पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१७६

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होटकपुर हाती हाटकपुर--मज्ञा पुं॰ [सं०] सोने का बना हुआ नगर । लका नगर । हाडी - पञ्चा पुं० [प० हाड ( = असाढ)] एक प्रकार का पहाडी राग । उ०-नाघि सिंधु हाटकपुर जारा। निसिचर गन बधि बिपिन हाडी '-सशा प्री० [देश॰] निम्न श्रेणी की एक जाति । उ०-- उजारा-मानस, ५१३३ । इन पेशेवाली जातियो से भी नीचे हाही, डोम, चाडाल और हाटकमय-वि० [स०] सोने का । स्वर्णमय [को०) । विधातू थे।-अकबरी०, पृ०६ । हाटकलोचन-सञ्ज्ञा पुं॰ [म०] हिरण्याक्ष नाम का दैत्य । उ०--कनक हाण-सशास्त्री० [म० हानि] दे० 'हानि' । उ०-हहो कर हित हाण कसिपअरु हाटकलोचन । जगत विदित सुरपति पद मोचन ।- झझो तन व्याध जगावै ।-रघु० F०, पृ०७ । तुलसी (शब्द०)। हात ---वि० [सं०] छोडा हुा । त्यागा हा । हाटकी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] पाताल की एक नदी [को०] । हात--सा पुं० [सं० हस्त, प्रा० हत्य, हथ्य, हि० हाथ] दे० 'हाय' । हाटकीय--वि० [स०] १ सोने का । सोना मवधी । २ स्वर्णनिर्मित। उ० --(क) उडे पग हात किरका हवं अगग, वह रत जेम सावण सोने का बना हुआ। वहाला ।-रघु० रु०, पृ०२६ । (ख) कॅवले कॅवल से नर्म तर हाटकेश, हाटकेशान --सज्ञा पुं० [सं०] शिव की एक मूर्ति का नाम । है तेरे हात रग ।-अली अादिल०, पृ० ७६ । हाटकेश्वर । हाटकेश्वर-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ शिव की एक मूर्ति या रूप का नाम हातव्य - वि० [सं०] १ छोडने योग्य । त्याज्य । परित्याज्य । २ जो जिसकी उपासना गोदावरी के तट पर होती है । २ भागवत पीछे छोड़ दिया जाय (को॰) । के अनुसार वितल नामक अधोलोक मे स्थित शिव का नाम । हाता'-सज्ञा पुं० [अ० इहातह] १ घेरा हुआ स्थान । वह जगह जिसके चारो ओर दीवार खिंची हो। बाडा। २ देशविभाग । मडल । हाडg-~सज्ञा पुं॰ [स० हड्ड या अस्थि] । अस्थि । हड्डी। उ०--चरग चगु गत चातकहि नेम प्रेम की पीर । तुलसी परबम हाड परि हलका या सूवा । प्रात । जैसे,- वगाल हाता, बबई हाता । ३ रोक । हद । सीमा। परिहै पुहुमी नीर । -तुलसी (शब्द०) । २ वश या जाति की मर्यादा । कुलीनता । उ०-देवनदन देखने सुनने, पढने लिखने हाता-वि० [सं० हात] [वि॰ स्नो हातो] १ अलग । दूर किया हुआ। सब वातो मे अच्छा है, पर हाड मे तो अच्छा नही है ।- हटाया हुआ । उ०--(क) कत सुनु मत, कुल प्रत किए मत ठेठ ०, पृ०८। हानि, हातो कीजै होय ते भरोसो भुज वीस को ।-तुलसी हाडा-सज्ञा पु० [सं०] आपाढ का महीना । उ०--वस ! अवके हाड (शब्द॰) । (ख) जानत प्रीति रीति रघुराई। नाते सब हाते मे यह ग्राम खूब फलेगा, चाचा भतीजा दोनो यही बैठकर करि राखत गम सनेह सगाई ।