पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१९७

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हिक्का ५५०६ हिजरी हिक्का-स २-सज्ञा स्त्री॰ [देशी] रजकी। धोबिन । हिचिर मिचिरा--सञ्ज्ञा पुं० [अनु॰] दे० 'हिचर मिचर' । हिक्काश्वामी-वि० [स• हिक्काश्वासिन् ] जिसे वहुत हिचकी आती हिच्छ-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० इच्छा] दे० 'इच्छा' । उ०--प्रान हिच्छ हो । जिसे हिचकी का रोग हो [को०] । नहिं दूसरी, देहु कलपि करि सीस। हम परसन परसाद तुव, हिक्किका---सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] हिक्का । हिचकी । होहिं भवानी ईस ।-चित्रा०, पृ० १८ । हिक्कित-सञ्चा पु० [स०] दे० 'हिक्का' [को॰] । हिज पानर-सञ्ज्ञा पुं० [अ० हिज आनर] छोटे लाट आदि के पद के हिक्की--वि० [स० हिक्किन्] जिसे हिक्का रोग हो । हिचकी का रोगी। आगे लगनेवाला सम्मान का सूचक शब्द । जैसे,--हिज वानर लेफ्टिनेंट गवर्नर। हिचक-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हि० हिचकना] किसी काम के करने मे वह रुकावट हिज एक्सेलेसी-सञ्ज्ञा पुं० [अ० हिज़ एक्सेलेसी] [स्त्री० हर एक्सेलेंसी] जो मन मे मालूम हो । आगा पीछा । हिचकिचाहट । उ०- राष्ट्रपति, प्रधान सेनापति, राज्यपाल, स्वतन्न देशो के मनी छूने मे हिचक, देखने मे पलकें आँखो पर झुकती है ।- आदि कुछ विशिष्ट उच्च अधिकारियो के नाम के आगे लगने- कामायनी, पृ० ६६ । वाली प्रतिष्ठासूचक उपाधि । श्रीमान् । जैसे,—हिज एक्सेलेसी हिचकना--क्रि० अ० [सं० हिक्का या अनु० हिच, हिचक + हि० ना वाइसराय, हिज एक्सेलेंसी कमाडर इन चीफ, हिज एक्सेलेसी (प्रत्य॰)] १ हिचकी लेना । वायु का उठा हुआ झोका कठ से प्राइम मिनिस्टर, नेपाल । निकालना। २ किसी काम के करने मे कुछ अनिच्छा, भय या हिजडा-सज्ञा पुं० [फा० हीज+ हिं० डा (स्वा० प्रत्य॰)] जो न स्त्री सकोच के करण प्रवृत्त न होना । आगा पीछा करना । जैसे,-- हो, न पुरुष । विशेष दे० 'नपुसक' । वहां जाने से तुम हिचकते क्यो हो ? हिंज मैजेस्टी-सञ्ज्ञा पु० [अ०] [सञ्ज्ञा स्त्री॰ हर मैजेस्टी] सम्राट् और हिचकिच-सज्ञा स्त्री० [हि० हिचकना] दे० 'हिचक' । स्वाधीन देशो के राजापो के आगे लगनेवाली गौरवसूचक हिचकिचाना-क्रि० अ० [अनु॰] दे० 'हिचकना' । उपाधि । माहमहिमान्वित । मालिक मोअज्जम । जैसे,--हिज हिचकिचाहट -सञ्ज्ञा स्त्री० [अनु० हिचकिचाना + हि० आहट (प्रत्य॰)] मैजेस्टी किंग जार्ज। हिज मैजेस्टी अमानुल्ला । दे० 'हिचक'। हिजरत--सञ्ज्ञा स्त्री० [अ०] १ अपना देश छोडकर दूसरे देश मे जा हिचकिची-सशा स्त्री० [अनु॰ हिचकिच + हि० ई] दे० 'हिचक' । बसना । उ०-बुल्ला हिजरत बिच अलाह दे मेरा नित है खास अराम।