पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१८४

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हाय हाय ५४६६ हारभ्यो क्रि० प्र०--करना ।-मचना ।- होना। उ०--वस हाय हाय हारक:--वि० १ ले लेनेवाला । हरण करनेवाला । २ लूटनेवाला । मच गई, रोने की अवाजे आने लगी।--प्रेमघन०, भा०२, चोरी करनेवाला। ३ श्राकर्पित करनेवाला। आकर्षक । ४ पृ० २४ । मोहक । मनोहर । सुदर (को०] । हाय हाय-सज्ञा स्त्री० १ कप्ट । दु ख । पीडा । शोक । २ व्याकुलता। हारगुटिका-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] हार की गुरिया । माला के दाने | घबराहट । आकुलता । परेशानी। झझट । जैसे,- (क) हारणा--सना स्त्री० [स०] हरण कराने की क्रिया (को०] । तुम्हे तो रुपए के लिये सदा हाय हाय रहती है । (ख) जिंदगी हारदरा--वि० [सं० हार्द] दे० 'हार्द', 'हार्दिक' । भर यह हाय हाय न मिटेगी। हारना'-क्रि० अ० [स० हारि, हिं० हार + ना (प्रत्य॰) अथवा हार'--सज्ञा स्त्री० [म० हारि] १ युद्ध, क्रीडा, प्रतिद्वद्विता आदि मे स० हृत या हारित, प्रा० हारिअ, हिं० हारि] १ युद्ध, शत्रु के समुख असफलता। लडाई, खेल, वाजी या चढा ऊपरी क्रीडा, प्रतिद्वद्विता आदि मे शन्नु के सामने असफल होना। मे जोड या प्रतिद्वद्वी के सामने न जीत सकने का भाव । पराजय । लडाइ, खेल, वाजी या लाग डांट में दूसरे पक्ष के मुकाविले मे शिकस्त । जैसे,--लडाई मे हार, खेल मे हार इत्यादि। न जीत सकना । पराभूत होना। पराजित होना। शिकस्त क्रि० प्र०--जाना |--मानना ।--होना । खाना । जैसे,-लडाई मे हारना, खेल या वाजी मे हारना । यौ०-हारजीत । सयो० क्रि०-जाना। मुहा०—हार खाना पराजय होना । हारना। हार देना = पराजित २ व्यवहार या अभियोग मे दूसरे पक्ष के मुकाबिले मे कृतकार्य करना। हराना। हार बोलना = हार मान लेना। न होना । मुकदमा न जीतना । जैसे,—मुकदमे मे हारना । ३ २ शिथिलता । श्राति । थकावट । ३ हानि । क्षति । हरण । ४ थात होना । शिथिल होना। थक जाना । प्रयत्न मे निराश जन्ती । राज्य द्वारा हरण । ५ युद्ध । ६ विरह । वियोग । होना । असमर्थ होना । जैसे,--जब वह उसे न ले सका, तब हार-सज्ञा पुं० [सं०] १ सोने, चाँदी या मोतियो आदि की माला हारकर बैठ गया। जो गले में पहनी जाय । उ०-नव उज्वल जलधार, हार हीरक यौ०-हारा मांदा। सी सोहति ।-भारतेंदु ग्र, भा १, पृ० २८२ । मुहा०-हारे दर्जे = (१) सब उपायो से निराश होकर और कुछ विशेष-किसी के मत से इसमे ६४ और किसी के मत से १०८ बस न चलने पर। (२) लाचार होकर। विवश होकर । दाने होने चाहिए। हारकर = (१) असमर्थ होकर। (२) लाचार होकर । मुहा० To-हार मोर हो जाना = गायव हो जाना । उ०--निजरा आगे हारना'-क्रि० स० १ लडाई, वाजी आदि को सफलता के साथ न पूरा निमष मै, हार मोर हूँ जाय।-बांकी० ग्र०, भा०३, पृ० २२ । करना । जैसे,--बाजी हारना, दांव हारना । २ नष्ट करना २ वह जो ले जानेवाला या वहन करनेवाला हो । ३ अकगणित मे या न प्राप्त करना । गंवाना । खोना । जैसे,—प्राण हारना, भाजक । ४ पिंगल या छद शास्त्र मे गुरु माना। ५ ले लेना। धन हारना । ३ छोड देना । न रख सकना । जैसे,—हिम्मत हरण (को०)। ६ अलग करना। रहित करना (को०) । ७ हारना । दे देना । प्रदान करना । जैसे,—वचन हारना। मोती की माला । ८ क्षेत्र का विस्तार । मार्ग । रास्ता । हारफल-सज्ञा पुं० [सं०] दे० 'हारफलक'। उ०-हार मुक्त को फूल को, हार क्षेत्र विस्तार, हार विरह को हारफलक-सज्ञा पुं० [स०] पांच लडियो का हार । बोलिवो, मारग कहियत हार ।-अनेकार्थ०, पृ० १६२ । हारवध-सञ्ज्ञा पुं० [सं० हारवन्ध] एक चित्र काव्य जिसमे पद्य हार के हार'---वि० १ मनोहर । मन हरनेवाला । सुदर । २ नाश करनेवाला। आकार मे रखे जाते हैं । ३ ले जानेवाला या हरण करनेवाला (को०)। ४ उगाहने या हारवर-सहा पु० [अ०] समुद्र के किनारे, नदी के मुहाने या खाडी वसूल करनेवाला । ५ शिव सवधी। ६ विष्णु सवधी। मे बना हुआ वह स्थान जहाँ जहाज आकर ठहरते हैं । वदरगाह । जैसे,-डायमड हारवर, बबई हार'-सज्ञा पु० [देश॰ या स० अरण्य] १ वन। जगल। २ नाव के हारवर । हारभूरा-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] द्राक्षा । दाख । अगूर । वाहरी तख्ते । ३ चरने का मैदान। चरागाह । गोचारण भूमि। ४ कृषिभूमि । खेत। हारभूषिक--सज्ञा पुं० [स०] एक प्रचीन जाति । हारमुक्ता--सज्ञा स्त्री॰ [स०] हार का मोती। हार मे गुंथा मोती। हार'--प्रत्य० [सं० धार, हिं० हार] वाला अर्थ का सूचक प्रत्यय । हारमोनियम--सज्ञा पुं० [अ०] सदूक के आकार का एक अंगरेजी दे० 'हारा'। जैसे,--पावनिहार । वाजा जिसपर उँगली रखने और भाथी पर दाब देने से अनेक हारक-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ हरण करनेवाला। लेनेवाला। २ जानेवाला। प्रकार के इच्छित स्वर निकलते हैं। इसमे मद्र, मध्य और ३ मन हरनेवाला । मनोहर । सुदर । ४ चोर । लुटेरा । ५ तार-ये तीनो सप्तक होते है । धूर्त । खल । ६ गणित मे भाजक । ७ जुगाडी (को०)।८ हारम्य-सञ्ज्ञा पुं० [सं० हम्य] प्रासाद । अट्टालिका । हर्म्य । उ०- हार। माला । ६ एक विज्ञान (को०) । १० शाखोट वृक्ष हारम्य रम्य फिरि मडि लोइ। दालिद्र दीन दीस न कोइ । (को०) । ११. गद्य का एक प्रकार या भेद (को०)। -पृ० रा०,१।६०७ ।