिसे स्वीकार किया कृषि । खेती [को०] । जा सके। जिसे ग्रहण किया जा सके । स्वीकरणीय । हलिक-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ हल चलानेवाला । हलवाहा । किसान । यौ०-हलालखोर । नमकहलाल । २. एक नाग असुर (को०] । हलाल'--सञ्ज्ञा पुं० वह पशु जिसका मास खाने की मुसलमानी धर्म- हलिक्ष्ण-सज्ञा पुं॰ [स०] एक प्रकार का सिंह । पुस्तक मे आज्ञा हो। वह जानवर जिसके खाने का निषेध हलिनी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ हलसतति या समूह । २ लागली वृक्ष। नहो। कलियारी नाम का पौधा (को०] ।