पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२१०

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। हिल्ला ५५२२ हिसाव हिल्ला--सञ्ज्ञा पुं० [हिं० गोला या देशी] १ कीचड । कर्दम । २ वालू। यौ०--हिसका हिमकी - परम्पर म्पर्धा का भार 1 क दून सिकता। के बराबर होने की धुन । हिल्लूरी 1--सहा स्री० [देशी] लहरी । तरग। हिसाव-मसा पुं० [अ०] १ गिनती । गणित । नेगा। कोई सच्या, हिल्लोल'-सज्ञा पुं॰ [स०] १ हिलोरा। तरग। लहर । २ प्रानद की वस्तु परिमारण ग्रादि मे कितनी ठहरेगी, इसके निर्णय की तरग । मौज । ३ कामशास्त्र के अनुसार एक रतिबध या ग्रामन । प्रयिया । जैसे,—(क) अपने रुपए का दिमात्र कगे पिता ४ मौज । धुन । सनक । ५ एक राग का नाम । हिडोन । होगा। (प) यह हिलाव लगाया कि यह चार पटे में विनी दूर जायगा। हिल्लोल' -सञ्ज्ञा पुं० [हिं० हिलोर) दे० 'हिलोर'। क्रि० प्र०-करना । -गा। हिल्लोलन--सधा पुं० [सं०] [वि॰ हिल्लोलित] १ तरग उठना । लहराना। २ दोलन । झूलना। यौ०-हिसार किनार । हिसाव हो । हिसार चोर । हिल्वला-सहा सी० [सं०] इल्वला नामक पांच छोटे नारो का समूह २ लेन देन या आमदनी, पन प्रादि का लिया हुआ न्योरा। लेगा। उचापत। जिनकी स्थिति मृगशिरा नक्षत्र के शीपं भाग के ऊपर मानी गई है । इन्वका [को०] 1 मुहा०-हिसार चनना = (१) लेन देन पा लेगा न्हना । (२) हिवचल-सज्ञा पुं० [सं० हिम + अञ्चल] पाला । वरफ । हिम । उधार लिया जाना । हिसार गाना या चुकना करना = जी उ०--चरखा रुदन गरण अति कोहू । विजुरी हसी हिवचल Tछ जिम्मे निकलता हो उसे दे देना। देना माफ करना । छोहू ।--जायसी (शब्द०)। हिमार जानना = लेगा देगना frठोर है या नहीं । हिमाव हिवचल-सज्ञा पुं० [स० हिमाचल] दे० 'हिमालय' । उ०-को जोडना अलग अलग पर ग्रमो की मीगर तालाई श्रोहि लागि हिवचल सीझा । का कह लिखी ऐम को रोझा। अलग अलग प्रको का योगपन निकालना । हिगाव भरना = —जायसी (शब्द॰) । जो जिम्मे पाता हो उमेदे देना। तन पाह, दाम या मन्दरी के मदे जो कुछ स्पया निाना हो उमे नुगाना । जगे,- हिāg 2--सज्ञा पुं० [सं० हिम] वर्फ । पाला। हमारा हिसाव कर दीजिए, अब हम नोकरी न करेंगे। हिमान हिव'-अव्य दिश०] भव । उ०-समुझे क्यों न अजूं समझाऊँ भूल जो जो और बरसीम सी मो-देन लेन या प्रय निनय या मतौ हिव भाया।-रघु०३०, पृ० १६ । हिगाव पिनार निम्मान होकर पाई पाई ना को और इनाम हिव@२--सज्ञा पुं० [सं० हृत्, प्रा० हिग्र हृदय । वरशीश गुले दिल ने दे। हिमात्र रिनाव में जो भाभी हिवडा-सञ्ज्ञा पुं० [स० हत्, प्रा० हिन, अप० हिअड] हृदय । हिया । फरक नही पढना चाहिए, वहाँ पैसे पैने हिसाब उ०-कवकी ठाढी मैं मग जोऊ निम दिन विरह सतावे । कहा चाहिए और रिमी को वागीश मे नौ नौ रपए दिए जा कहूँ कछु कहत न आये, हिवडो अति अकुलावे । पिय कब दरम मरते है, उममे हिचरा नहीं कनी चाहिए। 3०--7नी भाई, दिखावे ।-सतबानी०, पृ०७३। हिसाब जो जो और बरमोस सो, सौ।-प्रेमघन०, मा० २, हिवार-संज्ञा पुं० [स० हिम + प्रालि] वफ । पाला । तुपार । पृ० ८० । हिमात्र देना = लेवा समभाना । जमा सचं का ब्यौरा मुहा०--हिवार होना = बहुत ठठा होना । बहुत पाना होना । बताना। हिनाब पर नटना=बही में लिया जाना । लेने में वहुत सर्द होना। टेकना । हिसाब बराबर करना = (१) कुछ दे या लेफर लेना और देना बराबर करना । लेनदेन का हिमाव माफ करना । (२) हिवाले-मशा पुं० [सं० हिमानय] दे० 'हिमालय'। 50~-ना में गलौं हिवाले माही । स्वर्ग लोक को बछौ नाही । सुदर० अपना काम पूरा करना । हिमात्र वेवास करना = दे० 'हिमात्र चुकाना' । हिमाब पद करना = लेखा मागे न चलाना। लेनदेन वद ग्र०, भा०१,५०३०५। करना। हिमाय मे जमा होना = (1) किसी से पाई हुई रसम का हिवार-सज्ञा पुं० [सं० हिमालय] दे० 'हिवाले' । उ०-छल वल लिखा जाना । (२) लेनदेन के ले में पायने से पर आई करि कौरी सघारे। पडो भगत हिवारे गारे ।-पट०, रकम का अलग लिया जाना । हिसार मे लगाना - पृ० २६०1 उधार या लेनदेन में शामिन करना । हिमाय लेना = यह हिस-सञ्ज्ञा पुं० [अ०] १ अनुभव । ज्ञान । वोध । २ सशा। होश । पूछना कि कितनी रय म यहा सर्च हुई । (किसी से) हिनाव चेतना । ३ चेष्टा । हरकत । समझना = (किसी से) आमदनी और खर्च का ब्यौरा पूछना। मुहा०-वेहिम व हरकत - निश्चेष्ट और नि सज्ञ । बेहोश और हिलाव ममझाना = आमदनी खच आदि का व्यौरा बताना। सज्ञाशून्य । अचेत और सुन्न । वेहिसार = (१) बहुत अधिक । अत्यत । इतना कि गिनती हिसका-सज्ञा पुं० [म० ईर्ष्या, हिं० हीस] १ ईर्ष्या 1 डाह । २ या नाप आदि न हो मके। हिसाब रखना = ग्रामदनी, खचं स्पर्धा । देखादेखी किसी बात की इच्छा। किसी की वरा ग्रादि का व्योग निखकर रखना । अाय व्यय प्रादि का लेख- - वरी करने की हवस । वद्ध विवरण रखना। हिसाव लड़ना या लगना = मल मिलना। दुमय होना