पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१९०

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नाम । उ०--चदन हाहा ५५०२ हिंगुपेन यौo-हाहा ठीठी, हाहा होही = हँसी ठट्ठा। विनोद । हाहा हूहू । 'हिक्रिया--सशा स्त्री० [ स० हिडिया ] गाय आदि के रंभाने की ध्वनि [को॰] । मुहा०-हाहा हीही करना = (१) हाहा हूहू करना। हंसना । (२) हँसी ठट्ठा करना । विनोद क्रीडा करना । हाहा हीही होना या हिंगर-सचा पुं० [ स० हिटगु ] दे० 'होग' । मचाना = हँसी होना। हिंग'--'सझा पुं० [सं० हिङ्ग] मार्कंडेय पुराण में वर्णित एक देश का २ गिडगिडाने का शब्द । अनुनय विनय का शब्द । दीनता या बहुत विनती की पुकार । दुहाई । हिंगन - -सशा पुं० [सं० हिडगोट] दे० 'हिंगनवेर। मुहा०-हाहा करना = गिडगिडाना । वहुत विनती करना । के साती लिंब हुआ चदन, क्यो कर रोये देखो ए हिंगन।- दुहाई देना । उ०-हाहा के हारि रहे मनमोहन पाय परे जिन्ह दक्खिनी०, पृ० २२ । लातनि मारे ।-केशव (शब्द॰) । हाहा खाना = बहुत गिड- हिगनवेर-संज्ञा पुं० [हिं० हिंगोट + वेर ] इगुदी वृक्ष । हिंगोट । गिडाना। अत्यत दीनता और नम्रता से पुकारना। बहुत हिंगुवा । गोदी। विनती करना । उ०--साँटी ले जसुमति प्रति तरजति हरि हिंगलाची-सज्ञा स्त्री० [ म० हिगलाची ] बौद्धो के अनुसार एक वसि हाहा खात ।—सूर (शब्द०) । यक्षिणी का नाम । हाहा-सशा पु० [सं०] १ एक गधर्व का नाम । २ एक विशाल सख्या हिंगलाज-सशा स्री० [स० हिंड गुलाजा ] दुर्गा या देवी की एक का वाचक शब्द (को०)। मूर्ति अथवा उनका एक भेद । उ०—देवा दुदुमि वज्जिया, हाहा'-अव्य० दुख, वेदना और आश्चर्यसूचक एक अव्यय [को०] । हिंगलाज दरवार ।--रा० रु०, पृ० ३६६ । हाहाकार--सज्ञा पु० [सं०] १ भय के कारण वहुत प्रादमियो के मुंह विशेप--हिंगलाज देवी का यह स्थान निध और बलूचिस्तान के से निकला हुआ हाहा शब्द । घबराहट की चिल्लाहट । भय, बीच की पहाडियो मे है । यहाँ अँधेरी गुफा में ज्योति के दुख या पीडा सूचित करनेवाली जनसमूह की पुकार । उसी प्रकार दर्शन होते है जिस प्रकार कांगडे की ज्वालामुखी कुहराम । २ सघर्ष, युद्ध आदि का तीव्र'कोलाहल । मे। कराची वदर से उत्तर की ओर समुद्र के किनारे किनारे क्रि० प्र०--करना ।-मचना ।-पडना ।--होना । ४५ कोस चलकर लोग यहां पहुंचते हैं । हाहाठीठी-सञ्ज्ञा स्त्री० [अनु० हा हा + हिं० ठट्ठा] हँसी ठट्ठा । हिंगली-सज्ञा स्त्री॰ [ देश० ] एक प्रकार का तवाकू । विनोद क्रीडा । जैसे,—तुम्हारा सारा दिन हाहाठीठी मे हिंगलू।