पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१८२

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थी जो शन्नु हाथी@ १४६४ हानिकर दंतैला, मकना (कद मे छोटा और विना दांत का), पलंगदांत, हाथीनाल-सशास्त्री० [हिं० हानी + नाल J वह पुरानी तोप जिसे गनेसा, सूअरदता, पथरदता, संकरिया, अकुसदता या गुडा हाथियो की पीठ पर रगकर ले जाते थे । त्वनाल । गजनान । इत्यादि । कोई कोई हिंदुस्तानी हायी के दो प्रधान भेद करते हाथीपांव-ममा ६० [हिं० हाथी + पांव ] १ एर गेग जिमने टांगें है---एक कमरिया, दूसरा मिरगी या शिकारी । कमरिया का फूलकर हाथी के पैर की तरह मोटी और बेडौल हो जाती हैं। शरीर भारी और सूंड लवी होती है । मिरगी कुछ अधिक फोलपांव । २ एक प्रकार बरिया मफेद पत्था । ऊंचा और फुरतीला होता है और उमकी सूंड भी कुछ छोटी हाथीपीच--राश पुं० [हिं० हायी + पीच ] एक प्रकार का हाथीचक होती है। सवारी के लिये कमरिया हाथी अधिक पसद किया जो शाम और रूम की प्रोगे पाना और प्रौपध के काम जाता है और शिकार के लिये मिरगी। हाथी गहरे जगलो या होता है। मे झुंड वांधकर रहते हैं और मनुष्य की तरह एक बार हाथीवच--सरा सी० [हिं० यो+च ] एक पौधा जिमको तरसारी मे एक बच्चा देते हैं। हाथी की बाढ १८ से २४ वें बनाई जाती है। वर्ष तक जारी रहती है। पाले हुए हाथी सौ वर्ष से अधिक जीते हैं। जगली और भी अधिक जीते होगे। हिंदुस्तान में हाथीवान- पुं० [हिं० हाथी + यान (प्रत्य॰)] हाथी की रक्षा हाथी रखने की रीति अत्यत प्राचीन काल से है। प्राचीन समय करने और उसे चलाने के लिये नियुक्त पुरुष । पीतवान । मे राजाप्रो के पास हाथियो की भी बडी बडी सेनाएं रहती महावत । के दल मे घुसकर भयकर सहार करती थी। हाथी हादसा-सरा पुं० [अ० हादिमह, J बुरी घटना । दुघटना । प्रापत्ति। रखना अमीरी का वडा मारी चिह्न समझा जाता है। अफ्रिका हादिस-वि० [३०] १ नया। नवीन । नूनन । २ जो हमेशा से के जगली इसका मास भी खाते हैं। हाथी पकड़ने के कई उपाय न हो । अचिरस्थायी (फो०] । हैं । अधिकतर गड्ढा खोदकर हाथी फंसाए जाते हैं । हादिसा-- [--सरा पुं० [अ० हादिनह, ] १ नवीन घटना। नई बात । यौ०--हाथीखाना । हाथीनाल । हाथीदांत । हाथीनशीन । २ दे० 'हादमा' कि० हाथीपांव। हादी -सग पुं० [अ०] १ हिदायत देनेवाला । मार्गदर्शक । उ०-बाद मुहा०—हाथी सा = बहुत मोटा। अत्यत स्थूलकाय । हाथी की चदे हजन्ते शेखे फीक, वालिफे, असराने हक हादी तरीक ।-- राह = आकाशगगा। डहर । (दरवाजे पर) हाथी झूमना- दक्यिनी०, पृ० २०३ । २ उप्ट्रपाल । रैवारी अत्यत ऐश्वर्यशाली होना । बहुत अमीर होना । हाथी पर हानर-सपा नौ• [ स० हानि ] दे० 'हानि' । उ०--जरा मरन चढना = बहुत अमीर होना । हाथी पर चढाना = अत्यत पादर वा घर नही, नहीं लाभ नहिं हान ।-धरम०, पृ०७४ । समान करना। हाथी वाँधना = वहुत अमीर होना । जैसे,-तुम्ही हान-सहा पुं० [सं०] १ त्यागने की ग्रिन्या । परित्याग । त्याग । बेईमानी करके हाथी बांध लोगे ? निशान का हाथी = सेना २ विफनता । वैफल्य । ३ अपमपरा । अफयान । ४ कमी। या जुलूस मे वह हाथी जिसपर झटा और डका रहता है। प्रभाव । ५ नमाप्ति। विराम । ६ शौर्य । शक्ति (को०] । हाथी के सग गाँडे खाना = बलवान की बराबरी करना। हानव्य-वि० [स०] जिमको स्थिति जबडे मे हो। जैसे,—दांत (के। हाथी -सज्ञा स्त्री० [हिं० हाथ + ई] हाथ का सहारा । करावलय। हानि-समा स्त्री॰ [म०] १ न रह जाने का भाव । नाश । अभाव । क्षय । उ०--दस्तगीर गाढ कर साथी। वह अवगाह दीन्ह तेहि जैसे,—प्राणहानि, तिथिहानि । २ नुकनान । क्षति । लाभ का हाथी ।—जायसी (शब्द॰) । उलटा । पास के द्रव्य आदि मे त्रुटि या कमी। घाटा। टोटा। हाथीखाना-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० हाथी+ फा० खानह ] वह घर जिसमे जैसे,—इस व्यापार मे वडी हानि हुई। ३ स्वास्थ्य में बाधा । हाथी रखा जाय । फीलखाना। तदुरुस्ती मे खरावी । जैसे,—जिन वस्तु से हानि पहुंचती है, हाथीचक-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० हाथी+चक्र] एक प्रकार का पौधा जो उसे क्यो खाते हो? ४ अनिष्ट । अपकार । बुराई। ५ औषध के काम मे आता है। तिरस्कार । उपेक्षा (को०। ६ न्यूनता । कमी (को०)। ७ दोष । हाथीदांत-सज्ञा पुं० [हिं० हाथी+दांत] हाथी के मुंह के दोनो छोरो त्रुटि (को०)। परित्यजन । परित्याग (को०)। गति । गमन (को०)। पर हाथ डेढ हाथ निकले हुए सफेद दांत जो केवल दिखावटी क्रि० प्र०—करना।—होना । होते हैं। मुहा०-हानि उठाना = नुकसान सहना । हानि पहुँचना = नुकसान विशेष—यह बहुत ठोस, मजबूत और चमकीला होता है तथा होना । हानि पहुंचाना = नुकसान करना । अधिक मूल्य पर विकता है। इससे अनेक प्रकार के सजावट के हानिकर-वि० [सं०] १ हानि करनेवाला । सामान बनते है, जैसे,--चाकू के वेंट, कधियाँ, कुरसियां, पहुंचे। २ अनिप्ट करनेवाला । बुरा परिणाम उपस्थित शीशे के फ्रेम इत्यादि । इसपर नक्काशी भी बडी ही सुदर करनेवाला । ३ स्वास्थ्य मे त्रुटि या बाधा पहुंचानेवाला । होती है । तदुरुस्ती विगाड नेवाला । रोगी बनानेवाला। जिससे नुकसान