-तुलसी (शब्द॰) । (ग) आम खाना । -गुलेरीजी० पृ० ५१ । मधुकर रह्यो जोग लौं नातो। कतहिं वकत बेकाम काज हाड़ना-क्रि० स० [स० हरण ] तौलने मे वरतन आदि के कारण विनु, होय न हयाँ ते हातो ।-सूर (शब्द०) । (घ) हरि से किसी पलडे के भारी पड़ने पर दूसरे पलडे पर पत्थर आदि हितू सो धमि भूलि हू न कीजै मान, हातो किए हिय हू सो होत रखकर दोनो पलडे ठीक बराबर करना । अहँडा करना । हित हानिये । -केशव (शब्द०) २ नष्ट । वरवाद । हाता-वि०, सशा पुं० [सं० हन्ता] मारनेवाला । वध करनेवाला हाडनारे-क्रि० स० [ स० हिण्डन ] दे० 'हांडना' । उ०-~मतगुर विन (ममास मे प्रयुक्त)। सौदा किया जन हरिया बे काम । साकट ऐमे सूकरा हार्ड हातिफ-सपा पुं० [अ० हातिफ] १ आकाशवाणी । २ एक फरिश्ता । घर घर जाम । --राम० धर्म०, पृ० ५२ । उ०-जो रखी फिरदोस पर टुक इक नजर । गंव के हातिफ ने हाडा'—सज्ञा पुं० [हिं० प्रार, प्राड ( = डक)] लाल रग की वडी यूं लाया खबर ।-दक्खिनी०, पृ० १७८ । भिड। लाल ततैया। हातिम- सज्ञा पुं० [अ०] १ निपुण व्यक्ति । चतुर या कुशल व्यक्ति । हाडा'-सच्चा पु० क्षत्रियो की एक शाखा । उ०-सोनीगरा काहूँ करूं २ किसी काम मे पक्का आदमी । उस्ताद । जैसे,—वह लडने मे वाण । हाडा बुंदी का धणी ।-वी० रासो, पृ० १८ । वडे हातिम हैं। ३ एक प्राचीन अरव सरदार जो वडा दानी, हाडिए-सञ्चा, स्त्री० [सं० हण्डिका, हाडिका] दे० 'हांडी'। उ०- परोपकारी और उदार प्रसिद्ध है। पाहण टाकि न तौलिए, हाडि न कीजै वेह । माया मुहा०- हातिम को कवर पर लात मारना = बहुत अधिक मानवी तिन से किसा सनेह । —कबीर ग्र०, पृ० ४८ । उदारता या परोपकार करना । (व्यग्य मे प्रयुक्त) । हाडिका-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] हडिका । हँडिया। ४ वह जो अत्यत परोपकारी हो । परोपकारी व्यक्ति । ५ अत्यत हाडी'-समा स्त्री॰ [स० हाडिका] १ जमीन मे पत्थर गाडकर बनाया दानी मनुष्य । अत्यत उदार मनुष्य । हुआ गड्ढा जिसमे अनाज रखकर साफ करने के लिये मूसल से हातिमताई ई-सज्ञा पुं० [अ०] १ दे० 'हातिम' । २ वह पुस्तक जिसमे कूटते है । २ वह गड्ढेदार पत्थर जिसपर रखकर पीटने से हातिम की उदारता, परोपकारिता आदि का वर्णन है। पीतल आदि की चद्दर कटोरेनुमा बन जाती है । हाती -सक्षा पुं० [सं० हस्ती, प्रा० हथ्थी] दे० 'हाथी' । उ०--माई, हाडी'-सज्ञा पुं० [सं० अाडि] १ एक प्रकार का बगला । २ काक । राजा जसरत के चारि हाती हए, चारो ठाडे दरबाजे, अनद काग। कौमा। भए।-पोद्दार अभि० ग्र०, पृ० ६३० । घडा करना। राता