पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२०३

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द्रिजा'। , हिमाद्रितनया ५५१५ हिम्मतवर हिमाद्रितनया [--सञ्ज्ञा ० [सं०] दे० 'हिमाद्रिजा' । विशेप- इसकी ऊँची ऊंची चोटियां सदा बर्फ से ढकी रहती हैं हिमानद्ध-वि० [सं०] हिम के कारण जडीभृत अथवा वर्फ से जमा और सबसे ऊँची चोटी २६,००२ फुट ऊंची है । यह ससार हुआ (को०] । की सबसे ऊँची चोटी मानी गई है। उत्तर भारत की सबसे हिमानिल --सधा पुं० [स०] ठढी हवा । बर्फीली हवा [को०] । बडी नदियाँ इसी पर्वतराज से निकली हैं । पुराणो मे यह पर्वत मेना या मेनका का पति और पार्वती का पिता माना गया हिमानी -सञ्ज्ञा श्री० [स०] १ बर्फ का ढेर। घना तुषार । पाले का है । गगा भी इसकी बडी पुत्रो कही गई हैं । समूह । उ०--मृत्यु अरी चिरनिद्रे तेरा, अक हिमानी सा शीतल । -कामायनी, पृ० १८ । २ पार्वती। उ०-भवा, यौ०-हिमालयकन्या, हिमालयपुत्री, हिमालयसुता = दे० 'हिमा- भवानी, मृडा, मृडानी । काली कात्याइनी, हिमानी ।-नद० ग्र०, पृ० २२४ । ३ एक प्रकार की शर्करा जो यवनाल से २ श्वेत खदिर का वृक्ष । सफेद खैर का पेड । निकाली जाती है । हिमशर्करा । हिमालया-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] भुईं आंवला । भूम्यामलकी (को०] । यो०-हिमानीविशद, हिमानीशुभ्र = हिमसीकर या तुषार की हिमावती--सज्ञा स्त्री॰ [स०] सत्यानाशी । स्वर्णक्षीरी (को०] । तरह श्वेत वर्ण का। हिमाविल-वि० [स०] हिम से आच्छन्न । वर्फ से ढंका हुअा। हिमा- हिमापह-सला स्त्री॰ [स०] वह जिससे शीत दूर हो, अग्नि । आग को०] । च्छादित [को०] । हिमाज-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] कमल । नील कमल । हिमाश्रया--सञ्चा स्त्री० [स०] पीली जीवती । स्वर्ण जीवतिका [को०] । हिमाभ-वि० [स०] हिम की तरह श्वेत वर्ण का [को॰] । हिमाहति- --सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] तुपारपात । हिमपात (को०] । हिमाभ्र-मया पुं॰ [स०] कपूर । हिमाह्व-सज्ञा पुं० [सं०] १ कपूर । कर्पूर । २ जवू द्वीप के एक वर्ष या खड का नाम । हिमाम-सञ्ज्ञा पुं० [अ० हम्माम] दे० 'हम्माम', 'हमाम' । उ०- मोही सो किन भेटि ले जो लों मिली न बाम । सीतभीत तेरो हिमा ह्वय-सहा पुं० [स०] १ कपूर। कर्पूर। २ कमल । पकज (को०)। हियो मेरो हियो हिमाम ।-पद्माकर ग्र०, पृ० १६१ । हिमि -सज्ञा पुं० [स० हिम] दे० 'हिम' । हिमामदस्ता--सञ्ज्ञा पुं० [फा० हावनदस्तह] खरल और बट्टा । हिमिका--सज्ञा स्त्री० [स०] तुषार । पाला (को०] । हिमायत--सञ्ज्ञा स्त्री० [अ०] १ रक्षा । अभिभावकता । सरक्षा । २ हिमित--वि० [सं०] जो हिम या बर्फ के रूप मे परिणत हो (को॰) । तरफदारी। पक्षपात । ३ मडन । समर्थन । हिमेलु--वि० [स०] ठढ से पीडित या आर्त । शीत से सिकुडा हुआ। क्रि० प्र०-करना ।—होना । हिमात [को०] । हिमायतगर-वि॰ [फा०] दे० 'हिम्मती' [को०] । हिमेश-सज्ञा पुं० [सं०] हिमालय । ह्मिायती-वि० [फा०] १. पक्ष करनेवाला । पक्ष लेनेवाला । समर्थन हिमोत्तरा-- --सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] एक प्रकार की पीली दाख । कपिलवर्ण करनेवाला । मडन करनेवाला।२ तरफदार । सहायता करने का अगूर । हिमोसन्ना--सज्ञा स्त्री॰ [स०] हिमानी। दे० 'हिमशकंरा' [को०] । हिमारा-सञ्ज्ञा पुं० [अ०] [स्त्री० हिमारा] गर्दभ । गधा । रासभ (को॰] । हिमोद्भवा-- T--सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ कचूर । आमाहलदी । २ क्षीरिणी(को०]। हिमाराति-सञ्ज्ञा पु० [सं०] १ अग्नि । आग । २ सूर्य । ३ चित्रक हिमोस्र-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] चद्रमा (फो०] । वृक्ष । चीता । ४ पाक । मदार । हिम्न-सज्ञा पं० [स०] बुध ग्रह । वुद्ध नाम का ग्रह । हिमारि-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] अनल । अग्नि । प्राग (को०] । यौ०--हिमारिरिपु, हिमारिशत्रु = जो हिम के अरि अर्थात् अग्नि हिम्मत--सञ्ज्ञा स्त्री० [०] १ कोई कठिन या कष्टसाध्य कर्म करने की मानसिक दृढता या वल । साहस । जिगरा । करेजा । हिम्मत । का शन्नु हो । जल । २ वहादुरी । पराक्रम । हिमारुण--वि० [स०] तुषार या पाले के कारण जो भूरे रंग का हो क्रि० प्र०—करना ।—होना । गया हो। मुहा हिमात-वि० [स०] १ हिम से पीडित या कापता हुआ। २. पाले से o-हिम्मत टूटना = दे० 'हिम्मत हारना' । उ०—हिम्मत टट गई सोचते थे कि अगर इस बीमारी से बच भी गए तो जमा हुया या ठिठुरा हुआ (को०] । नतीजा क्या होगा।-फिसाना०, भा० ३, पृ० ११६ । हिम्मत हिमाल--सज्ञा पुं० [सं०] दे॰ 'हिमालय' [को॰] । पडना- साहस होना। हिम्मत हारना = साहस छोडना। हिमालय-सना पुं० [सं०] १ भारतवर्ष की उत्तरी सीमा पर बरा उत्साह न रहना। उ०--हिम्मत न हारिए बिसारिए न वर फैला हुआ एक बहुत बडा और ऊंचा पहाड जो ससार हरिनाम, जाही विधि राखे प्रभु ताही विधि रहिए। हिम्मतवर-वि० [फा०] हिम्मतवाला । हिम्मती । साहसी [को० । वाला। मददगार । के सव पर्वतो से बड़ा है। हिं० २० ११-२४