पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२१२

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? हिम्ना बबरा ५५२४ ही सना 1-01-17 वा. हिम्मे करो । () जमीन चार हिस्सो होग-सझा स्त्री० [सं० हिड] १ एक छोटा पौधा जो अफगानिस्तान और फारस मे आपसे पाप और बहुत होता है। २ इस पौधे कि.मलना 1- होना ।-लगाना । का जमाया हुप्रा दूध या गोद जिसमे बडी तीक्ष्ण गध होती है और जिनका व्यवहार दवा और नित्य के मसाले मे वधार के २ दरवार गह। जैगे,-उम गन्ने के चार हिम्मे करो। ३ उतना लिये होता है। अग जितना पत्या को विभाग करने पर मिले । अधिक मे मे उननी सन्तु नितनी वाटे जाने पर किमी को प्राप्त हो । विशेप-हींग का पौधा दो ढाई हाथ ऊँचा होता है और इसकी राग । जैसे,—तुम अपने हिम्मे मे से कुछ जमीन इसको पत्तियो का समूह एक गोल गशि के रूप मे होता है । इसकी दो। कई जातियां होती है । कुछ के पौधे तो साल ही दो साल रहते यो०-म्मिा पाग। हैं और कुछ की पेडी बहुत दिनो तक रहती है, जिसमे समय ८ पौटने की त्रिया या भाव । विभाग | तकसीम | समय पर नई नई टहनियाँ और पत्तियाँ निकला करती है। कि० प्र०-वरना ।—होना । लगाना। पिछले प्रकार के पौधो की ही ग घटिया होती है और 'ही गडा' कहलाती है । हीग के पौधे अफगानिस्तान, फारस के पूर्वी हिस्से ५ पिनी विन्तत वस्तु (जने,-बेत, घर आदि) का विशेष (खुरासान, यज्द) तथा तुर्किस्तान के दक्षिणी भाग मे बहुतायत या जो और अगो मे किसी प्रकार की सीमा द्वारा अलग हो। से होते है । पर भारत मे जो ही ग पाती है, वह कधारी होग विभाग । गड । जैसे,—(क) इस मकान के पिछले (अफगानिस्तान की) है । हींग का व्यवहार बघार के अतिरिक्त में किराएदार है । (ख) कोठी का अच्छा हिस्सा उमके अधि- औपध मे भी होता है। यह शूलनाशक, वायुनाशक, कफ गारम है। निकालनेवाली, कुछ रेचक और उत्तेजक होती है। पेट के दर्द, ६ मिनी बड़ी या विस्तृत वस्तु के अतर्गत कुछ वस्तु या अश । वायगोला और हिस्टीरिया (मूर्छा रोग) मे यह बहुत उपकारी अधिक मीन या पोई सट या टुकडा । जैसे,—यह पेड होती है । आयुर्वेद मे इसके योग से कई पाचक चूर्ण और दुनिया के हर हिस्से में पाया जाता है । ७ अग । अवयव । गोलियां बनती हैं। हींग मे व्यापारी अनेक प्रकार की मिलावट अन न वस्तु । जैसे,—वदन के किस हिस्से में दर्द है करते है । शुद्ध खालिस हाँग 'तलाव ही ग' कहलाती है। ८ रिमी चम्तु के युछ अग के भोग का अधिकार । किसी व्यपगार के हानि लाभ मे योग । साझा । शिरकत । जैसे,- ही गडा--सज्ञा पुं० [हि० होग] बनियो का एक गोत्र । उ०-व्हे हेको जिण धोंगडे, ही गड धो गड मल्ल |--बांकी० ग्र०, भा०२, कपनी मे हिना, दुकान में हिस्सा, मकान मे हिस्सा। हिम्सा वखरा-सया पु० [अ० हिस्सह + फा० वग्रह, या बखरह] ही गडा-समझा ५० [हि० ही ग+डा (प्रत्य॰)] एक प्रकार की प० ७३॥ पाटे जाने पर प्राप्त या प्राप्य अश । भाग (को० । हिम्नाबाट-मशा पुं० [अ० हिम्सह + हिं० वांटना] भाग का विभाजन । घटिया हींग । हिम्मे TT बटवारा । उ०-कोई कोइ ऋपि जायदात के हिस्सा- हीछना-क्रि० स० [सं० इच्छा] किसी की कामना करना । पाट पर गृहचो की तरह झगडे करते थे ।-हिंदु०सभ्यता, चाहना । इच्छा करना । पृ० १६२ । ही छा:-सा स्त्री० [स० इच्छा] दे० 'इच्छा' । हिग्नेदार-गशा पुं० [अ० हिस्मत् + फा० दार (प्रत्य॰)] १ किसी ही ठी--सज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार की जोक | के किमी भाग पर अधिकार रखनेवाला । वह जिसे किसी गन्तु के युछ अश के भोग का अधिकार हो । वह जिसे कुछ हीडना-त्रि० स० [स० या प्रा० हिडन] १ अस्त व्यस्त करना । हिमा मिला हो । जमे,-इम मकान के चार हिम्सेदार है । २ तरल वस्तु को हिलाकर गदा कर देना । घुघोलना । २ पिनी व्यवमाय ने हानि लाभ मे पौरो के माय ममिलित 'हुडकना'। र नेपाना । रोजगार मे शरीक । साझेदार | जैसे, ---कपनी के ही ण --सज्ञा पुं० [० हीन, प्रा० हीण] एक प्रकार का काव्यदोप । गिदार, चैव ये हिम्मेदार । ३ भागी। शरीक । उ०-हीण दोप सो हुर्घ, जात पित मुदो न जाहर ।-रघु० हिम्गेदारी-रमा १० [अ० हिम्सह + फा० दारी] भागीदार होना । १०, पृ० १४ ॥ मागीदारी। माझा। ही स-सज्ञा स्त्री० [सं० हेप] घोडे या गधे के बोलने का शब्द । रेक हिह्निाना-पि ० अ० [अनु० हिं हिं] पोडो का बोलना। हिन या हिनहिनाहट । fIT! होसना । उ०-देग्नि दखिन दिमि हय हिहिनाही। ही सना-क्रि० अ० [हिं० ही स + ना(प्रत्य॰)] १ घोडे का बोलना। जनु चिनु पर रिहग अकुलाही । —तुलसी (शब्द०) । हिनहिनाना। उ०--(क) ही मत हय, बहु वारन गाज । जहें होनाल-या t० [सं० हीन्ताल] दे० 'हिताल' [को॰] । तह दीग्घ दुदुभि वाजे ।--केशव (शब्द॰) । (ख) हीम रहे थे रीद-१५० [म हिन्दु] दे० 'हिब' । उ०-हीदू तुरके मिलल उघर अश्व उद्ग्रीव हो, मानो उनका उडा जा रहा जीव हो । वाम ।-कीति०, पृ० ४८ । -साकेत, पृ० १२७ । २ गदहे का बोलना । रेकना । दे०