-सतवाणी०, पृ० १५२ । २ मुहम्मद साहब की हिचकी--स --सञ्ज्ञा स्त्री० [अनु० हिच या स० हिक्का] १ पेट की वायु का मक्का से मदीने की यात्रा। झोंके के साथ ऊपर चढकर कठ से धक्का देते हुए निकलना । उदरस्थ वायु के कठ मे आघात या शब्द के साथ निकलने की हिजरा +-सज्ञा पुं० [हिं० हीजडा] स० 'हिजड़ा'। क्रिया। विशेष दे० 'हिक्का' । हिज रायल हाइनेस--सज्ञा पुं० [अ०] [स्त्री॰ हर रायल हाइनेस] क्रि० प्र०--पाना ।लेना । स्वाधीन राज्यो या देशो के युवराजो तथा राजपरिवारो के व्यक्तियो के नाम के आगे लगनेवाली गौरवसूचक उपाधि । मुहा०--हिचकियाँ लगना = मरने के समय वायु का कठ मे से रह जैसे,—हिज रायल हाइनेस प्रिंस आव वेल्स । रहकर प्राघात करते हुए निकलना । मरणासन्न अवस्था होना । हिजरी--सञ्ज्ञा पुं० [अ०] मुसलमानी सन् या सवत् जो मुहम्मद साहब मरने के निकट होना । के मक्के से मदीने भागने की तारीख (१५ जुलाई, सन् ६२२ ई० २ रह रहकर सिसकने का शब्द । रोने में रह रहकर कठ से सांस अर्थात् विक्रम संवत् ६७६, श्रावण शुक्न २ का सायकाल) से चला है। क्रि० प्र०--बँधना । विशेष-खलीफा उमर ने विद्वानो की समति से यह हिजरी सन् मुहा०--हिचकी लेना=रोने मे सांस का रुक रुककर आना । स्थिर किया था। हिजरी सन् का वर्ष शुद्ध 'चाद्र वर्प' है । इसका हिचकोला-सज्ञा पुं० [हि० हचकना] दे॰ 'हचकोला' । उ०—रास्ते भर प्रत्येक मास चद्रदर्शन (शुक्ल द्वितीया) से आरभ होता है और हिचकोलो के कारण नाको दम रहा ।-सन्यासी, पृ० ३०६ । दूसरे चद्रदर्शन तक माना जाता है। हर एक तारीख सायकाल हिचना@ -क्रि० अ० [देश॰] लडना। युद्ध करना । उ०—(क) से प्रारभ होकर दूसरे दिन सायकाल तक मानी जाती है । इस हिचे मरे खल हात, खग धार कुलखोवणा।-वाको ग्र०,भा० १, सन् के बारह महीनो के नाम इस प्रकार है - (१) मुहर्रम, पृ० ५। (ख) एक अनेकां सूं हिचे, छाती बजर कपाट ।- (२) सफर, (३) रबीउल अव्वल, (४) रबीउस्सानी, (५) वाँकी० ग्र०, भा०१, पृ०६२ । जमादिउल अव्वल, (६) जमादिउल् आखिर, (७) रजव, हिचर मिचर-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० हिचक] १ किसी काम के करने मे (८) शाबान, (६) रमजान, (१०) शव्वाल, (११) जल्काद भय, सकोच या कुछ अनिच्छा के कारण रुकना या देर करना। और (१२) जिलहिज्ज । चाद्रमास २६ दिन, ३१ घडी, ५० प्रागा पीछा । सोच विचार । २ किसी काम को न करना पडे, पल और ७ विपल का होता है, इससे चाद्रवर्ष सौरवर्प से १० इसलिये देर करना या इधर उधर की बात कहना । टालमटूल । दिन, ५३, घडी, ३० पल और ६ विपल के करीव कम होता क्रि० प्र०—करना। होना। है। इस हिसाब से सौ वर्ष मे ३ चाद्रवर्ष २४ दिन और छोडना । 4