पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२०९

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हिलन मिलन ५५२१ हिल्ला' हिलन मिलन-सज्ञा स्त्री० [हि० हिलना + मिलना ] मिलना जुलना। हिलमोचि, हिलमोचिका, हिलमोची-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] एक तरह मिलाप । उ०---हिलन मिलन, उनकी लागत मन को अति का साग [को०] । प्यारी।-प्रेमघन॰, भा० १, पृ० १६ । हिलसा--सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० इल्लिश] एक प्रकार की मछली जो चिपटी हिलना'---क्रि० अ० [ स० हल्लन ( = इधर उधर लुढकना)] और बहुत काँटेदार होती है। १ डोलना। चलायमान होना । स्थिर न रहना। हरकत हिलाना'-क्रि० स० [हिं० हिलना] १ डुलाना । चलायमान करना । करना । जैसे,-पेड की पत्तियाँ हिलना। घडी का लगर हरकत देना । जैसे,—(क) वैठे बैठे पैर हिलाना । (ख) छडी हिलना। हिलाना। २ स्थान से उठाना । टालना । हटाना। जैसे,-- सयो० क्रि०--जाना।-उठना । (क) जब हम बैठ गए, तव कौन हिला सकता है । (ख) इस भारी पत्थर को जगह से हिलाना मुश्किल है। ३ कॅपाना । कपित मुहा०- 0--हिलना डोलना = (१) चलायमान होना । (२) चलना करना। ४ नीचे ऊपर या इधर उधर डुलाना । झुलाना । फिरना । घूमना । टहलना। जैसे,-शाम को कुछ हिला डोला करो। (२) श्रम करना। काम धधा करना। (४) जैसे,--मुगदर हिलाना, सिर हिलाना । सयो० क्रि०--डालना।-देना । प्रयत्न करना। उद्योग करना । जैसे,—विना हिले डोले कोई काम नही हो सकता। हिलाना-क्रि० स० [हिं० हिलगाना] १ परिचित और अनुक्त करना। परचाना। घनिष्ठता स्थपित करना । जैसे,-छोटे २ अपने स्थान से टलना । सरकना। चलना । जैसे,—जो बच्चे को हिलाना । जानवरो को हिलाना । लड का अपनी जगह से हिलेगा, वह मार खायगा। ३ काँपना। कपित होना । थरथराना। जैसे,—लिखने मे हिलाना'-क्रि० स० [देश॰] प्रवेश कराना। घुसाना । प्रविष्ट करना। हाथ हिलना । जाडे से बदन हिलना। ४ खूब जमकर बैठा न पैठना। (विशेषत पानी मे)। रहना कि छूने से इधर उधर न करे । ढीला होना । जैसे-- हिलाल -सञ्ज्ञा पुं० [अ०] दूज का चाँद । शुक्ल पक्ष की द्वितीया का दाँत हिलना । ५ झूमना। लहराना। नीचे ऊपर या इधर चद्रमा । उ०---अजब हुस्न मे खूब साहव जमाल । जिस हुस्न उधर डोलना। जैसे,--(क) बहुत से लडके हिल हिलकर तल दब रहे नित हिलाल ।-दक्खिनी०, पृ० २६७ । पढते हैं । (ख) वुड् ढो का सिर हिलना । ६ घुसना। हिलूर-सज्ञा स्त्री॰ [स० हिल्लोल] तरग । लहर । हिलोर । उ०-- पैठना । प्रवेश करना। (विशेषत पानी मे) । पुनि यहै अकूर नाही ऊर प्रेम हिलूर वरपाशी।-सुदर० ग्र०, यौ०--हिलना मिलना = (१) मेल जोल के साथ होना । भा० १, पृ० २४१। घनिष्ठ सवध रखना । (२) मेल जोल से होना । एकता के हिलूसना-त्रि० अ० [स० उल्लासन] उत्सुक या लालायित होना। साथ रहना। (३) एक जी होना। परस्पर गहरे मित्र दे० 'हुलसना' । उ०-ग्राडा डुंगर दूरि घर, वणइ न जाणइ होना । जैसे,--दोनो खूब हिल मिल गए है । उ०-यानदघन भत्त। सज्जण सदइ कारण इ हियउ हिलूसइ नित्त ।--ढोला०, प्रजजीवन जेवत हिलिमिलि ग्वार तोरि पतानि ढाक |-- दू०६७। घनानद, पू० ४७३ । हिलोर- सञ्ज्ञा पुं० [स० हिल्लोल] १ हवा के झोके आदि से जल का मुहा०-हिल मिलकर = (१) मेल जोल के साथ। घनिष्ठता उठना और गिरना । तरग । लहर । २ मौज । उ०-सोहै और मैत्री के साथ । एक जी होकर । सुलह के साथ । (२) सितासित को मिनिवो, तुलसी हुलस हिय हेरि हिलोरे ।- समिलित होकर । इकट्ठा होकर । एकत्र होकर । उ०- (शब्द०)। क्रि० प्र०-उठना। हिल मिल फाग परस्पर खेलहि, सोभा बरनि न जाई।- गीत (शब्द॰) । हिला मिला या हिला जुला = (१) मेल मुहा०—हिलोरे लेना = तरगित होना । लहराना। जोल मे आया हुआ । घनिष्ठ सवध रखता हुआ । सुहृद् भाव हिलोरना--क्रि० स० [हिं० हिलोर + ना (प्रत्य०)] १ जल को क्षुब्ध और तरगित करना । पानी को इस प्रकार हिलाना कि लहरें रखता हुआ । (२) परचा हुअा। परिचित और अनुरक्त । उठे। २ लहराना। इधर उधर हिलाना डुलाना । ३ हिला जैसे,—यह बच्चा तुमसे खूब हिला जुला है । डुलाकर बडी वस्तु ऊपर करना। ४ अत्यधिक द्रव्य उपार्जित हिलना'-- '--त्रि० अ० [देश॰] प्रवेश करना। घुसना । (ति (विशेषत करना। पानी मे) । हिलोरा-सदा पुं० [स० हिल्लोल] दे० 'हिलोर। हिलनि -सज्ञा स्त्री० [सं० हल्लन, हिं० हिलना] हिलने का कार्य हिलोल-सज्ञा पु० [स० हिल्लोल] दे० 'हिल्लोल', 'हिलोर'। या भाव । उ०—मेरी गति होउ सोई महानी । जासु भौह की हिलौअला-मशा खी० [हिं० हिलाना] हिलाने या प्रादोलित करने की हिलनि विलोकत निसु दिन सारंगपानी ।--भारतेदु ग्र०, क्रिया । उ०--किसी से गुडमार्निग और किसी मे हाथ हिलोअल भा०२, पृ० ७६। होती।-प्रेमधन०, भा०२, पृ०१४८ । हिलबी-वि० [देश॰] हलव देश का। उ०—प्राण हिलवी आदरस, हिल्ल--सचा पुं० [सं०] एक जलीय पक्षी [को॰] । वोह यमनी बोदार ।-वाँकी० ग्र०, भा० ३, पृ० ५७ । हिल्ला'--सञ्चा पुं० [अ० हीलह्] दे० 'हीला'। । 1