पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१६८

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हस्तरोधी ५४८० हस्तावारे निर्णय होता है। इसके विद्वान् केवल हस्तरेखायो के अाधार पर जो हाथ से हरण दिया जा सके। ३ व्यक्त । सुम्पटा जन्मकुडली का निर्माण और भूत तथा भविष्य कथन करते हैं । रपट । प्राट (फो०] । हस्तरोधी -सज्ञा पुं० [१० हस्तरोधिन् ] शिव का एक नाम । हस्ताकित-वि० [सं० हप्तादिन ) हार गे नित्रा प्रा । हस्तलक्षण-संज्ञा पुं॰ [सं०] १ हथेली की रेयानो द्वारा शमाशुभ हस्तागुलि -- सी० [ग० हन्नान.नि ] हाय ती प्रतियां । आदि की सूचना । २ अथववेद का एक प्रकरण । हस्ताजलि-Hशा नो [ म० हम्नानि] हाय या मपुट । स्पेलियो । हस्तलाघव-सचा पुं० [सं०] किसी काम मे हाथ चनाने की निपुणता। अजलि । हथेनिया को मिलाकर बनाई है अजुनि यि । हाथ की फ़रती। २ हाथ की सफाई। हस्तातर-मघा पं० [सं० हस्तान्तर] दूसरा हाथ । मन्य हाथ । हस्तलिखित- [-वि० [सं०] हाथ का लिखा हुग्रा (ग्रथ यादि) । हस्तातरण-मा म हस्तान्तरण ] पति या अधिकार या हस्तलिपि-सञ्चा क्षी० [म.] हाथ की लिखावट । लेग । दूगर व्यक्ति पे हाय जाना या दूसरे को देना । कोई वन्नु अन्य हस्तलेख-सरा पुं० [सं०] ३ हाथ को लिखावट । २ हाथ लिये व्यक्ति के हाय मे दना (को०) । हुए प्राचीन ग्रथ । हस्तातरित--वि० [ म०] १ जो दूसरे को प्रदत्त हो । दूर्म को हस्तलेपन--मज्ञा पुं॰ [सं०] हाथ से लेप करना । दिया दया । उ०--चा हस्ताग्नि फर वयात चरने लगा और उसन प्रामार के साथ उन परवाही पर विदा की दृष्टि हस्तवत्--वि० [सं०] हाथवाला अर्थात् दक्ष । चतुर । युशल । प्रवीण । की।चत्रकार, पृ० २६ । २ जा एक से दूसरी हाथ में हस्तवर्ती-वि० [स० हस्तवतिन् ] हाथ मे का। हाथ मे स्थित। जो गया या दिया गया हो। जगे,-गपत्ति, अधिकार प्रादि । हाथ मे हो । दे० 'हस्तगत' । हस्तवात रक्त-मशा पुं० [सं०] एक रोग जिसमे हथेलियो में छोटी हस्ता-सा पी० [सं०] हल नामक नक्षन्न । दे० 'हम'-५ । छोटी फुसियाँ निकलती है और धीर धीरे सारे शरीर मे फैल हस्ताक्षर-शा t० [०] अपने हाय ने लिया हुमा अपना नाम जाती है। जो किमी ले प्रादि वे नीने निया जाय । दत्तवत । हस्तवाप-सञ्ज्ञा पुं० [स०] हाथो से वाण आदि शम्बारत्न का सना- हस्तान-मग पुं० [सं०] हाथ या अगला माग । हाय की अगुलियाँ । लन या क्षेपण (को०] । हस्तादान'--सरा पुं० [4.] हाय से मिली वन्तु को ग्रहण करना । हस्तवाम-वि० [सं०] ३ वाई दिशा में अथवा गलत ढग से स्थित । हस्तादान-वि• जो हाथ मे प्रहरा करे। २ जो सही या उचित न हो । त्रुटिपूर्ण (को०] । हस्ताभरण-सा पुं० [सं०] १ हाप या प्रागरण या गहना। हस्तवारण-सज्ञा पु० [मं०] वार या प्राघात को हाथ पर रोकना। हाय का प्राभूपण । २ एका माप (को०] । हस्तविन्यास-सज्ञा पुं० [मं०] हाथो का विन्याम या स्थिति फिो०] । हस्तामलक-शा पु० [म. १ हाय में लिया हुया प्रांवला । २ हस्तविषमकारी-सञ्ज्ञा पुं० [सं० हस्तविपमकारिन्] हाय को सफाई से वह वस्तु या विषय जिसका अग प्रत्यग हाय मे लिए हुए आरले के समान, अच्छी तरह समझ में मा गया हो। वह वाजी जीतना । चीज या वात जिसका हर एक पहल साफ साफ जाहिर हो हस्तवेश्य [-सज्ञा पुं० [सं०] हाथो का श्रम । गया हो। जैसे,—यह पुला पढ़ जाइए, सारा विपय हस्ता हस्तसज्ञा--सज्ञा . सं०] हाय का इशाग या सोत । मलक हो जायगा। हस्तसवाहन-सज्ञा पुं॰ [ H• ] हाथ से मर्दन या मालिश करना । हस्तामलकवत्-वि० [सं०] जो हस्तामलक के समान हो । जो हस्तसिद्धि-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ हाय का या शारीरिक श्रम । अच्छी तरह समझ में आ गया हो। हाथ से काम करना । २ भाडा। भृति । मजदूरी [को०] । हस्तारुढ-वि० [सं० ] जो बिलकुल साफ या व्यक्त हो। हस्तस्थ, हस्तस्थित-वि० [स० ] जो हाथ मे हो। हाथ मे ग्रहण हस्तालव-सज्ञा पुं० [स० हस्तालम्ब] हाय का सहारा। सहारा [को०] । किया हुआ (को०)। हस्तालवन-सशा पुं० [सं० हस्तालम्बन ] किसी का सहारा प्राप्त हस्तसूत्र, हस्तसूत्रक--तशा पुं० [ से० ] १ सूत का कंगन जिसमे करना । भरासा पाना (को०] 1 कपडे की पोटली बँधी होती है और जो विवाह के समय वर हस्तावलव-सञ्ज्ञा पुं० [सं० हस्तावनम्ब] सहारा । प्राधय (फो०] । और कन्या की कलाई मे पहनाया जाता है। २ वलय । हस्तावलग्न-वि० [ स० ] हाथो में या हाथ पर लगा हुमा । ककण । कटक (को०)। हस्तावाप-सहा पुं० [स०] हस्तावार । ३० 'हस्तन्नाण' । हस्तस्वस्तिक-सज्ञा पुं० [स०] [ी हस्तस्वस्तिका ] हाथो को हस्तावार-सरा पुं० [सं० हस्त + प्रावार (= रखा )] एक प्रकार स्वस्तिक के आकार मे छाती पर रखना। हाथो से स्वस्तिक का हस्तत्राण जो धनुष को प्रत्यचा की रगड से बांह को बचाने का प्राकार बनाना [को०] 1 के लिये धारण किया जाता है । उ०-महाराज, हस्तावार हस्तहार्य--वि० [सं०] १ जो हाथो से ग्रहण करने योग्य हो । २ सहित धनुप यह है।-शकुतला, पृ० १२७ ।