सच्चा पुं० [हिं० । स० हिड गुल] ३० 'हिंगुल' । उ०--(क) हिंगल जाता है। के लीकै पत्रो की आयुर्दा विभाग पर तथा बीच बीच मे पदो मुहा०-हाहा ठीठी करना हँसी ठट्ठा करना । हाहा ठीठी आदि के साथ लगी हुई है ।-सु दर० प्र० (भ०), पृ० ६ । होना-हँसी मजाक होना । उ०—कोऊ अन्हात पै हाहा ठीठी (ख) अन्य ग्रथो में प्राय छदादि के पीछे हिंगलू की लीक नही होत रहत चहुँ । -प्रेमघन०, भा० १, पृ०४१ । है ।-सु दर० ग्र०, भा० १ (भू०), पृ० ११ । हाहाल--सञ्चा पुं० [स०] प्राणघातक विष (को॰] । हिगाष्टकचूर्ण-सज्ञा पुं० [हिं० हिंग + सं० अष्टक] वैद्यक मे प्रसिद्ध हाहाहूत-सञ्ज्ञा पु० [अनु॰] हाहाकार । भय का कोलाहल | एक अजीर्णनाशक और पाचक चूर्ण। हाहा हूहू-सज्ञा पुं० [अनु०] हा हा करके हंसने की क्रिया । हँसी विशेष-सोठ, पीपल, कालीमिर्च, अजमोदा, सफेद जीरा, स्याह ठट्ठा । विनोद । हाहा ठीठी । जीरा, भुनी ही ग और से धा नमक इन सबको वरावर वरावर हाही -सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० हाय] किसी वस्तु को प्राप्त करने की अनुचित एक साथ चूर्ण कर देने से इसका निर्माण होता है। इसके सेवन और वहुत अधिक विकलता। कुछ पाने के लिये 'हाय हाय' की मात्रा १ या २ टक है। करते रहना । जैसे—(क) तुम्हे तो सदा रुपयो की हाही पडी हिंगु-सञ्ज्ञा पुं० [सं० हिड गु] १ हीग । उ०—हरित 'शाक कबहूँ रहती है। (ख) इतनी हाही क्यो करते हो? जब सबको नहिं खाई। हिंगु ल्हसनु सब देइ बहाई। सुदर० ग्र०, भा० १, मिलेगा, तुम्हें भी मिल जायगा। पृ० १०२। २ हिंगु का वृक्ष । हीग का पेड (को०)। हाहू-सज्ञा पुं॰ [ अनु० ] १ हल्लागुल्ला। शोरगुल । कोलाहल । ३ नीम का वृक्ष (को०)। २ हलचल। धूम। हिंगुक-सचा पुं० [सं० हिड गुक ] हिंगुवृक्ष (को०] । हाहूबेर-सञ्ज्ञा पुं॰ [ देश० हाहू + हिं० बेर ] जगली वेर । झडवेरी। हिंगुनाडिका--सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० हिडगुनाडिका] एक प्रकार का हिंगु वृक्ष हिंकरना--क्रि० अ० [अनु॰ हिन हिन अथवा सं० हिवार ] घोडो और उसका निर्यास । विशेप दे० 'नाडी हिंगु' । का हिनहिनाना। हिंगुदी--सक्षा -सज्ञा स्त्री० स० हिडगुदी] एक प्रकार का वृताक । हिंकार-सञ्ज्ञा पुं० [सं० हिवार ] १ रंभाने का वह शब्द जो गाय हिंगुनिर्यास-सधा पुं० [ स० 'हिडगुनिर्यास] १ हिगु वृक्ष का अपने बछडे को बुलाते समय करती है । २ वाघ के बोलने का गोद । ही ग। २ नीम वृक्ष (को॰] । शब्द । ३ सामगान का एक अग जिसमे उद्गाता गीत के हिंगुपन-सज्ञा पुं० [सं० 'हिङगुपन ] १ 'इगुदी। हिगोट । बीच बीच मे 'हि' का उच्चारण करता है । ४ व्याघ्र । बाघ । २. हिगुवृक्ष का पत्ता।